यक्षिणी कवच
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यक्षिणी कवच

क्या आप तांत्रिक साधनाओं और अलौकिक शक्तियों में रुचि रखते हैं? यक्षिणी कवच का पाठ विशेष सिद्धियों, आकर्षण और समृद्धि दिलाने वाला माना गया है। जानिए इसकी पाठ विधि और रहस्यमयी फायदे।

यक्षिणी कवच के बारे में

यक्षिणी कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो साधक को अदृश्य बलों की रक्षा और इच्छित फल प्राप्त कराने की क्षमता रखता है। इस लेख में आप जानेंगे कि यक्षिणी कवच क्या है, इसके पाठ की विधि क्या है, साधना के लिए क्या नियम हैं।

यक्षिणी कवच क्या है?

यक्षिणियाँ दिव्य लोक की अद्भुत और अलौकिक शक्तियाँ मानी जाती हैं, जिनका उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। ये साधकों को सिद्धि, ऐश्वर्य, प्रेम, धन, और सौभाग्य प्रदान करती हैं। भारतीय तंत्र शास्त्रों में यक्षिणियों की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। उनके प्रसन्न होने पर साधक को अपार धन-समृद्धि और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। यक्षिणी कवच एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका नियमित रूप से पाठ करने से साधक को यक्षिणियों की कृपा प्राप्त होती है। यह कवच न केवल व्यक्ति को तांत्रिक बाधाओं, नकारात्मक ऊर्जा, और दुष्प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उसकी इच्छाओं को भी पूर्ण करने में सहायक होता है।

यक्षिणी कवच श्लोक 

॥ श्री उन्मत्त-भैरव उवाच ॥

श्रुणु कल्याणि ! मद्-वाक्यं, कवचं देव-दुर्लभं।

यक्षिणी-नायिकानां तु, संक्षेपात् सिद्धि-दायकं॥

ज्ञान-मात्रेण देवशि ! सिद्धिमाप्रोति निश्चितं।

यक्षिणी स्वयमायाति,

विनियोग 

ॐ अस्य श्रीयक्षिणी-कवचस्य श्रीगर्ग ऋषिः, गायत्री छन्दः,

श्री अमुकी यक्षिणी देवता, साक्षात् सिद्धि-समृद्ध्यर्थे पाठे विनियोगः।

ऋष्यादिन्यास 

श्रीगर्ग ऋषये नमः शिरसि,

गायत्री छन्दसे नमः मुखे,

श्री अमुकी यक्षिणी देवतायै नमः हृदि,

साक्षात् सिद्धि-समृद्ध्यर्थे पाठे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे।

