भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् | Shiva Shatanam Namavali Stotram
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भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् | Shiva Shatanam Namavali Stotram

इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति, बाधा नाश, आरोग्य, सुरक्षा तथा दिव्य कृपा का लाभ प्राप्त होता है। यहां पढ़ें इसका संपूर्ण पाठ और महत्व।

भगवान शिव शतनाम के बारे में

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् भगवान शिव के 100 दिव्य नामों का एक पवित्र स्तोत्र है, जिसमें उनके विभिन्न रूपों, शक्तियों और गुणों का वर्णन मिलता है। इसका पाठ मन, तन और जीवन को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है तथा सभी प्रकार के भय और बाधाओं को दूर करता है। श्रद्धा से जप करने पर शिव कृपा, सौभाग्य और संरक्षण प्राप्त होता है।

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् (Lord Shiva Satanam-Namavali Stotram)

हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों के देव महादेव के नाम से पुकारा जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव ऐसे देव हैं जिनकी अगर विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की जाए तो वे बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव को स्वयंभू भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है कि वह मानव शरीर से पैदा नहीं हुए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस संसार में जब कोई नहीं था तब भगवान शिव थे, इसलिए जब इस संसार से हर चीज नष्ट हो जाएगी, तब भी वे अस्तित्व में रहेंगे। इसी वजह से उन्हें आदिदेव भी कहते हैं।

भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा करने के साथ चालीसा, मंत्रों और उनके 108 नामों का जाप भी करना चाहिए। जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान शिव को भोलेनाथ, बाबा, शिव शंकर सहित कई नामों से पुकारा जाता है। ऐसे ही भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् में शिव जी के 108 नामों का वर्णन किया गया है। हर नाम का अपना अलग महत्व है। कहते हैं कि इन नामों का जाप करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् का महत्व

भगवान शिव के 108 नामों की उत्पत्ति के बारे में एक कथा बहुत प्रचलित है। पौराणिक कथा के अनुसार, क्षीरसागर में जब भगवान विष्णु योग निद्रा में थे जब उनकी नाभि से कमल के साथ परमपिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई, जिसके बाद कई सालों तक ब्रह्मा जी विष्णु जी के जागने का इंतजार करते रहे। एक दिन भगवान शिव अग्निमय ज्योतिर्लिंग के रूप में परमपिता के सामने प्रकट हुए तो ब्रह्मा जी ने उन्हें नमस्कार नहीं किया। इसी दौरान भगवान विष्णु जी भी निद्रा से जाग गए और उन्होंने भगवान शिव को प्रणाम किया। यह देख ब्रह्मा जी भगवान शिव के प्रताप से अवगत हुए और उन्होंने अपनी भूल मानकर शिव जी से क्षमा मांगी, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें सृष्टि के रचना करने का काम सौंप दिया और विष्णु जी को संसार के संचार करने के लिए कहा। भगवान शिव की बात सुन विष्णु जी ने कहा- सृष्टि के संचार के लिए सृष्टि का नाश भी जरूरी है, जिसका जिम्मा खुद शिव जी ने लेने का निर्णय लिया। ऐसे में ब्रह्मा जी ने शिवजी से कहा- सृष्टि के आरंभ के पहले ही वह उन्हीं से उत्पन्न हो।

इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु जी दोनों तप में लीन हो गए। तप करने के बाद ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का संकल्प लिया, इसी दौरान वरदान के अनुसार उनके शरीर से भगवान शिव बालक के रूप में उत्पन्न हुए। जन्म लेते ही वे जोर-जोर से रोने लगे। इस पर ब्रह्मा जी ने उनसे पूछा कि आखिर वे क्यों रो रहे हैं? तब बाल स्वरूप भगवान शिव ने कहा- मेरा कोई नाम नहीं है, जिस पर ब्रह्मा जी ने उन्हें रुद्र नाम दिया, लेकिन बाल स्वरूप शिव जी का रोना फिर भी नहीं रुका। तब ब्रह्मदेव ने उन्हें शर्व, भव, उग्र, पशुपति, ईशान और महादेव नाम दिए। लेकिन उनका रोना फिर भी जारी रहा। यह देख ब्रह्मा जी ने 108 नामों से उनकी स्तुति की तब जाकर वे शांत हुए। तभी से भगवान शिव के 108 नाम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। अगर सच्चे मन से सोमवार को इन 108 नामों का जाप करते हुए भगवान शिव को जल चढ़ाया जाए या शिव के इन नामों का साधारण जाप किया जाए तो कठिन से कठिन काम भी संवर जाता है।

