व्यापार वृद्धि यंत्र के महत्व और इसे पूजा में शामिल करने की विधि
व्यापार वृद्धि यंत्र एक चमत्कारी यंत्र है। इस यंत्र से व्यापार में वृद्धि होती है, घर में सुख शांति आती है, रिश्ते मजबूत बनते हैं और घर से नकारात्मक उर्जा का नाश होता है। आइए इस यंत्र के बारे में विस्तार से जानते हैं।
व्यापार या नौकरी में लगातार घाटा हो रहा हो या फिर कड़ी मेहनत करने के बाद बहुत सारा पैसा कमाने पर भी पैसा नहीं टिकता। वहीं, जीवन में आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा हो या जीवन में घोर दरिद्रता का सामना करना पड़ रहा हो और बहुत परेशान हो तो। ऐसे में इन सभी वित्तीय समस्याओं से केवल एक यंत्र ही इसका पूरा समाधान कर सकता है। जो कि है व्यापार वृद्धि यंत्र। इस यंत्र को सर्वसिद्धिदाता और धनदाता यंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस यंत्र की चमत्कारिक शक्ति साधक को धनवान बना सकती है। इसके अलावा इस यंत्र के प्रभाव से व्यवसाय में प्रतिष्ठा औऱ वैश्विक प्रसिद्ध भी प्राप्त हो सकती है।
व्यापार वृद्धि यंत्र का महत्त्व व्यापारियों के लिए अत्यधिक है, क्योंकि यह न केवल व्यापार में सफलता और समृद्धि लाने में मदद करता है, बल्कि यह वित्तीय समस्याओं, कर्ज, और नकारात्मक प्रभावों को भी दूर करता है। यह यंत्र व्यवसायिक समस्याओं को दूर करने और व्यापार को लाभकारी बनाने के लिए एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। इस यंत्र के पूजन से व्यापार में स्थिरता, वृद्धि, और समृद्धि प्राप्त होती है, जिससे व्यापारिक निर्णय सही दिशा में होते हैं और नए अवसरों की प्राप्ति होती है। इसके माध्यम से व्यापारी अपने व्यवसाय को ऊँचाइयों तक पहुंचा सकता है और किसी भी प्रकार की व्यापारिक चुनौती का सामना सफलता से कर सकता है।
व्यापार वृद्धि यंत्र की स्थापाना शुभ मुहूर्त में पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। यंत्र को स्थापित करने से पहले अपने शरीर को स्नान द्वारा पवित्र कर लेना चाहिए। इसके बाद यंत्र को स्थापित करके यंत्र के समक्ष विधिपूर्वक धूप-दीप जलाएं और पूजन सामग्री को अर्पित करें। इस कार्य के बाद 11 या 21 बार "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नमः" बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा अगर इस यंत्र से अत्यधिक फल प्राप्त करना चाहते हैं तो इस यंत्र की रचना भोजपत्र, तांबे, चांदी या सोने के पत्र पर या स्फटिक पर कर सकते हैं। ध्यान रखें इस यंत्र को खरीदते समय इसकी पूरी तरह से जांच जरूर कर लें। वहीं, किसी जानकार पंडित, ज्योतिषि से इसकी स्थापना विधि, उपयोग और धारण करने के बारे में सही जानकारी लेने के बाद ही इस यंत्र को खरीदें। सही तरीके से की गई पूजा से और नियम से इस यंत्र का प्रभाव सकारात्मक रूप से होगा और जीवन के दोषों आदि को दूर करेगा।
इस यंत्र को स्थापित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यंत्र को स्थापित करते समय साफ-सफाई, उसकी सही दिशा, दिन और मुहर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस यंत्र को खरीदते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि यह विधिवत बनाया गया हो और प्राण-प्रतिष्ठा हो। इसके अलावा यंत्र को स्थापित करते वक्त किसी ऊंचे स्थान का चयन करना चाहिए। इसके साथ ही पूजन सामग्री, मंत्रों का जाप आदि का पूरा ध्यान रखना आवश्यक होता है। पूजन को पूर्ण विधि के साथ पूरे मन से करना चाहिए। इसके अलावा यंत्र की स्थापना के बाद नियमित रूप से यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
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