
दत्तात्रेय जयंती 2025: जानें तिथि, पूजा विधि और भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति पाएं।
दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन साधक तप, ध्यान और मंत्र-जप करते हैं। दत्तात्रेय जी की उपासना से ज्ञान, वैराग्य, मानसिक शांति और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होने की मान्यता है।
दत्तात्रेय जयंती भगवान दत्तात्रेय के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त स्वरूप माना गया है। उनके जन्म की कथा, महत्व और पूजा-विधि अत्यंत दिव्य एवं पवित्र मानी जाती है। मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली यह जयंती भक्तों के लिए आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने का एक प्रमुख दिन है।
प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इस साल दत्तात्रेय जयंती 04 दिसम्बर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 05:10 ए एम से 06:04 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:37 ए एम से 06:59 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:50 ए एम से 12:32 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:56 पी एम से 02:37 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:21 पी एम से 05:49 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:24 पी एम से 06:45 पी एम |
अमृत काल | 12:48 पी एम से 02:12 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:45 पी एम से 12:39 ए एम, दिसम्बर 05 |
दत्तात्रेय जयंती मनाने के पीछे एक महत्त्वपूर्ण पौराणिक कथा है। देवी अनुसूया के पतिव्रत की ख्याति सुनकर त्रिदेवों की देवियों ने उनके तप की परीक्षा लेने का आग्रह किया। त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु, शिव - साधु रूप में उनके आश्रम गए और असंभव-सा वर मांगा कि उन्हें गोद में बैठाकर भोजन कराया जाए। देवी अनुसूया ने अपनी पवित्रता और तप बल से तीनों को शिशु रूप में परिवर्तित कर उनका आतिथ्य किया। त्रिदेव प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देने आए, जहां देवी अनुसूया ने तीनों देवों को पुत्र रूप में प्राप्त होने का वर मांगा। इसी वरदान के फलस्वरूप भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ। अतः इस दिन को त्रिदेवों के संयुक्त अवतार के रूप में मनाया जाता है।
दत्तात्रेय जयंती केवल जन्मोत्सव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का महामंगलकारी दिन माना जाता है। इस दिन का महत्व -
दत्तात्रेय जयंती पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है, विशेषकर -
इस दिन विशेष रूप से भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है, परंतु वे स्वयं त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप हैं, इसलिए पूजन में -
तीनों का स्मरण भी किया जाता है। इसके अलावा दत्तात्रेय जयंती पर गुरु, योगियों और सिद्ध पुरुषों का भी सम्मान किया जाता है।
पूजा-विधि इस प्रकार है -
दत्तात्रेय उपासना में ये मंत्र विशेष लाभकारी होते हैं -
इसके अतिरिक्त दत्तात्रेय स्तोत्र, अवधूत गीता के श्लोक, गुरु स्तुति, श्री दत्त चालीसा का पाठ भी शुभ होता है।
इस दिन किए गए कुछ उपाय अत्यंत फलदायी माने जाते हैं -
ये उपाय जीवन में ज्ञान, शांति, समृद्धि और मनोकामना सिद्धि दिलाते हैं।
दत्तात्रेय जयंती का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके लाभ -
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