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्र पढ़ने के फायदे

  • भगवान शिव के नामों के जाप से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, अगर कोई मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति चाहता है तो उसे नियमित रूप से इन नामों का जाप करना चाहिए।

  • मान्यता है कि महादेव का नाम जाप करते रहने से बड़ी से बड़ी समस्या टल जाती है। हर प्रकार की विपदा दूर हो जाती है।

  • माना जाता है कि महादेव के नाम के जाप से लंबे समय से बीमार व्यक्ति भी ठीक हो जाता है।

  • मान्यता है कि भगवान के महेश नाम के जाप से व्यक्ति को अपने व्यापार में जल्द ही सफलता प्राप्त होती है।

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान के नटराज नाम का जाप करने से मान सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है।

  • माना जाता है कि भगवान शिव के रुद्र नाम का जाप करने से उग्र स्वभाव के बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है।

  • भगवान शिव की विधिवत पूजा के साथ उनके 108 नामों का जाप करने से घर में सुख समृद्धि आती है।

  • मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से भगवान शिव के नामों का जाप करता है ​तो उसे रोग, भय और दोष से छुटकारा मिल जाता।

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् का हिंदी अर्थ

ॐ शिवाय नमः ॥

अर्थ: पवित्रता का स्त्रोत

ॐ महेश्वराय नमः ॥

अर्थ: देवताओं के भगवान

ॐ शंभवे नमः ॥

अर्थ: समृधि के प्रदाता

ॐ पिनाकिने नमः ॥

अर्थ: धनुष धारी

ॐ शशिशेखराय नमः ॥

अर्थ: ऐसे भगवान जो अपने बालों में अर्ध चंद्रमा को धारण करके रखते हैं

ॐ वामदेवाय नमः ॥

अर्थ: ऐसे भगवान जो आकर्षक और शुभ हैं

ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥

अर्थ: तिर्यक आंखों के साथ

ॐ कपर्दिने नमः ॥

अर्थ: घने उलझे हुए बालों वाले भगवान

ॐ नीललोहिताय नमः ॥

अर्थ: लाल और नीले रंग वाले भगवान

ॐ शंकराय नमः ॥

अर्थ: सुख और समृद्धि प्रदाता

ॐ शूलपाणये नमः ॥

अर्थ: त्रिशूलधारी

ॐ खट्वांगिने नमः ॥

अर्थ: सिर में केश का गाठ लिए हुए

ॐ विष्णु वल्लभाय नमः ॥

अर्थ: विष्णु के प्रिय

ॐ शिपिविष्टाय नमः ॥

अर्थ: प्रकाश की किरणों का उत्सर्जन करते प्रभु

ॐ अंबिकानाथाय नमः ॥

अर्थ: माता अंबिका / पार्वती के नाथ या पति

ॐ श्रीकंठाय नमः ॥

अर्थ: गौरवशाली सुंदर कंठ के भगवान

ॐ भक्तवत्सलाय नमः ॥

अर्थ: अपने भक्तों का हमेशा ख्याल रखने वाले

ॐ भवाय नमः ॥

अर्थ: एक ऐसे भगवान जो स्वयं ही अस्तित्व हैं

ॐ शर्वाय नमः ॥

अर्थ: सभी दुख कष्ट हरता

ॐ त्रिलोकेशाय नमः ॥

अर्थ: तीनों लोकों के भगवान

ॐ शितिकंठाय नमः ॥

अर्थ: श्वेत रंग के गले वाले भगवान

ॐ शिवाप्रियाय नमः ॥

अर्थ: पार्वती के प्रिय

ॐ उग्राय नमः ॥

अर्थ: अत्यंत भयंकर प्रकृति

ॐ कपालिने नमः ॥

अर्थ: खोपड़ी की माला पहनने वाले भोलेनाथ

ॐ कौमारये नमः ॥

अर्थ: कामदेव के दुश्मन

ॐ अंधकासुर सूदनाय नमः ॥

अर्थ: अंधकासुर का वध करने वाले

ॐ गंगाधराय नमः ॥

अर्थ: गंगा की धारा को अपने सिर पर रखने वाले भगवान

ॐ ललाटाक्षाय नमः ॥

अर्थ: अपने माथे पर तीसरी आंख रखने वाले

ॐ कालकालाय नमः ॥

अर्थ: वो काल के भी काल हैं

ॐ कृपानिधये नमः ॥

अर्थ: करुणा और कृपा से भरे हुए नाथ या प्रभु

ॐ भीमाय नमः ॥

अर्थ: भयभीत रूप वाले शिवजी

ॐ परशुहस्ताय नमः ॥

अर्थ: कुल्हाड़ी धारक भगवान

ॐ मृगपाणये नमः ॥

अर्थ: एक ऐसे भगवान जिनके हाथों में हिरण है

ॐ जटाधराय नमः ॥

अर्थ: जटाधारी बाबा शिवजी

ॐ क्तेलासवासिने नमः ॥

अर्थ: कैलाश निवासी भगवान

ॐ कवचिने नमः ॥

अर्थ: कवचधारी भगवान

ॐ कठोराय नमः ॥

अर्थ: बलशाली शरीर वाले

ॐ त्रिपुरांतकाय नमः ॥

अर्थ: त्रिपुरासुर का वध करने वाले

ॐ वृषांकाय नमः ॥

अर्थ: एक ऐसे भगवान जिनके पास बैल के प्रतीक वाला दरवाजा है

ॐ वृषभारूढाय नमः ॥

अर्थ: बैल की सवारी करने वाले भगवान

ॐ भस्मोद्धूलित विग्रहाय नमः ॥

अर्थ: जो अपने शरीर पर भष्म लगाते हैं

ॐ सामप्रियाय नमः ॥

अर्थ: जो समानता से प्रेम करते हैं

ॐ स्वरमयाय नमः ॥

अर्थ: सभी 7 लेखों में हैं

ॐ त्रयीमूर्तये नमः ॥

अर्थ: जो वेदों के रूप हैं

ॐ अनीश्वराय नमः ॥

अर्थ: जिससे बड़ा कोई भगवान नहीं है

ॐ सर्वज्ञाय नमः ॥

अर्थ: जो हर चीज के ज्ञाता हैं, जिन्हें सब कुछ पता है

ॐ परमात्मने नमः ॥

अर्थ: सभी की आत्मा में बसने वाले भगवान

ॐ सोमसूर्याग्नि लोचनाय नमः ॥

अर्थ: जिनके त्रिनेत्र सूर्य, चंद्रमा और अग्नि का रूप है

ॐ हविषे नमः ॥

अर्थ: आहुति को ही जो अपनी संपत्ति मानते हैं

ॐ यज्ञमयाय नमः ॥

अर्थ: जो सभी कुर्बानी संस्कारों में हैं

ॐ सोमाय नमः ॥

अर्थ: जिसमें उमा का रूप भी समाहित है

ॐ पंचवक्त्राय नमः ॥

अर्थ: पंच क्रियाओं के भगवान

ॐ सदाशिवाय नमः ॥

अर्थ: जो हमेशा शुभ का प्रतीक हैं

ॐ विश्वेश्वराय नमः ॥

अर्थ: ब्रह्मांड के भगवान

ॐ वीरभद्राय नमः ॥

अर्थ: जो हिंसक और शांतिपूर्ण दोनो हैं

ॐ गणनाथाय नमः ॥

अर्थ: गणों के नाथ

ॐ प्रजापतये नमः ॥

अर्थ: वंश के सृष्टिकर्ता

ॐ हिरण्यरेतसे नमः ॥

अर्थ: स्वर्ण आत्माओं को उत्पन्न करने वाले

ॐ दुर्धर्षाय नमः ॥

अर्थ: जो अजेय हैं

ॐ गिरीशाय नमः ॥

अर्थ: पर्वतों के भगवान

ॐ गिरिशाय नमः ॥

अर्थ: कैलाश पर्वत पर रहने वाले प्रभु

ॐ अनघाय नमः ॥

अर्थ: जो पवित्र हैं

ॐ भुजंग भूषणाय नमः ॥

अर्थ: सांपों को धारण करने वाले

ॐ भर्गाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो सभी पापों को खत्म कर देते हैं

ॐ गिरिधन्वने नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनका शस्त्र एक पर्वत है

ॐ गिरिप्रियाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जिन्हें पहाड़ पसंद है

