शुक्रवार व्रत में उपयुक्त आहार और खाने की सामग्री
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शुक्रवार के व्रत में खाना कब खाना चाहिए?

शुक्रवार व्रत के दौरान सात्विक और हल्का आहार लेना चाहिए। यहां जानें, क्या खाएं और कैसे व्रत का सही पालन करें।

शुक्रवार व्रत के बारे में

शुक्रवार का व्रत करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। जिससे घर में पैसे की तंगी नहीं होती और घर-परिवार में शांति बनी रहती है। इस लेख में हम जानेंगे शुक्रवार के व्रत के नियमों के बारे में कि इस व्रत में आपको क्या खाना चाहिए? और किस समय खाना चाहिए?

शुक्रवार व्रत में क्या खाना चाहिए?

शुक्रवार के व्रत में भोजन करने का समय व्रत की परंपरा और नियमों पर निर्भर करता है। आमतौर पर, शुक्रवार के व्रत में भोजन को सूर्यास्त के बाद या पूजा के बाद ग्रहण किया जाता है। व्रत का भोजन पूजा समाप्त होने के बाद ही किया जाता है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित होता है। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार जिनका भी व्रत कर रहे हैं, उनकी पूजा करने के बाद ही भोजन को प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण करें। कई लोग सूर्यास्त के बाद भोजन करते हैं। हमारे पुराणों में यह मान्यता है कि पूरे दिन व्रत रखने से शरीर और मन पवित्र रहते हैं।

अगर आप पूरा दिन उपवास करते हैं, तो दिनभर फल या दूध का सेवन कर सकते हैं और शाम को व्रत का पारण करने के बाद हल्का और सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। व्रत के पारण में मसालेदार खाना न खाएं।

शुक्रवार के व्रत में कुछ लोग व्रत का पारण करने के बाद अपनी मर्जी से भोजन के बाद और भी कुछ खा लेते हैं। जबकि कुछ लोग गुरुवार की रात 12 बजे से शुक्रवार की रात 12 बजे तक व्रत को मानते हैं, और पूरे दिन में केवल एक या दो बार ही अन्न ग्रहण करते हैं।

शुक्रवार व्रत से जुड़ी खास बातें

  • संतोषी माता के व्रत में खट्टे पदार्थों का सेवन वर्जित है। खट्टे फल, दही, इमली, अचार, नींबू आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • लक्ष्मी माता के व्रत में: हल्का, सात्विक और बिना लहसुन-प्याज का भोजन करना चाहिए।
  • भोजन में फल, दूध और कंद जैसे कि साबूदाना जैसे पवित्र चीजों का सेवन किया जा सकता है। शाम में मीठे पदार्थ या फलाहार का सेवन करें।
  • शाम को व्रत खोलने के बाद ही अन्न ग्रहण करें। कई लोग दिनभर में सिर्फ एक ही समय भोजन करते हैं, या शाम की पूजा के बाद भी फलाहार या सिर्फ जल ही ग्रहण करते हैं।

सामान्य रूप से व्रत में खाने के विकल्प

  • फल (सेब, केला, पपीता आदि)। इस दिन खट्टे फलों का सेवन न करें।
  • दूध और दूध से बने उत्पाद
  • सिंघाड़े या कुट्टू के आटे की रोटी
  • आलू और मूंगफली से बनी चीजें
  • गुड़

शुक्रवार व्रत से जुड़ी परंपराएं

शुक्रवार के व्रत का महत्व

यह व्रत मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत का पूरी श्रद्धा से पालन करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाएँ करती हैं, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं।

व्रत की अवधि

कुछ लोग यह व्रत सिर्फ एक शुक्रवार करते हैं, जबकि अन्य इसे 16 शुक्रवार या नियमित रूप से हर शुक्रवार करते हैं। 16 शुक्रवार के व्रत को खासतौर पर शुभ और फलदायी माना जाता है। इसे विधिपूर्वक संपन्न करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

शुक्रवार व्रत के नियम और सावधानियां

  • व्रत के दौरान मन, वचन, और कर्म से शुद्ध रहें। किसी से झगड़ा न करें और किसी से कटु वचन न बोलें। 

  • इस दिन दान-पुण्य करने का महत्व है। गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें। माता के व्रत में श्रद्धा और भक्ति के साथ पालन करना अनिवार्य है।

  • कहा जाता है कि जो श्रद्धा और नियमपूर्वक यह व्रत करता है, उसके जीवन से दुख दूर हो जाते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती। संतोषी माता का व्रत जीवन में संतोष और सुख लाता है। 

  • इस दिन व्रत कथा का पाठ करना या सुनना अनिवार्य माना गया है। यह कथा व्रत की महिमा और फल दोनों को दोगुना कर देती है। 

  • शुकवार व्रत के पारण में इन बातों का अवश्य ध्यान रखें। 

ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिये श्रीमंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·February 12, 2025

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