सूर्य यंत्र के महत्व और इसे स्थापित करने की सही विधि
समाज में प्रतिष्ठा हासिल करनी हो, परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होना हो या फिर किसी काम में तरक्की पानी हो, सूर्य यंत्र आपके लिए एक उपयोगी यंत्र साबित हो सकता है। इस यंत्र के इस्तेमाल से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं। आइए जानते हैं सूर्य यंत्र स्थापित करने के तरीके और इसके फायदों के बारे में।
नौ ग्रहों के राजा सूर्य देव इस सृष्टि को चलाते हैं। उनकी किरणों की रोशनी से पूरी धरती प्रकाशमय रहती है। सारे सितारे, ग्रह और नक्षत्र इन्हीं के चारों और घूमते हैं। इनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन के भाग्य को जगाता है औऱ नए आयाम प्राप्त कराता है। इनकी उपासना मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। हिन्दू धर्म में इनको पूजनीय माना जाता है। लेकिन अगर बनते काम बिगड़ रहे हैं, मान-सम्मान को क्षति पहुंच रही है या फिर कामयाबी नहीं मिल रही है तो ऐसे में सूर्य यंत्र की अराधना से इन सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इस यंत्र रखने और इसकी पूजा करने से सोया भाग्य जाग जाता है और रूके काम भी बनना शुरू हो जाते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार, सूर्य यंत्र के उपयोग से जीवन में नया प्रकाश आता है। इसके अलावा कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य में वृद्धि भी होती है। किसी साधक की कुंडली में यदि सूर्य दोष होता है तो उसे कई तरह की बाधाओं और कष्टों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में साधक इस यंत्र की विधि विधान से पूजा करके ग्रह के दोषों और प्रभाव को कम कर सकता है। इस यंत्र से नकारात्मक विचार का नाश होता है।
सूर्य यंत्र का धार्मिक महत्त्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि सूर्य को हिन्दू धर्म में जीवन का स्रोत माना जाता है। सूर्य की उपासना कई पर्वों पर की जाती है। ऐसे में इस यंत्र का धार्मिक महत्व अपने आप में बहुत विशाल है। सूर्य यंत्र पूजा और स्थापन से साधक की कुंडली में हो रहे सूर्य दोषों को नष्ट करता है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। यह यंत्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी लाभकारी होता है। यह यंत्र साधक को ऊर्जा और शक्ति का संचार करता है, जिससे वह अपनी साधना और ध्यान में सफल होता है। सूर्य देवता का ध्यान करने से मन, बुद्धि, और आत्मा में शुद्धता आती है और व्यक्ति की आंतरिक शक्ति का विकास होता है। इसके अलावा आर्थिक स्थिति में सुधार, व्यापार में सफलता, और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। यह यंत्र व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करने और जीवन में समृद्धि लाने में मदद करता है।
सूर्य यंत्र को हमेशा पूर्व दिशा की ओर रविवार के दिन स्थापित करना चाहिए। सूर्य यंत्र को स्थापित करने से पहले अपने शरीर को स्नान द्वारा पवित्र कर लेना चाहिए। इसके बाद यंत्र को स्थापित करके यंत्र के समक्ष विधिपूर्वक धूप-दीप जलाएं और पूजन सामग्री को अर्पित करें। इस कार्य के बाद सूर्य देव का का ध्यान करें और 11 या 21 बार सूर्य के बीज मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" का जाप करें। फिर यंत्र को गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि सूर्य देव उनके जीवन को प्रकाशमय रखें औऱ शुभ फल प्रदान करें।
ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
सूर्य यंत्र को स्थापित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यंत्र को स्थापित करते समय साफ-सफाई, उसकी सही दिशा, दिन और मुहर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वहीं, यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले इसको शुद्ध करना अति आवश्यक होता है। साथ ही इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण-प्रतिष्ठा हो।
इसके अलावा यंत्र को स्थापित करते वक्त किसी ऊंचे स्थान का चयन करना चाहिए। इसके साथ ही पूजन सामग्री, मंत्रों का सही उच्चारण सहित जाप आदि का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है। पूजन को पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा और पूर्णाहुति को भी पूरा करना चाहिए।
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