इस विशेष पूजा से सुख, शांति और सुरक्षा की प्राप्ति करें।
माँ दुर्गा के तीसरे शक्ति स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है, और चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा के बारे में।
माँ दुर्गा के तीसरे शक्ति स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है, और चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन की जाने वाली पूजा के बारे में।
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन अर्थात 01 अप्रैल, मंगलवार को देवी जी के इस स्वरूप की साधना की जाएगी।
इस वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि की द्वितीया और तृतीया तिथि एक साथ आने से नवरात्रि के दूसरे दिन अर्थात 31 मार्च, सोमवार को देवी माँ के इस स्वरूप की साधना की जाएगी।
सबसे पहले बात करते हैं कि तृतीया तिथि का प्रारंभ और समापन कब होगा-
01 अप्रैल, मंगलवार, तीसरा दिन- तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा पूजा
माता का यह रूप स्वर्णिम और अलौकिक है। दस भुजाओं वाली देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर मुकुट सुशोभित है। जिसमें घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है। यही कारण है कि माता के इस स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है।
माता पार्वती के विवाहित रूप को देवी चंद्रघंटा के रूप में पूजा जाता है। माता का यह रूप स्वर्णिम और अलौकिक है। दस भुजाओं वाली देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर मुकुट सुशोभित है, जिसमें घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है। यही कारण है कि माँ के इस स्वरूप को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव से विवाह होने के पश्चात् देवी महागौरी ने अपने मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण किया, जिससे देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के नाम से जाना जाने लगा।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥ मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥ प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समान तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बात॥
पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।
अब माँ दुर्गा की आरती करें।
इस तरह आपकी पूजा का समापन करें सबको प्रसाद वितरित करके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।
तो यह थी तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की विधि। शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के साथ ही माता के नौ रूपों को उनके दिन के अनुसार पूजने से माता आपकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। और पूरे वर्ष आपको माँ आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्रीमंदिर पर आपके लिए नवरात्र के नौ दिनों की पूजा विधि उपलब्ध है। इन्हें जानने के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर से। जय माता की!
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