सकट चौथ 2025 कब है? 20 जनवरी को जानिए शुभ मुहूर्त और इस दिन को खास बनाने के तरीके!
सकट चौथ या सकट चौथ व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर भारत और अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। यह व्रत हर साल माघ माह की चौथी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जनवरी या फरवरी के महीने में पड़ता है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान सुख के लिए व्रत करती हैं।
भगवान गणेश को समर्पित सकट चौथ का व्रत माताएं अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए रखती हैं। इस तिथि पर महिलाएं सकट माता की पूजा करती हैं। विशेष रूप से माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ के रूप में मनाया जाता है।
आप व्रत को सफल बनाने के लिए ऊपर दिए गए शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करें।
सकट चौथ का व्रत माताएं बड़ी ही श्रद्धापूर्वक रखती हैं,आज हम इसी पर्व से जुड़ी खास जानकारी लेकर आए हैं। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि, भगवान गणेश को समर्पित होती है और भक्त इस तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं। खास तौर पर माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ के रूप में मनाया जाता है।
इसे सकट चौथ, तिलकुटा चौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व प्रमुख रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है।
सकट चौथ को संकट हरने वाला व्रत माना जाता है। किसी भी माँ के लिए अपनी संतान की सलामती सबसे महत्वपूर्ण होती है। माताएं सदैव अपने बच्चों की रक्षा के लिए तत्पर रहती हैं, सकट चौथ का भी व्रत माताएं अपनी संतान की सुरक्षा की कामना के साथ रखती हैं।
मान्यता है कि इसके पुण्यफल से संतानों को लंबी आयु, बेहतर स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का उपहार मिलता है। साथ ही उनके जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं, इसी कारण से सकट चौथ को पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है।
इन अनमोल पुण्यफल के कारण हर माँ और उनकी संतानों के लिए इस व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए भी यह व्रत अत्यंत कल्याणकारी है।
संतानों की सुरक्षा और सभी संकटों को हरने के लिए इस व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आज हम इसी पावन व्रत की संपूर्ण पूजा विधि आपके लिए लेकर आए हैं।
चलिए सबसे पहले जानते हैं कि आपको किस प्रकार इस व्रत की तैयारियां करनी है-
व्रत के एक दिन पहले ही सकट चौथ की पूजा में चढ़ाया जाने तिलकुट या तिलकुटा बना लें। इसे काले या सफेद तिल और गुड़ के साथ बनाया जाता है। इसे बनाने के पहले यह ज़रूरी है कि आप तिल को अच्छे से साफ कर लें और उसे धूप में सुखा लें। साथ ही आप चाहें तो भोग के लिए गाजर का हलवा भी तैयार कर सकते हैं।
चलिए अब व्रत के दिन सुबह आपको क्या करना है, उसके बारे में जान लेते हैं-
कई जगहों पर तिल और गुड़ को बकरे का आकार देकर, इसकी बलि देने की भी परंपरा होती है। इसके लिए आप तिल को भून लें, इसके बाद गुड़ को गरम करके इसमे मिला लें। इस मिश्रण को ठंडा होने से पहले ही एक थाली में फैला दें और बकरे के हाथ, पांव और पूछ का आकार दे दें। कई लोग बकरे की जगह पहाड़ भी बनाते हैं।
इसे बनाने के बाद सिक्के या चाकू से अपनी संतान के हाथों से कटवा दें। अगर बच्चा छोटा है तो उसके हाथों को स्पर्श कराते हुए इसे स्वयं काट दें।
कलश के अतिरिक्त जो जल का पात्र आपने पूजा में रखा था, उसके जल को चंद्र देवता को अर्पित कर दें। इस जल को ज़मीन पर न गिराएं, अपितु इसे थाली पर गिराकर इसमें डाली गई वस्तुओं को किसी पौधे में चढ़ा दें।
तो दोस्तों यह थी सकट चौथ की संपूर्ण पूजा विधि, आप ऐसी ही विधियों के लिए जुड़े रहें श्री मंदिर के साथ।
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। सकट चौथ के व्रत में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान गणेश की विशेष रूप से पूजा-उपासना करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का त्योहार होता है। मान्यता है जो भी सकट चौथ का व्रत विधि-विधान के साथ रखता है उसके जीवन में आने वाला संकट खत्म हो जाता है।
आइये जानते है कि इस दिन व्रत न करने वाले भक्तजन सकट चौथ पर गणपति जी का आर्शीवाद कैसे पाएं?
अगर आप व्रत नहीं भी कर रहे हैं तो भी सकट चौथ पर इस आसान पूजा विधि से बप्पा की आराधना कर सकते हैं-
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गुड़ और तिल का तिलकुटा बनाकर उसे दान करना चाहिए। व्रत करने वालों के लिए यदि संभव हो तो दस महादान जिनमें अन्नदान, नमक का दान, गुड़ का दान, स्वर्ण दान, तिल का दान, वस्त्र का दान, गौघृत का दान, रत्नों का दान, चांदी का दान और दसवां शक्कर का दान करें। ऐसा करके प्राणी दुःख-दरिद्र, कर्ज, रोग और अपमान के विष से मुक्ति पा सकता है।
अगर आप घर पर भी किसी भी प्रकार से पूजा करने में असमर्थ हैं तो आप निकटम गणेश जी के मंदिर में भी जाकर उनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना कर सकते हैं। संभव हो पाए तो आप मंदिर में भी भोग और दक्षिणा चढ़ा सकते हैं। अगर आप सच्चे मन से प्रार्थना करेंगे तो गणपति जी अवश्य आप पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखेंगे।
संकष्टी चतुर्थी के दिन विधार्थी ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जप करके प्रखर बुद्धि, उच्च शिक्षा और गणेशजी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ‘ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात’ का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।
अगर आप संकष्टी चतुर्थी पर मंदिर भी नहीं जा पा रहें हैं, अपने फोन में श्री मंदिर पर भी आप भगवान गणेश का मंदिर स्थापित करके उनकी पूजा कर सकते हैं। साथ ही भगवान जी की आरती, भजन और मंत्र भी सुन सकते हैं।
तो दोस्तों इस प्रकार आप संकष्टी चतुर्थी पर बिना व्रत किए भी भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि आपको भगवान गणेश का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त हो।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत प्रथम पूज्य श्री गणेश के प्रति अपनी आस्था एवं भक्ति प्रकट करने का त्योहार है। कहते हैं जो भी भक्तजन सकट चौथ के शुभ दिन पर सच्चे मन से बप्पा की भक्ति करते हैं, उसे गणेश जी की अपार कृपा प्राप्त होती है साथ ही जीवन में मानसिक और आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है।
शास्त्रों के अनुसार यदि बप्पा की पूजा-अर्चना के इस पवित्र दिन पर निम्न उपायों को ध्यान में रखते हुए गणपति जी की आराधना की जाए तो अतिशीघ्र ही शुभफल की प्राप्ति होती है।
सच्चे भाव से सकट चौथ पर गणेश जी की पूजा-अर्चना करें। इस दिन गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए गणेश चालीसा का पाठ, मन्त्र और आरती अवश्य करें। साथ ही आपको बता दें, भजन सहित यह समस्त जानकारी श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
सकट चौथ की पूजा के दौरान भगवान गणेश को मोदक और लड्डू अर्पित करें। इस दिन गुड़ और तिल से बनी वस्तुओं का भोग अवश्य लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से गणपति जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मस्तक पर चंदन, सिंदूर व अक्षत का तिलक जरूर करें। इससे भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न होते हैं और साथ ही जातकों का भाग्योदय भी होता है।
सकट चौथ के दिन गणेश जी को 21 दूर्वा का गांठ जरूर अर्पित करें। पूजा के समय गणेश जी को पान और सुपारी अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से आपके शुभ कार्यों में आने वाली बाधाओं का अंत होगा।
इस दिन गुड़ और तिल का तिलकुटा बनाकर उसे दान करें। आप यह दान ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके जीवन में आर्थिक प्रगति होगी और कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
रात्रि में चंद्रदेव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करें। विशेषकर व्रत करने वाले जातक इसके बाद ही व्रत का पारण करें। इस प्रकार आपको व्रत के शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सनातन धर्म में गाय को देवता समान माना गया है। ऐसे में सकट चौथ के दिन गाय को हरा चारा खिलाने से ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं।
हम आशा करते हैं कि सकट चौथ के शुभ दिन पर ये खास उपाय आपके लिए कल्याणकारी रहेंगे और इस सकट चौथ पर भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन के सभी दुखों और कष्टों का अंत हो जाएगा।
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