image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

पुष्कर स्नान

पुष्कर स्नान 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्त्व। पुण्य प्राप्ति के लिए करें पावन स्नान।

पुष्कर स्नान के बारे में

पुष्कर जी, राजस्थान राज्य में अजमेर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहां पर बने हुए सरोवर की भी धार्मिक विशेषता है। धार्मिक आधार पर, यहां मौजूद सरोवर में स्नान करने के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक पांचों दिन श्रेष्ठ होते हैं। पुष्कर स्नान का पर्व मुख्यतः कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दौरान, इस पावन सरोवर में स्नान करना विशेष लाभकारी होता है।

पुष्कर स्नान क्या है?

पुष्कर स्नान एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है जो राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थल में कार्तिक मास की शुक्ल पूर्णिमा पर आयोजित किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं और अपने जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। पुष्कर में स्थित 52 स्नान घाटों में से कुछ घाटों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जैसे वराह घाट, ब्रह्म घाट, गव घाट, रूप तीरथ कुंड, नाग कुंड और कपिल व्यिपी कुंड।

पुष्कर स्नान कब है?

इस वर्ष पुष्कर स्नान 05 नवंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा, जो कि कार्तिक मास की शुक्ल पूर्णिमा पर पड़ता है।

  • पुष्कर स्नान- 05 नवंबर 2025, बुधवार
  • (कार्तिक, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा)

क्यों मनाते हैं पुष्कर स्नान?

पवित्रता और पुण्य: मान्यता है कि इस दिन पुष्कर सरोवर में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य लाभ: इस सरोवर में स्नान करने से त्वचा के रोग दूर होते हैं और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। धार्मिक महत्व: इस समय या अवधि में सरोवर में स्नान करने से सौ बार तपस्या करने के बराबर पुण्य फल मिलता है। विशेष घाट और कुंड:

  • वराह घाट: धार्मिक क्रियाओं के लिए प्रमुख।
  • ब्रह्म घाट: ब्रह्माजी से संबंधित अनुष्ठानों के लिए।
  • गव घाट: आशीर्वाद और पुण्य के लिए।
  • रूप तीरथ कुंड: सुंदरता के लिए।
  • कपिल व्यिपी कुंड: कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए।
  • मिराकंद मुनि कुंड: ज्ञान प्राप्ति के लिए।

धार्मिक उत्सव और मेला: पुष्कर स्नान के अवसर पर विशाल मेला लगता है, जो हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन माना जाता है इस प्रकार, पुष्कर स्नान अपने आप में पवित्रता, पुण्य और आध्यात्मिक लाभ का प्रतीक है, जिसे श्रद्धालु बड़े उत्साह और भक्ति के साथ करते हैं।

पुष्कर स्नान का महत्व

पुष्कर जी में स्थित पवित्र सरोवर में लोगों की गहरी आस्था है और इस सरोवर में डुबकी लगाने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस पावन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐसा माना जाता है, कि इस सरोवर में स्नान करने से त्वचा के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और निरोगी काया की प्राप्ति होती है। वहीं, इस सरोवर में 52 स्नान घाट है और इन सभी स्नान घाटों में से कुछ घाटों को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। उन महत्वपूर्ण घाटों के नाम इस प्रकार हैं - वराह घाट, ब्रह्म घाट तथा गव घाट जहां सभी घाटों के जल में प्रभावशाली शक्तियां समाहित हैं। इस सरोवर के नाग कुंड को प्रजनन क्षमता के लिए जाना जाता है। रूप तीरथ कुंड को सुंदरता के लिए, जबकि कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए कपिल व्यिपी कुंड का विशेष महत्व है। ज्ञान की प्राप्ति के लिए मिराकंद मुनि कुंड को वरदान प्राप्त है।

मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस समय या अवधि में इस पवित्र सरोवर में स्नान करता है और एक वराह अर्थात सूअर, जिसे विष्णु का अवतार माना जाता है, उस जीव के दर्शन करता है, उसे पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता है। वह व्यक्ति सदा के लिए स्वर्ग में आनंद से रहता है। इस सरोवर में स्नान करने से सौ बार तपस्या करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इसी विश्वास और गहरी आस्था को लेकर हजारों श्रद्धालु कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों में यहां आते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान कर पुण्य का लाभ उठाते है।

