
सफला एकादशी का व्रत कैसे बना सकता है आपके जीवन को सफल? जानें पूजा विधि और शुभ समय।
सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली पवित्र तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और मनोकामनाओं की सिद्धि प्राप्त होती है। व्रतधारी प्रातः स्नान कर संकल्प लेते हैं और दिनभर उपवास रखकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं। यह एकादशी पापों का नाश करने वाली मानी गई है।
साल 2025 में पड़ने वाली पहली एकादशी को सफला एकादशी का व्रत रखा जायेगा। हर एकादशी की तरह ये एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि की पूजा करने से दुःख-दरिद्रता का निवारण होता है। मान्यता है कि सफला एकादशी व्रत से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है, इसीलिए इस एकादशी को ‘सफला एकादशी’ कहा गया है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:49 ए एम से 05:42 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:15 ए एम से 06:36 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:32 ए एम से 12:14 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:39 पी एम से 02:21 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:08 पी एम से 05:35 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:10 पी एम से 06:31 पी एम |
अमृत काल | 04:15 ए एम, दिसम्बर 16 से 06:03 ए एम, दिसम्बर 16 |
निशिता मुहूर्त | 11:27 पी एम से 12:20 ए एम, दिसम्बर 16 |
पौराणिक मान्यता के अनुसार ‘सफला एकादशी' व्रत से मिलने वाले पुण्य का फल मनुष्य के पांच सहस्त्र वर्ष तक तपस्या करने के समान होता है। सफला एकादशी के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन लगाए गए तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
हमारी कामना है कि आपको सफला एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सफला एकादशी सभी कार्यों को सफल करने वाली है। कल्याण और सौभाग्य प्रदान करने वाली इस एकादशी का क्या महत्व है और इसमें आपके लिए क्या खास है, इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी हम आज लेकर आए हैं, हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह में आने वाली एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी पर व्रत एवं श्रीहरि का ध्यान करने से व्यक्ति जीवन में सफलता के नए आयाम प्राप्त कर लेता है। हर उस हरि भक्त के लिए यह एकादशी बेहद महत्वपूर्ण है, जिसकी असीम आस्था भगवान में निहित है।
चलिए जानते हैं इस एकादशी पर व्रत करने से जातक को क्या-क्या लाभ मिलते हैं:
इस व्रत को करने से विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में आने वाली अटकलें और मुसीबतें दूर होती है, जिससे व्यक्ति के हर काम बिना किसी रुकावट के पूर्ण होते हैं।
इस एकादशी व्रत का पुण्यफल व्यक्ति के लिए सफलता के नए आयाम खोल देता है, और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता की प्राप्ति व्यक्ति को अवश्य होती है।
यह एकादशी व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की सौगात भी लेकर आती है और व्यक्ति को अपने परिश्रम के साथ अच्छे भाग्य का साथ भी मिलता है।
जातक के साथ, उसके परिवार को भी इस व्रत के विशेष लाभ मिलते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही इस व्रत से अच्छे स्वास्थ्य का उपहार भी व्यक्ति और उसके परिवार को मिलता है।
हर एकादशी की तरह ही, इस एकादशी व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ध्यान रहे:
सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -
नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं
इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, जो आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।
(ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
साथ ही यह दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी विशेष है। इस दिन भगवान श्री हरि को सच्चे मन से चढ़ावा अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर के माध्यम से हम आपके लिए चढ़ावा सेवा लेकर आए हैं, जिससे आप घर बैठे अपने और अपने परिवार के नाम से वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर और गोवर्धन के गिरिराज मुखारविंद मंदिर में विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण को चढ़ावा अर्पित कर सकते हैं।
भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।
एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-
ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।
इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।
इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।
श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।
तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।
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