नवग्रह यंत्र के महत्व और पूजा विधि पर पूरी जानकारी प्राप्त करें।
नवग्रह यंत्र में नवग्रहों (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, और केतु) को समर्पित यंत्र होता है, जो ज्योतिष में विशेष महत्व रखता है। इसे घर या पूजा स्थान में स्थापित करने से ग्रहों की शांति और संतुलन बना रहता है। मान्यता है कि नवग्रह यंत्र नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। इसे नियमित रूप से पूजने और मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी मनुष्य की कुंडली में ग्रहों की दशा औऱ दिशा ठीक हो तो उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और हर काम में सफलता मिलती है। लेकिन यदि इसके विपरित किसी भी एक ग्रह की दशा में बिगाड़ हुआ तो पूरा जीवन कठिनाईयों से भरा होता है, जिससे हमेशा समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
घर में कलेश होना, बनते काम का बिगड़ जाना या फिर किसी भी कार्य में सफलता न मिलना यह सभी ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नवग्रह में दोष होने के कारण होता है। ऐसे में नवग्रह यंत्र इन सभी दोषों को दूर करने के लिए एक मात्र अचूक साधन है। मान्यता अनुसार, नवग्रहों में हर एक ग्रह के लिए एक विशेष यंत्र होता है। नवग्रह यंत्र की उपासना और आराधना से साधक का जीवन धन्य हो जाता है औऱ जीवन में उत्पन्न होने वाले दोष, कठिनाई सब का निवारण मिल जाता है।
नवग्रह यंत्र का जीवन में अत्यधिक महत्व होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रह स्पष्ट रूप से सभी की राशियों पर प्रभाव डालते हैं। ग्रहों का असर हमारे भाग्य, स्वास्थ्य, कार्य, समृद्धि और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। नवग्रह यंत्र का उद्देश्य इन ग्रहों के प्रभाव को सकारात्मक रूप में बदलना और जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाना है। अध्यात्मिक दृष्टिकोण से नवग्रह यंत्र के महत्व की बात करें तो यह यंत्र जीवन में मानसिक और आत्मिक उन्नति में मदद करता है। यह यंत्र नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को दूर करके जीवन में सकारात्मकता और शांति लाता है।
यह ग्रहों के दोषों को सुधारने और उनके प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। इसके साथ ही जब ग्रहों के प्रभाव संतुलित होते हैं, तो मार्ग में किसी तरह की कोई रुकावट या बाधा उत्पन्न नहीं होती। यंत्र के पूजन से मानव का जीवन आध्यात्म की ओऱ अग्रसर होता है और उसकी आंतरिक शक्ति का जागरण होता है, जिससे वह अपनी आत्मा के साथ जुड़कर जीवन में उच्च उद्देश्य की प्राप्ति कर सकता है। इसके अलावा,वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नवग्रह यंत्र का महत्व विभिन्न प्रकार के ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने औऱ पहलुओं में है, जिसे ये यंत्र बेहतर बनाते हैं। साथ ही जब आसपास की ऊर्जा सकारात्मक होती है, तो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे कार्य में सफलता, धन की प्राप्ति और स्वास्थ्य में सुधार होता है, जोकि इस यंत्र की महत्वता को दर्शाता है।
नवग्रह यंत्र को स्थापित करते समय उसकी सही दिशा का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। नवग्रह यंत्र को हमेशा उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा में स्थापित करना चाहिए। इस यंत्र को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के रविवार को स्थापित किया जा सकता है। इसकी स्थापना से पूर्व शरीर को पवित्र कर लें। इसके बाद नवग्रह यंत्र को एक पात्र के रखकर जल, पंचामृत, गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें।
फिर 11 या 21 बार नवग्रह मंत्र “ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।” का जाप करें। साथ ही हाथ जोड़कर सभी 9 ग्रहों से प्रार्थना करें कि वे जीवन के सभी दुखों को दूर करके अपनी शुभता प्रदान करें। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
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