पुष्कर मेले में आना हिंदुओं के लिए एक तीर्थ यात्रा जैसा है। इस अवसर पर यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान और दर्शन करने आते हैं। माना जाता है, कि यह मेला सौ वर्षों से भी अधिक पहले से लगता आ रहा है। इन्हीं महत्वपूर्ण मान्यताओं और आस्था से जुड़ा होने के कारण यह स्थान तीर्थराज कहलाया जाता है, जो इस स्थान को और भी गौरवशाली बना देता है। पुष्कर स्नान के पांच दिनों में यहां विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है और इस मेले को धार्मिक मेले के रूप में देखा जाता है।

पुष्कर स्नान का शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:25 ए एम से 05:17 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:51 ए एम से 06:08 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:32 पी एम से 02:17 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:15 पी एम से 05:40 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:15 पी एम से 06:32 पी एम

अमृत काल

02:23 ए एम, नवम्बर 06 से 03:47 ए एम, नवम्बर 06

निशिता मुहूर्त

11:16 पी एम से 12:08 ए एम, नवम्बर 06

पुष्कर स्नान की शुरुआत कहां से हुई?

राजस्थान राज्य में स्थित पुष्कर जी को तीर्थराज अर्थात सभी तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कार्तिक के महीने में इस तीर्थ पर आने से और यहां के असीम फलदायक सरोवर में स्नान करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है। आज हम आपको इसी पुष्कर स्नान के बारे में बताने जा रहे हैं।

पुष्कर स्नान की शुरुआत कब हुई?

अजमेर जिले के पुष्कर कस्बे में एक पवित्र सरोवर है, पुष्कर! जिसका अर्थ होता है नीले कमल का फूल। इसी कमल के फूल से संबंधित है पुष्कर जी में स्थित सरोवर की उत्पत्ति। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परम पिता ब्रह्मा जी ने पुष्कर जी में एक कमल का फूल गिराया था, जिससे वहां पर जल की धारा फूटी थी और इस सरोवर का निर्माण हुआ था। ऐसा कहा जाता है, कि जगत पिता ब्रह्मा जी ने पांच दिनों तक इसी सरोवर के बीचों बीच यज्ञ किया था, इसीलिए इस सरोवर में स्नान करना विशेष फलदायक माना जाता है।

पुष्कर स्नान कहां पर मनाया जाता है?

पुष्कर स्नान, पुष्कर जी में स्थित पवित्र सरोवर में किया जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम पांच दिन देव उठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक, इस सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक आधार पर ऐसा कहते हैं, कि इस समय सरोवर में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए यह पांच दिन, इस सरोवर में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

सरोवर के निकट परमपिता ब्रह्मा जी का एक मंदिर भी है, जो विश्व में इकलौता ब्रह्मा जी का मंदिर है। इस दौरान यहां ब्रह्मा जी का भव्य श्रृंगार किया जाता है, फिर प्रातः 5:00 बजे महाआरती की जाती है और 101 किलो मेवों का महाभोग अर्पित किया जाता है। सरोवर में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और सभी इच्छाएं पूरी होती है।

पुष्कर झील का इतिहास

पुष्कर झील राजस्थान की एक पवित्र झील है और हिंदू धर्म में इसे विशेष स्थान प्राप्त है। यह झील राजस्थान में अजमेर से 11 किलोमीटर दूर तीर्थराज पुष्कर जी में स्थित है। माना जाता है कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस पवित्र पुष्कर झील में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस झील की उत्पत्ति एक कमल के पुष्प से हुई थी? तो आइये, आज हम आपको इस रोचक कहानी से अवगत कराते है।

पुराणों में पुष्कर झील का उल्लेख

धार्मिक ग्रंथ पद्म पुराण के अनुसार, एक बार जगत पिता ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर यज्ञ करने का विचार किया। उस समय ब्रजनाभ नामक एक राक्षस ने पृथ्वी पर हाहाकार मचा रखा था। उसके आतंक से संपूर्ण पृथ्वी लोक त्रस्त था। ऐसे में, देवताओं ने ब्रह्मा जी से सहायता मांगी और उनकी सुंदर और उत्तम स्तुति की थी।

फिर जब ब्रह्मा जी को इस बात का पता चला, तो वह चिंतित हो गए और उन्होंने पृथ्वी को ब्रजनाभ के आतंक से मुक्त करने का निश्चय कर लिया। ऐसे में, उन्होंने ब्रजनाभ पर अपने सबसे प्रिय कमल के पुष्प से प्रहार किया था, जिसके लगते ही वह असुर मृत्यु को प्राप्त हो गया। इस प्रकार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी को विनाशकारी दैत्य के भार से मुक्ति दिलाई थी।

