रोहिणी व्रत | Rohini Vrat, Puja Vidhi, Shubh Muhurat

रोहिणी व्रत

इस व्रत से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें और पूजा की तैयारी करें।


रोहिणी व्रत | Rohini Vrat

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र है। इस नक्षत्र में किया जाने वाला व्रत रोहिणी व्रत कहलाता है। जैन धर्म के अनुयायी, विशेषकर महिलाएं रोहिणी व्रत का पालन करती हैं। हर माह रोहिणी नक्षत्र की निश्चित अवधि होती है। इस हिसाब से प्रत्येक वर्ष में बारह रोहिणी व्रत होते हैं। जैन समुदाय द्वारा इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। 

इस माह में रोहिणी व्रत 17 नवम्बर 2024, रविवार के दिन किया जाएगा।

जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं। सामान्यतः इस व्रत को 3, 5 या 7 वर्षों तक करने के बाद ही उद्यापन किया जा सकता है, लेकिन रोहिणी व्रत की उचित अवधि पाँच वर्ष, पाँच महीने है। 

रोहिणी व्रत की पूजा विधि | Rohini Vrat Puja Vidhi

  • इस दिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठकर स्नान करके पवित्र होती हैं। 
  • इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाकर पूजा का संकल्प लिया जाता है।
  • पूजा के लिए वासुपूज्य भगवान की पंचरत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना की जाती है। 
  • उनकी आराधना करके वस्त्र, धूप-दीप, फूल, फल और नैवेद्य का भोग लगाया जाता है। 
  • इसके बाद मंदिरों में जाकर या किसी भी जरूरतमंद को दान देने का भी बहुत महत्व माना जाता है।
  • इस दिन व्रत नहीं करने वाले व्‍यक्ति भी तामसिक भोजन को त्‍यागकर सात्विक भोजन करते हैं। 
  • रोहिणी व्रत पर पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना की जाती है।
  • सूर्यास्‍त से पहले फलाहार करके रोहिणी व्रत का पारण किया जाता है। 

रोहिणी व्रत का महत्व 

  • यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अति आवश्यक होता है, लेकिन पुरुष भी अपनी इच्छानुसार ये व्रत कर सकते हैं।
  • इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं और अपने पति की लम्बी आयु एवं स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
  • जैन मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी महिला या पुरुष पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • जैन धर्म में ह्रदय और आत्मा की स्वच्छता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। 

इसी तरह इस व्रत का पालन करने वाले स्त्री और पुरुष अपनी आत्मा के विकारों को दूर करते हैं, और इस संसार की मोह माया से दूर रहते हैं। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।

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