चंद्र यंत्र के लाभ और पूजा विधि पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
क्या आपका मन हमेशा विचलित रहता है? क्या आपने मन में कई सारे विचार एक साथ घूमते रहते हैं? अगर ऐसा है तो आपके लिए चंद्र यंत्र काफी फायदेमंद रहने वाला है? मन की अशांति, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने के लिए चंद्र यंत्र एक प्रभावी यंत्र माना जाता है। आइए इस आर्टिकल में हम चंद्र यंत्र के प्रभाव, महत्व, लाभ और उसकी स्थापना विधी को जानेंगे।
ऋषि अत्री और माता अनुसूया के पुत्र चंद्रमा को सोम, चंद्र, रजनीश आदि कई नामों से जाना जाता है। चंद्र को शीतलता औऱ शांति का प्रतीक भी माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। हिंदू धर्म में चंद्र की काफी मान्यता है। सौंदर्य, कला और भावनाओं से जुड़ाव के लिए चंद्र देव की पूजा कई उत्सव और पर्व में की जाती है, जिनसे महिलाएं उपवास रखती हैं और मंगलकामनाएं करती हैं।
चंद्र मन और मस्तिष्क को नियंत्रित करता है। मान्यता अनुसार, चंद्र यंत्र चंद्र देव को समर्पित है। साधक द्वारा इस चंद्र यंत्र की उपासना करने से मातृ दोष, गंड मूल दोष, कुंडली में चल रही चंद्र की महादशा औऱ कर्क राशि वालों के दोष को कम और हानिकारक प्रभावों से बचाने में मदद करता है।
चंद्र यंत्र का धार्मिक, ज्योतिषीय और वास्तुशास्त्र में विशेष महत्त्व है। इस यंत्र को धार्मिक दृष्टिकोण से एक पवित्र और पूज्य यंत्र माना जाता है। इसकी नियमित आराधना करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से मन, चित्त, और भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए उपयोगी है। चंद्र यंत्र के साथ सदैव महाकाल का पूजन करना भी जरूरी होता है क्योंकि भोलेनाथ के मस्तक पर चंद्र देव विराजमान हैं। वहीं, ज्योतिषीय महत्त्व की बात करें तो चंद्र यंत्र का उपयोग विशेष रूप से कुंडली में चंद्र दोष को दूर करने के लिए किया जाता है। यह यंत्र चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
इसके अलावा वास्तुशास्त्र में इस यंत्र का एक विशेष महत्त्व माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तुशास्त्र में चंद्र यंत्र का उपयोग घर, कार्यालय या किसी अन्य स्थान की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है। यह स्थान की ऊर्जा को शीतल, सकारात्मक और संतुलित बनाने में मदद करता है। यह यंत्र घर के वातावरण को प्रफुल्लित बनाता है।
चंद्र यंत्र चंद्र ग्रह के प्रभाव को सुधारने में काफी मददगार होता है। यानि जब किसी मनुष्य की कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर या प्रतिकूल स्थिति में होता है, तो उसे तनाव, अनिद्रा, चिंता, या भावनात्मक असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में चंद्र यंत्र चंद्र ग्रह के दोषों को शांत करता है और जीवन पथ को सुगमय बनाता है। चंद्र यंत्र को सही स्थान पर रखने से नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है। नियमित रूप से यंत्र की पूजा करने से सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।
चंद्र यंत्र की स्थापना हमेशा पूर्व दिशा की ओर करनी चाहिए। इस दिशा में यंत्र स्थापित करने से घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता आती है। यंत्र की स्थापना से पूर्व सुबह-सबह उठकर शरीर को पवित्र कर लें। इसके बाद यंत्र को गंगाजल या कच्चा दूध से पवित्र करें। फिर पूजा के दौरान धूप-दीपक, अगरबत्ती जलाएं औऱ अन्य पूजन सामग्री यंत्र के सामने चढ़ाएं। इस कार्य के बाद 11 या 21 बार चंद्र के बीज मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः ॐ चंद्राय नमः का जाप करें और चंद्रदेव से उत्तम फल प्राप्ति की कामना करें।
ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
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