इसके बाद, ब्रह्मा जी के इस पुष्प ने और क्या-क्या चमत्कार किए, आइए आपको उस पुष्कर झील से जुड़ा रोचक प्रसंग रोचक प्रसंग से परिचित कराते हैं-

धार्मिक आधार पर ऐसा कहा गया है, कि वह पुष्प राक्षस का वध करने के बाद पृथ्वी पर तीन जगह गिरा था। जहां पर भी वह पुष्प गिरा था, उन तीन स्थलों से जल की तीन धाराएं फूटी और वहां तीन अलग-अलग झील बहने लगी थी।

पहली झील का नाम जेष्ठ पुष्कर कहलाया, दूसरी झील का नाम मध्य पुष्कर और तीसरी झील को कनिष्ठ पुष्कर कहा गया था। इस वजह से, यह तीनों ही झील महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जेष्ठ पुष्कर झील में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था, इस कारण इस झील का महत्व अधिक है और इसकी गिनती भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में की जाती है। इस तरह पुष्कर जी में इस पावन झील की उत्पत्ति ब्रह्मा जी द्वारा एक कमल के पुष्प से हुई थी।

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, पुष्कर झील का अस्तित्व चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से है। यह भी कहा जाता है, कि 12वीं शताब्दी में लूनी नदी के ऊपर बांध बनाने के बाद से पुष्कर झील अस्तित्व में आई थी। तब बहुत से राजपूत राजाओं ने झील के आसपास के क्षेत्र में उत्थान का कार्य किया और बहुत से घाटों का निर्माण करवाया था, जिन्हें आज भी देखे जा सकते हैं।

यह थी पुष्कर स्नान से संबंधित जानकारी। उम्मीद है यहां उपलब्ध जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। ऐसे ही महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों के विषय में अवगत होने के लिए बने रहिए श्री मंदिर के साथ।

पुष्कर स्नान अवसर पर पूजा कैसे करें

स्नान से पूर्व तैयारी:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें।
  • स्नान से पहले घर की साफ-सफाई कर लें और पूजा की जगह तैयार करें।

स्नान:

  • पुष्कर सरोवर में पवित्र जल में स्नान करें।
  • यदि सरोवर न जा पाएं तो घर पर किसी पवित्र जलाशय में स्नान करके भी पुण्य फल प्राप्त किया जा सकता है।

पूजा सामग्री:

  • पुष्प, अक्षत (चावल), लाल चंदन, हल्दी, रोली, दीपक, और नैवेद्य।

पूजा विधि:

  • स्नान के बाद भगवान ब्रह्मा और सरोवर देवताओं की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • तांबे के लोटे में जल डालकर उसमें लाल चंदन, रोली, हल्दी मिलाकर भगवान को अर्पित करें।
  • दीप प्रज्वलित करें और मंत्रों का जप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते ब्रह्मणे”।
  • घर में अगर पुष्कर सरोवर की जल राशि लाकर अर्पित करें तो भी पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

दान और सेवा:

  • जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, खादी के कपड़े या दीपदान करें।
  • मेला स्थल पर सेवा करना भी पुण्य का कार्य माना जाता है।

पुष्कर स्नान करने से होने वाले लाभ

पापों का नाश और मोक्ष प्राप्ति:

  • इस दिन सरोवर में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य और आयु वृद्धि:

  • पुष्कर सरोवर में स्नान करने से त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती है और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

धार्मिक पुण्य:

  • इस स्नान से सौ बार तपस्या करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।
  • विशेष घाटों पर स्नान करने से अलग-अलग लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे सुंदरता, रोग मुक्ति और ज्ञान।

सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति:

  • स्नान और पूजा से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शक्ति का विकास होता है।

सामाजिक और धार्मिक मेलजोल:

  • पुष्कर मेले में भाग लेकर धार्मिक और सामाजिक सद्भाव का अनुभव मिलता है।

पुष्कर स्नान एक ऐसा अवसर है जिसमें भक्ति, पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति का संयोजन होता है। इसे श्रद्धा और भक्ति भाव से करने पर सभी लाभ प्राप्त होते हैं।

divider
Published by Sri Mandir·November 5, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook