
जगद्धात्री पूजा 2025: जानिए पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, विधि और लाभ! माँ की कृपा से मिलेगा सुख और समृद्धि।
पुराणों में माता जगद्धात्री को आदिशक्ति माँ दुर्गा का अवतार माना गया है। जगद्धात्री का अर्थ होता है ‘जगत की माँ’ या ‘जगत की धारक’। अर्थात जिसने इस पूरी सृष्टि को धारण किया है, वो हैं माता जगद्धात्री। आज हम जानेंगे जगद्धात्री पूजा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। जगद्धात्री पूजा की ये विशेष पूजा अक्षय नवमी के दिन की जाती है।
जगद्धात्री पूजा माता जगद्धात्री देवी को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से दशमी तक चलता है। षष्ठी को माता का आगमन होता है और दशमी को विसर्जन किया जाता है।
हालांकि कई स्थानों पर जगद्धात्री पूजा केवल नवमी के दिन ही की जाती है। माता जगद्धात्री, देवी दुर्गा का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं, जिन्हें “जगत की धारिणी” कहा गया है अर्थात् वह शक्ति जो संपूर्ण ब्रह्मांड का पालन-पोषण करती हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:14 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:48 ए एम से 06:05 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:19 ए एम से 12:04 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:33 पी एम से 02:18 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:18 पी एम से 05:43 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:18 पी एम से 06:34 पी एम |
अमृत काल | 08:19 ए एम से 09:56 ए एम |
निशिता मुहूर्त | 11:16 पी एम से 12:07 ए एम, नवम्बर 01 |
जगद्धात्री पूजा माता जगद्धात्री को समर्पित एक विशेष पर्व है जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में मनाया जाता है। यह त्योहार कुल पांच दिनों तक चलता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को माता जगद्धात्री का आगमन होता है और दशमी के दिन माँ को विसर्जित किया जाता है। हालांकि, ज्यादातर जगहों पर जगद्धात्री पूजा एकदिवसीय त्योहार के रूप में, केवल नवमी के दिन मनाया जाता है।
जगद्धात्री माता की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। पूरे विधि-विधान के साथ माता की पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्त के सारे संकट दूर कर देती हैं।
जगद्धात्री पूजा की शुरुआत महाराजा कृष्ण चन्द्र द्वारा सन 1754 में कृष्णनगर में की गई थी। मान्यता है कि दुर्गा पूजा के दसवें दिन, माता ने स्वप्न में कृष्ण चन्द्र को एक छोटी बच्ची के रूप में दर्शन दिया, और कहा- “हे राजन, आज से ठीक एक महीने बाद, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को तुम मेरी पूजा करना”।
जब महाराजा कृष्ण चंद्र ने यह घटना अपने पुजारी को बताई, तो पुजारी ने कहा कि वह बच्ची वास्तव में माता जगद्धात्री थीं। यह जानने के बाद राजा ने माता जगद्धात्री की एक मूर्ति बनवाई और ठीक एक महीने बाद, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को, विधि-विधान से माता की पूजा की। तब से जगद्धात्री पूजा एक पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
गरीबों, बेसहारा लोगों या किसी धार्मिक स्थल पर अन्न, वस्त्र, और आवश्यक वस्तुएं दान करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
घर में या आसपास के बुजुर्गों, जरूरतमंदों और पशु-पक्षियों की सेवा करें। सेवा भाव से देवी की कृपा प्राप्त होती है और मन में शांति बनी रहती है।
माँ जगद्धात्री पूजा के दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और मांस-मदिरा से दूर रहें। सात्विक भोजन से मन की शुद्धि होती है।
किसी भी परिस्थिति में क्रोध न करें। क्रोध से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए धैर्य से काम लें।
आपकी सोच सकारात्मक हो, इसलिए अच्छे आदर्शों वाले लोगों के साथ रहें। नकारात्मकता और ईर्ष्या से दूर रहें।
यह पूजा मन को शांति और स्थिरता देती है, इसलिए जो लोग तनाव में रहते हैं, उन्हें ये पूजा मानसिक शांति प्रदान करती है।
परिवार के साथ मिलकर यह पूजा करने से पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं और घर में आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़ता है।
जगद्धात्री पूजा से व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मां जगद्धात्री की पूजा करने से करियर में सफलता और आर्थिक समृद्धि मिलती है। यह पूजा जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करती है।
तो यह थी जगद्धात्री पूजा से संबंधित संपूर्ण जानकारी। आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। साथ ही हम कामना करते हैं कि माता जगद्धात्री आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें और आपके जीवन को खुशियों से भर दें।
Did you like this article?
अक्षय नवमी 2025: जानें कब है ये पावन दिन, तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। इस दिन की पूजा से मिलेगा सुख, समृद्धि और धन का आशीर्वाद!
गोपाष्टमी 2025: जानें गोपाष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। गौ माता की पूजा कर पाएं उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि।
स्कंद षष्ठी 2025: जानें तिथि, पूजा विधि और कथा। इस दिन भगवान स्कंद की पूजा से मिलती है सुख, समृद्धि और संकटों से मुक्ति।