तारा प्रत्यंगिरा कवच
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तारा प्रत्यंगिरा कवच

क्या आप जानते हैं कि तारा प्रत्यंगिरा कवच का पाठ करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और देवी की कृपा प्राप्त होती है? जानें इसकी विधि, लाभ और शक्तिशाली श्लोक।

तारा प्रत्यंगिरा कवच के बारे में

तारा देवी वही जो तार दे. जी हां संसार की समस्याओं से पार लगाने वाली मां तारा की साधना हमें संसार की समस्याओं से राहत देती है। आइए इस लेख में मां तारा के तारा प्रत्यंगिरा कवच की महिमा को विस्तार से जानते हैं

तारा प्रत्यंगिरा कवच श्लोक

ईश्वर उवाच

ॐ तारायाः स्तम्भिनी देवी मोहिनी क्षोभिनी तथा ।

हस्तिनी भ्रामिनी रौद्री संहारण्यापि तारिणी ।

शक्तयोहष्टौ क्रमादेता शत्रुपक्षे नियोजितः ।

धारिता साधकेन्द्रेण सर्वशत्रु निवारिणी ।

ॐ स्तम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् स्तम्भय स्तम्भय ।

ॐ क्षोभिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् क्षोभय क्षोभय ।

ॐ मोहिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् मोहय मोहय ।

ॐ जृम्भिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् जृम्भय जृम्भय ।

ॐ भ्रामिनी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् भ्रामय भ्रामय ।

ॐ रौद्री स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् सन्तापय सन्तापय ।

ॐ संहारिणी स्त्रें स्त्रें मम शत्रुन् संहारय संहारय ।

ॐ तारिणी स्त्रें स्त्रें सर्व्वपद्भ्यः सर्व्वभूतेभ्यः सर्व्वत्र

रक्ष रक्ष मां स्वाहा ।।

य इमां धारयेत् विध्यां त्रिसन्ध्यं वापि यः पठेत् ।

स दुःखं दूरतस्त्यक्त्वा ह्यन्याच्छत्रुन् न संशयः ।

रणे राजकुले दुर्गे महाभये विपत्तिषु ।

विध्या प्रत्य़ञ्गिरा ह्येषा सर्व्वतो रक्षयेन्नरं ।।

अनया विध्या रक्षां कृत्वा यस्तु पठेत् सुधी ।

मन्त्राक्षरमपि ध्यायन् चिन्तयेत् नीलसरस्वतीं ।

अचिरे नैव तस्यासन् करस्था सर्व्वसिद्ध्यः

ॐ ह्रीं उग्रतारायै नीलसरस्वत्यै नमः ।।

इमं स्तवं धीयानो नित्यं धारयेन्नरः ।

सर्व्वतः सुखमाप्नोति सर्व्वत्रजयमाप्नुयात् ।

नक्कापि भयमाप्नोति सर्व्वत्रसुखमाप्नुयात् ।।

इति रूद्रयामले श्रीमदुग्रताराया प्रत्य़ञ्गिरा कवचम् समाप्तम् ।।

तारा प्रत्यंगिरा कवच: एक शक्तिशाली आध्यात्मिक सुरक्षा कवच

तारा प्रत्यंगिरा कवच एक अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक स्तोत्र है, जिसका संबंध माँ प्रत्यंगिरा देवी और तारा देवी से है। यह कवच साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं, शत्रुओं और दुष्ट शक्तियों से रक्षा प्रदान करता है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में विशेष बीज मंत्रों का प्रयोग किया गया है, जो साधक के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षात्मक घेरा बनाते हैं। यह कवच अत्यंत दुर्लभ है और विशेष साधकों द्वारा ही इसका उच्चारण किया जाता है।

तारा प्रत्यंगिरा कवच के लाभ

  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों, टोने-टोटके, बुरी नजर, और भूत-प्रेत बाधाओं से बचाता है।
  • शत्रु नाशक प्रभाव: इस कवच के पाठ से शत्रु नष्ट होते हैं या साधक के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल जाता है।
  • मानसिक शांति: यह कवच साधक के मन को स्थिरता और शांति प्रदान करता है, जिससे ध्यान और साधना में सफलता मिलती है।
  • व्यवसायिक एवं आर्थिक लाभ: इस कवच का नियमित पाठ करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
  • रोग और शारीरिक कष्टों से मुक्ति: इस कवच का जाप करने से शरीर और मन से जुड़े रोगों का नाश होता है और आयु में वृद्धि होती है।
  • अकाल मृत्यु से रक्षा: यह कवच अकाल मृत्यु और गंभीर संकटों से व्यक्ति को बचाने में सहायक है।
  • तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति: जो व्यक्ति किसी तांत्रिक बाधा, ऊपरी हवा या काले जादू से पीड़ित हो, उसे इस कवच का नियमित पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • संतान सुख की प्राप्ति: जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों, वे भी इस कवच का पाठ करें तो लाभ मिलता है।
  • सुख-समृद्धि में वृद्धि: घर में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए इस कवच का पाठ अत्यंत लाभकारी है।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: जो साधक इस कवच का नियमपूर्वक पाठ करता है, उसकी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और वह उच्च सिद्धियों की ओर अग्रसर होता है।

तारा प्रत्यंगिरा कवच पाठ विधि

  • शुद्धता और संकल्प: सबसे पहले, स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और माता प्रत्यंगिरा देवी का ध्यान करें।
  • पवित्र स्थान का चयन: किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  • माँ प्रत्यंगिरा की प्रतिमा या यंत्र के सामने दीपक जलाएं।
  • कवच का पाठ: नियमपूर्वक प्रतिदिन या विशेष तिथियों (अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्रि) पर इस कवच का पाठ करें।
  • जप संख्या: इस कवच का जाप 108 बार करने से अधिक लाभ मिलता है। यदि साधक अधिक लाभ प्राप्त करना चाहता है तो यह जाप 1008 बार किया जा सकता है।
  • नैवेद्य अर्पण: पाठ के बाद देवी को नैवेद्य अर्पित करें और अंत में आरती करें।
  • रक्षा सूत्र धारण: यदि संभव हो तो कवच पाठ के बाद एक पवित्र रक्षा सूत्र बांधें। यह नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • विशेष अनुष्ठान: यदि कोई व्यक्ति विशेष सिद्धि प्राप्त करना चाहता है, तो उसे किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में तारा प्रत्यंगिरा कवच का 41 दिनों तक अनुष्ठान करना चाहिए।
  • नियमितता: अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसे नियमित रूप से पढ़ना आवश्यक है।
  • व्रत और उपवास: कुछ साधक इस कवच के पाठ के दिन व्रत या उपवास रखते हैं जिससे उनकी साधना अधिक प्रभावशाली होती है।

जो साधक तारा प्रत्यंगिरा कवच का श्रद्धा और निष्ठा के साथ पाठ करता है, उसे माँ प्रत्यंगिरा और माँ तारा की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। यह कवच एक सिद्ध और तांत्रिक साधना का हिस्सा है, जो सही विधि और समर्पण से करने पर जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है।

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Published by Sri Mandir·April 9, 2025

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