ॐ कृत्तिवाससे नमः ॥

अर्थ: भगवान जो जानवर के चमड़े के कपड़े पहनते हैं

ॐ पुरारातये नमः ॥

अर्थ: पुर नाम के दुश्मन का संहार करने वाले

ॐ भगवते नमः ॥

अर्थ: समृद्धि के भगवान

ॐ प्रमधाधिपाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनकी सेवा भूत प्रेत करते हैं

ॐ मृत्युंजयाय नमः ॥

अर्थ: मौत पर जिन्होंने विजय प्राप्त की है

ॐ सूक्ष्मतनवे नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनका छोटा शरीर है

ॐ जगद्व्यापिने नमः ॥

अर्थ: भगवान जो जगत में रहते हैं

ॐ जगद्गुरवे नमः ॥

अर्थ: पूरी पृथ्वी के जो गुरु हैं

ॐ व्योमकेशाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनके केश आसमान तक फैले हैं

ॐ महासेन जनकाय नमः ॥

अर्थ: जो कार्तिक के पिता हैं

ॐ चारुविक्रमाय नमः ॥

अर्थ: भटकते तीर्थयात्रियों के जो अभिभावक हैं

ॐ रुद्राय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो अपने भक्तों के दु:खों को देखकर दुखी हो जाते हैं

ॐ भूतपतये नमः ॥

अर्थ: पंचभूतों और प्रेतों के भगवान

ॐ स्थाणवे नमः ॥

अर्थ: जो भगवान स्थिर हैं

ॐ अहिर्भुथ्न्याय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो कुण्डलिनी के अधिकारी हैं

ॐ दिगंबराय नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनका वस्त्र ब्रह्मांड है

ॐ अष्टमूर्तये नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनके 8 रूप हैं

ॐ अनेकात्मने नमः ॥

अर्थ: भगवान जिनके कई रूप हैं

ॐ स्वात्त्विकाय नमः ॥

अर्थ: ऐसे भगवान जिनके पास असीम ऊर्जा है

ॐ शुद्धविग्रहाय नमः ॥

अर्थ: पवित्र आत्मा

ॐ शाश्वताय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो अनंत और अंतहीन हैं

ॐ खंडपरशवे नमः ॥

अर्थ: भगवान जो टूटी हुई कुल्हाड़ी पहनते हैं

ॐ अजाय नमः ॥

अर्थ: वो जो असीम हैं

ॐ पाशविमोचकाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो सभी का बेड़ा पार कर देते हैं

ॐ मृडाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो दयावान हैं

ॐ पशुपतये नमः ॥

अर्थ: जानवरों के भगवान

ॐ देवाय नमः ॥

अर्थ: देवों के देव

ॐ महादेवाय नमः ॥

अर्थ: सभी भगवानों में प्रमुख

ॐ अव्ययाय नमः ॥

अर्थ: जो अपना विषय नहीं बदलते

ॐ हरये नमः ॥

अर्थ: भगवान विष्णु के समान

ॐ पूषदंतभिदे नमः ॥

अर्थ: जिन्होंने पूसा को सजा दिया

ॐ अव्यग्राय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो स्थिर और अटूट हैं

ॐ दक्षाध्वरहराय नमः ॥

अर्थ: दक्षा अभिमानी यज्ञ का नाश

ॐ हराय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो सभी बंधन और पापों को खत्म कर देते हैं

ॐ भगनेत्रभिदे नमः ॥

अर्थ: भगवान जिन्होंने भगा की आंखों को क्षतिग्रस्त किया

ॐ अव्यक्ताय नमः ॥

अर्थ: शिवजी एक अनदेखी शक्ति हैं

ॐ सहस्राक्षाय नमः ॥

अर्थ: जिनके अनगिनत रूप हैं

ॐ सहस्रपादे नमः ॥

अर्थ: भगवान जो सभी जगह मौजूद हैं

ॐ अपपर्गप्रदाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो सब कुछ देते हैं और लेते भी हैं

ॐ अनंताय नमः ॥

अर्थ: भगवान जोकि अंतहीन हैं

ॐ तारकाय नमः ॥

अर्थ: भगवान जो मानव जाति के महान मुक्ति दाता हैं

ॐ परमेश्वराय नमः ॥

अर्थ: महान परमेश्वर

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Published by Sri Mandir·November 16, 2025

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