इस विशेष पूजा से देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें और नवरात्रि में अपने घर में सुख-समृद्धि लाएं
नवरात्रि के दौरान घर में अखंड ज्योत जलाना, तपस्या और माता के प्रति असीम आस्था का प्रतीक है। अखंड ज्योत स्वयं माता का स्वरूप होती हैं और इसकी रोशनी भक्तों के जीवन के सभी अंधकारों को दूर कर देती है। अगर आप भी इस बार नवरात्रि में भक्ति की यह लौ जलाना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल जरूर पढ़ें।
अखंड ज्योत का अर्थ है जो कभी खंडित न हो, जितने दिनों तक का हम संकल्प लें, उतने दिनों तक यह दीपक निरंतर जलता रहे। नवरात्रि में इसे 9 दिनों तक लगातार जलाया जाता है और ऐसा करना बेहद शुभ माना गया है, चलिए अब जानते हैं कि इसे प्रज्वलित करने का क्या महत्व है और इससे आपको क्या लाभ मिलते हैं।
हिंदू धर्म में अग्नि को साक्षी मानकर धार्मिक कार्य करने की परंपरा है। नवरात्रि के दौरान भी जो अखंड ज्योति हम जलाते हैं वह आपके संकल्प, व्रत, पूजा और सभी धार्मिक अनुष्ठानों की साक्षी होती है। साथ ही यह माता के प्रति भक्तों की साधना का भी प्रतीक होती है।
अत्यंत पवित्र होने के कारण अखंड ज्योति को जलाने के कई लाभ होते हैं। कहते हैं कि इसे जलाने से हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है, और घर में सुख-शांति का प्रवेश होता है। अखंड ज्योति जलाने से घर का वातावरण भी शुद्ध होता है और समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा इससे माता रानी की विशेष कृपा भी अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है।
अखंड ज्योति को जलाने के लाभ तो कई हैं, लेकिन साथ ही यह भी अत्यंत आवश्यक है इसे जलाने से पहले भक्तों को इससे संबंधित नियमों का ज्ञान हो। इसलिए अब हम आपको अखंड ज्योति जलाने के नियमों के बारे में बताएंगे।
आप अगर मिट्टी का दीपक जला रहे हैं तो यह ज़रूर सुनिश्चित कर लें कि वह दीपक खंडित न हो। ऐसा माना जाता है कि टूटे हुए दीपक को जलाने से घर में दरिद्रता आती है।
अखंड ज्योति की स्थापना के बाद रोज़ माता के साथ दीपक का भी पूजन करें। पूजा के समय अखंड ज्योत को भी पूजन सामग्री और भोग अवश्य अर्पित करें।
इसके साथ ही, इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि एक बार अखंड ज्योत जलाने के बाद घर को पूरी तरह से बंद नहीं करना होता है। साथ ही अखंड ज्योति जलाने के बाद घर में किसी न किसी सदस्य का होना ज़रूरी होता है। अगर आप अकेले रहते हैं या फिर काम से बाहर जाते हैं तो किसी मंदिर में इसका स्थापना करवा सकते हैं, लेकिन इसे अकेला कदापि न छोड़ें।
अखंड ज्योत की स्थापना के समय और उसके बाद आप इन नियमों का ध्यान ज़रूर रखें, चलिए अब जान लेते हैं कि इसे स्थापित करने की विधि क्या होती है।
जो चौकी आपने माता की प्रतिमा के लिए स्थापित की थी, उसी पर अखंड ज्योत की भी स्थापना की जाएगी।
अखंड ज्योति की स्थापना के लिए सबसे पहले अष्टदल यानी 8 पंखुड़ियों वाले फूल का आसन बनाएं। आप चाहें तो अक्षत को हल्दी या लाल रंग से रंग भी सकते हैं।
इस अष्टदल को आप सीधे चौकी पर भी बना सकते हैं और किसी पात्र में भी बना कर, उसके ऊपर भी अखंड ज्योत स्थापित कर सकते हैं।
अब इस अष्टदल पर दीपक को रखें। आप अखंड ज्योत जलाने के लिए मिट्टी या फिर तांबे के दीपक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके बाद आप दीपक में बाती डालें और गाय का शुद्ध घी डालें। घी के अलावा आप शुद्ध तिल के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।
ऐसी मान्यता भी है कि अगर दीपक घी का है तो उसे माता के दाएं तरफ जलाया जाता है और अगर दीपक तेल का हो तो उसे बाएं ओर जलाया जाता है। अगर आप मिट्टी के दीपक का प्रयोग कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि उसमें बाती का मुख माता की तरफ यानी पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर दीपक तांबे का है तो उसमें बाती का मुख हमेशा सीधा ही होता है।
भो दीप देवस्वरुपस्त्वं कर्म साक्षी सविघ्नकृत। यावत्कर्म समाप्तिः स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव॥
अर्थात्, जब तक व्रत समाप्त न हो, तब तक आप स्थिर रहे।
इस प्रकार पूजन स्थल पर अखंड ज्योत प्रज्वलित हो जाएगी। अब आप दीपक को तिलक लगाएं, और उन्हें अक्षत, पुष्प, रोली, मौली, और भोग अर्पित करें।
