शनि वज्रपंजर कवच
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शनि वज्रपंजर कवच

क्या आप जानते हैं कि शनि वज्रपंजर कवच के नियमित पाठ से जीवन के कष्ट, बाधाएं और ग्रह दोष शांत हो जाते हैं? जानिए इसकी पाठ विधि और अद्भुत फायदे।

शनि वज्रपंजर कवच के बारे में

शनि वज्रपंजर कवच एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने और उनके दुष्प्रभाव से बचाव हेतु पाठ किया जाता है। यह कवच वज्र समान सुरक्षा प्रदान करता है, जीवन में आने वाली बाधाओं, रोगों, शत्रु भय और आर्थिक संकटों से रक्षा करता है।

शनि वज्रपंजर कवच

शनि वज्रपंजर कवच विशेष रूप से शनि के तीव्र दूष्प्रभावों से रक्षा हेतु किया जाता है, जबकि शनि कवच सामान्य रूप से शनि देव की कृपा एवं सुरक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनि वज्रपंजर कवच एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जो शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि से रक्षा करता है व जीवन में संतुलन स्थापित करता है। इस कवच का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मबल और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।​

शनि वज्रपंजर कवच

विनियोगः

ॐ अस्य श्रीशनैश्वरवज्रपञ्जर कवचस्य कश्यप ऋषिः,

अनुष्टुप् छन्दः, श्री शनैश्वर देवता,

श्रीशनैश्वर प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः॥

ऋष्यादि न्यासः।

श्रीकश्यप ऋषये नमः शिरसि।

अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे।

श्रीशनैश्वर देवतायै नमः हृदि।

श्रीशनैश्वरप्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे॥

ध्यानम्।

नीलाभवर्णो नीलवपुः किरीटी गृध्रासनस्थको धनुर्धरः।

चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्यान्न मम शत्रवः प्रशान्ताः॥१॥

ब्रह्मा उवाच॥

शृणुक्ष्वमुनयः सर्वे शनिपीड़ाहरं महत्।

कवचं शनिराजस्य सौरीरिदं अनुत्तमम्॥२॥

कवचं देवतायुक्तं वज्रपञ्जरसंकुलम्।

शब्दब्रह्ममयं दिव्यं सर्वसिद्धिकरं नृणाम्॥३॥

ॐ श्रीशनैश्चरः पातु मां सूर्यनन्दनः।

नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमागजः॥४॥

नासा वैवस्वतः पातु पातु मुखं मे भास्करः सदा।

शिरः पातु मन्दः केशं पातु मन्दगतिर्मम॥५॥

स्कन्धौ पातु शनिश्शौरिः करो पातु प्रभाकरः।

बाहू पातु शनिः क्रोधी हृदयं पातु चासुरः॥६॥

नाभिं ग्रहपतिः पातु मन्दः पातु कटिं तथा।

ऊरू ममान्तकः पातु यमो जानुयुगं तथा॥७॥

पादौ मन्दगति पातु सर्वाङ्गं पातु पिप्पलः।

अङ्गोपाङ्गानि सर्वाणि रक्षेन्मे सूर्यनन्दनः॥८॥

इदं त्वशनैश्चरं दिव्यं पठनं सूर्यसून्यतः।

न तस्य जायते पीड़ा प्रीता भवति सूर्यजः॥९॥

व्यय-जन्तु-हितैः स्थानैः मृत्युस्थानगतोऽपि वा।

ककङ्करो गतेर्वापि सुतारिष्टं सदा शनिः॥१०॥

अभ्यर्च्य सूर्यसूनुं त्वं जप्यं जन्महितं जपेत्।

कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्॥११॥

इदं शनि कवचं दिव्यं सौरीनैश्चरमण्डितम्।

ब्रह्मर्षिभिः सहोत्कीर्णं सर्वाभीष्टफलप्रदम्॥१२॥

॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्म-नारदसंवादे शनि वज्रपंजर कवच सम्पूर्णम् ॥

शनि वज्रपंजर कवच का पाठ करने के लाभ

  • शनि दोष और साढ़ेसाती से मुक्ति : यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष हो, तो यह कवच उसके प्रभावों को कम करता है, एवं जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। ​
  • मानसिक शांति व आत्मविश्वास में वृद्धि : इस कवच का पाठ करने से मानसिक तनाव कम होता है, आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति में आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न होती है। ​
  • रोगों से रक्षा : शनि वज्रपंजर कवच का पाठ करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और विभिन्न रोगों से सुरक्षा मिलती है।
  • आर्थिक समस्याओं का समाधान : यह कवच आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है और धन संबंधित समस्याओं को दूर करता है। ​
  • न्यायिक मामलों में सफलता : शनि ग्रह न्याय के देवता हैं। इस कवच का पाठ करने से न्यायिक मामलों में सफलता मिलती है और कानूनी परेशानियों से राहत मिलती है। ​
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा : यह कवच नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और तांत्रिक प्रभावों से रक्षा करता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। ​
  • व्यक्तित्व में सुधार : शनि वज्रपंजर कवच का पाठ करने से व्यक्ति के व्यवहार में सुधार आता है, धैर्य और संयम की भावना विकसित होती है।

शनि वज्रपंजर कवच पाठ विधि

  • शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें – जैसे घर का मंदिर या एकांत स्थान। यदि संभव हो, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • शनिवार को या प्रतिदिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र, हो सके तो काले या नीले रंग के वस्त्र पहनें। मन को शांत करें और स्वयं को शनि देव की कृपा के योग्य मानें।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। अब शनिदेव को काले तिल, नीले फूल, लोहे का छोटा टुकड़ा एवं सरसों का तेल अर्पित करें।
  • अब ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र बीज मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें। इससे मन एकाग्र होता है और शनि देव का आह्वान करने में सहायता मिलती है।
  • शनि कवच का श्रद्धा और स्पष्ट उच्चारण से पाठ करें, शनि कवच संस्कृत में होता है, इसलिए उच्चारण शुद्ध हो तो उत्तम है, साथ ही पाठ करते समय अर्थ समझने की कोशिश करें।
  • पाठ के बाद शनि देव से जीवन की बाधाएं दूर करने, सद्बुद्धि देने, स्वास्थ्य, शांति और सफलता प्रदान करने की प्रार्थना करें।
  • पाठ के समय मोबाइल, टीवी या किसी भी व्याकुल करने वाली वस्तु से दूरी रखें। यदि संभव हो, शनिवार व्रत भी करें और सात्विक भोजन लें।
  • शनि वज्रपंजर कवच का नियमित पाठ जीवन में शांति, समृद्धि तथा आत्मविश्वास लाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके मानसिक और भौतिक रूप से दृढ़ता प्रदान करता है। श्रद्धा और विधि के साथ इसका पाठ करने से व्यक्ति शनिदेव की असीम कृपा प्राप्त कर सकता है।

श्री मंदिर पर ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियों का लाभ अवश्य लें। जय शनिदेव!

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Published by Sri Mandir·April 17, 2025

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