॥ मूल पाठ ॥

शिरो मे यक्षिणी पातु, ललाटं यक्ष-कन्यका।

मुखं श्री धनदा पातु, कर्णौ मे कुल-नायिका॥

चक्षुषी वरदा पातु, नासिकां भूत-दर्शिनी।

केशाग्रं पिंगला पातु, धनदा श्रीमहेश्वरी॥

स्कन्धौ कुलालपा पातु, गलं मे कमलानना।

किरातिनी सदा पातु, भुज-युग्मं जटेधरी॥

विकृतार्या सदा पातु, महा-वज्र-प्रिया मम।

अस्त्र-हस्ता पातु नित्यं, पुष्पमुद्र-देशकम्॥

भेरुंडा माकरी देवी, हृदय पातु सर्वदा।

अलंकाराचिता पातु, मे नितम्ब-स्थलं दया।

धार्मिक गृहद्वारं मे, पाद-युग्मं सुरांगना।

शून्यागारे सदा पातु, मन्त्र-माता-स्वरूपिणी॥

निकम्बला सदा पातु, चामुण्डवदनी तुं।

लक्ष्मी-बीजात्मिका पातु, खड्ग-हस्ता श्मशानके।

शून्यागारे नदी-तीरे, महा-यक्षेश-कन्यका॥

पातु मां वरदायख्या मे, सर्वाङ्ग पातु मोहिनी।

महा-संकट-मध्ये तु, संग्रामे रिपु-सज्जये॥

क्रोध-रूपा सदा पातु, महा-देव निबेदिका।

सर्वत्र सर्वदा पातु, भवानी कुल-दायिका॥

इत्येतत् कवचं देवी! महा-यक्षिणी-प्रीतिदं।

अस्यापि स्मरणादेव, राजत्वं लभतेऽचिरात्॥

पञ्च-वर्ष-सहस्राणि, स्थिरो भवति भू-तले।

वेद-ज्ञानी सर्व-शास्त्र-वेत्ता भवति निश्चितम्।

अरण्ये सिद्धिमाप्नोति, महा-कवच-पाठतः।

यक्षिणी कुल-विद्या च, समायाति सु-सिद्धिदा।

अणिमा-लघिमा-प्राप्तिः, सुख-सिद्धि-फलं लभेत्।

पाठत्वा धारयित्वा च, निजनष्टशयम् अन्तरे॥

स्थित्वा जपेत्लक्ष-मन्त्रं मिष्ट-सिद्धिं लभेत्निशि।

भार्या भवति सा देवी, महा-कवच-पाठतः॥

गृहागोदेव सिद्धिः स्यान, नात्र कार्य विचारणा॥

।। इति वृहत्-भूत-डामरे महा-तन्त्रे श्रीमदुनमत-भैरवी-भैरव-संवादे यक्षिणी-नायिका-कवचम् ।।

यक्षिणी कवच का पाठ करने के लाभ 

  • धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति: यक्षिणियाँ धन और समृद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। इस कवच का नियमित पाठ करने से साधक को आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसे धन-वैभव की प्राप्ति होती है। व्यापार, नौकरी, और आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी है।

  • तांत्रिक व नकारात्मक प्रभावों से रक्षा: जो व्यक्ति किसी तांत्रिक बाधा, भूत-प्रेत बाधा, या नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हैं, उनके लिए यह कवच ढाल का कार्य करता है। यह बुरी नजर, टोना-टोटका और अन्य नकारात्मक शक्तियों से साधक को सुरक्षा प्रदान करता है।

  • सौंदर्य व आकर्षण की वृद्धि: यक्षिणियाँ दिव्य रूप और सौंदर्य की प्रतीक होती हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह कवच एक प्रभावशाली साधन है। इसका पाठ करने से साधक का आभामंडल तेजस्वी बनता है और उसमें विशेष आकर्षण उत्पन्न होता है।

  • सफलता व भाग्य में वृद्धि: जो व्यक्ति अपने जीवन में बार-बार असफलताओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है। इसका पाठ करने से भाग्य में वृद्धि होती है, नए अवसर प्राप्त होते हैं, और व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

  • मनोकामना पूर्ति: इस कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। विवाह, संतान, प्रेम, करियर, और अन्य इच्छाओं की पूर्ति के लिए यह अत्यंत प्रभावशाली साधन है।

  • मानसिक शांति व सुरक्षा: यह कवच न केवल बाहरी समस्याओं से बल्कि आंतरिक तनाव और चिंता से भी रक्षा करता है। इसका पाठ करने से मन शांत रहता है और व्यक्ति जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।

  • रहस्यमयी सिद्धियों की प्राप्ति: जो व्यक्ति गूढ़ विद्या और तांत्रिक साधनाओं में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह कवच विशेष रूप से प्रभावी है। यह साधक को विभिन्न प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति में सहायता करता है।

यक्षिणी कवच पाठ विधि

  • यक्षिणी कवच का पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत करके पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।

  • इस कवच का पाठ एकांत, शांत और शुद्ध स्थान पर करना चाहिए। यदि संभव हो तो इसे किसी मंदिर या पूजा स्थल में करें।

  • यक्षिणी की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ से पहले दीपक जलाएँ, धूप-अगरबत्ती अर्पित करें और पुष्प चढ़ाएँ।

  • रात्रि के समय या विशेष तांत्रिक मुहूर्त में इस कवच का पाठ करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। यदि संभव हो तो शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन इसका पाठ करें।

  • इस कवच के पाठ के लिए रुद्राक्ष या कमल गट्टे की माला का उपयोग करना अधिक प्रभावी माना जाता है।

  • इसे कम से कम 11 बार, 21 दिन तक लगातार करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यदि साधक इसे 108 बार जपता है, तो उसे निश्चित रूप से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

  • इस कवच के प्रभाव को बढ़ाने के लिए साधना काल में मांस, मदिरा और अन्य नकारात्मक खाद्य पदार्थों से परहेज करें। सात्विक भोजन ग्रहण करें और मन को शुद्ध रखें।

  • किसी भी मंत्र या स्तोत्र का प्रभाव तभी होता है जब उसे पूरी श्रद्धा, निष्ठा और विश्वास के साथ पढ़ा जाए। इस कवच को पढ़ते समय मन में कोई संशय न रखें।

यक्षिणी कवच अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी कवच है, जो व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, सफलता, और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्राप्त करता है, बल्कि उसे तांत्रिक और नकारात्मक शक्ति से भी सुरक्षा मिलती है। पूरे नियम से इस कवच का पाठ करने पर साधक को यक्षिणी की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

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Published by Sri Mandir·April 14, 2025

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