साथ ही आप अपनी भूल चूक के लिए माफी मांगे और उनसे यह प्रार्थना करें कि वह इसी प्रकार 9 दिनों तक जलते रहें। माता जी से भी दीपक की रक्षा की प्रार्थना करें। अखंड ज्योत जलाने की विधि तो आपने जान ली लेकिन इसमें आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए, उसके बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है, तो चलिए जानते हैं कि आप किन चीज़ों का विशेष रूप से ध्यान रखें
अगर आप मिट्टी के दीपक का प्रयोग कर रहे हैं तो उसे 1 दिन के लिए पानी में अवश्य भिगो कर रखें और उसके बाद दीपक को सुखा लें, ताकि वह घी को न सोखे। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि दीपक का आकार बड़ा होना चाहिए, छोटा नहीं।
दीपक के अलावा बाती से जूड़ी हुई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना भी काफी ज़रूरी होता है। आप अखंड ज्योत की बाती बाज़ार से खरीद सकते हैं या फिर घर में रुई या फिर मौली से बाती बना सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि मौली सिंथेटिक धागे से न बनी हो, केवल सूती मौली का उपयोग करें।
बाती की लंबाई का भी विशेष ध्यान रखें, यह इतनी बड़ी होनी चाहिए कि 9 दिनों तक निरंतर जलती रहे। कहते हैं कि अखंड ज्योत में सवा हाथ की बाती का प्रयोग करना चाहिए, यानी उसकी लंबाई आपके हाथ से लेकर कोहनी के थोड़ा ऊपर तक होनी चाहिए। हाथ से बाती को बटते वक्त उसकी चौड़ाई का भी ध्यान रखें, यह न तो ज़्यादा मोटी होनी चाहिए और न ही ज़्यादा पतली।
अखंड ज्योत के जलने के बाद, उसकी रक्षा करना भी आवश्यक होता है, पहले तो कोशिश करें कि उसे ऐसे स्थान पर न स्थापित करें, जहां हवा अधिक लगती हो, और अगर फिर भी हवा लगने की कोई गुंजाइश हो तो उसे कांच के ग्लास जैसे आकार वाले पात्र से ढक दीजिए। यह आसानी से बाज़ार में मिल जाता है।
अखंड ज्योत को जलाने के बाद बाती पर कालिख जमने लगती है, जिसे हटाना होता है, जिससे दीपक की ज्योत लगातार जलती रहे। इसके अलावा बाती को जलने के लिए आगे भी बढ़ाना होता है, इसके लिए आप एक छोटे से प्लकर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप कालिख भी हटा सकते हैं और बाती को आगे भी बढ़ा सकते हैं। कई लोग इसके लिए लकड़ी का भी प्रयोग करते हैं, लेकिन प्लकर से यह करना काफी आसान होता है।
बाती को आगे बढ़ाते वक्त कई लोगों से लौ बुझ जाती है। आज हम इससे भी बचने का उपाय आपको बताएंगे, आप हमेशा बाती को आगे बढ़ाने या कालिख हटाने से पहले अखंड ज्योत की लौ से एक उप-दीपक जला लें, इससे अगर भूलवश दीपक बुझ भी जाता है तो उसे इस उप-दीपक से पुनः प्रज्वलित किया जा सकता है। इसके पश्चात् उस उप-दीपक को घी में विलीन कर दें।
जितना महत्वपूर्ण अखंड ज्योत को जलाना है, उतना ही महत्वपूर्ण उसकी देख-रेख करना भी है। सभी भक्तजन इन बातों का निश्चित रूप से ख्याल रखें। अगर इन सब सावधानियों का बरतने के बावजूद भी भूलवश दीपक बुझ जाए तो क्या कर सकते हैं, चलिए इस बारे में भी जान लेते हैं।
हमें यथाशक्ति दीपक को जलाए रखने का प्रयास करना चाहिए, यदि फिर भी वह बुझ जाए तो माता रानी से क्षमा मांग कर अखंड ज्योत को दोबारा प्रज्वलित कर लेना चाहिए। और इसके बाद देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ कर लेना चाहिए। माता रानी तो जग जननी हैं, वह अपने भक्तों द्वारा अनजाने में हुई गलतियों को क्षमा कर देती हैं।
चलिए अब आगे बढ़ते हुए जानते हैं कि अगर आप अपने अखंड ज्योत नहीं जला पा रहे हैं तो ऐसी परिस्थिती में आप माता के मंदिर या शक्तिपीठ में दीपक जलवा सकते हैं। संभव हो पाए तो आप शाम में मंदिर की आरती में ज़रूर शामिल हों।
तो यह थी अखंड ज्योत जलाने से संबंधित सभी ज़रूरी बातें। हम आशा करते हैं आपकी भक्ति की यह लौ जलती रहे। आप श्रीमंदिर से जुड़े रहें।
Did you like this article?
9 अप्रैल 2024, मंगलवार इस विधि से करें घटस्थापना
नवरात्रि का नौवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ सिद्धिदात्री की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
नवरात्रि का आठवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ महागौरी की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।