दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन
मंगलवार शक्तिपीठ विशेष

कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन

दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए
temple venue
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
pooja date
Warning Infoइस पूजा की बुकिंग बंद हो गई है
srimandir devotees
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अब तक2,00,000+भक्तोंश्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजाओ में भाग ले चुके हैं

दुर्घटनाओं, बीमारियों एवं खतरों से सुरक्षा के लिए मंगलवार शक्तिपीठ विशेष कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ एवं नव चंडी हवन

हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को आदिशक्ति, परम भगवती, परब्रह्म जो कि ब्रह्मांड से भी परे एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में बताया गया है, क्योंकि वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली, मोक्ष प्रदायनी तथा कल्याणकारी हैं। मान्यता है कि देवी दुर्गा अपने विभिन्न स्वरूपों में शांति और समृद्धि प्रदान करने के साथ-साथ नकारात्मक शक्तियों का विनाश भी करती हैं। उनके इन्हीं स्वरूपों में से एक हैं माँ काली, जो देवी का रौद्र और असुर-नाशक रूप है। उन्हें चंडी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो भगवती का आशीष पाने के लिए विभिन्न जगहों पर कई प्रतापि मंदिर हैं। वैसे तो देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई विधि विधान अपनाते हैं जिनमें कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र का पाठ भी शामिल है। इसे अत्यंत कल्याणकारी माना गया है और यह मनुष्य की चारों दिशाओं से रक्षा कर सकता है। दुर्गा सप्तशती शुरू होने से पहले आता है कवच पाठ जिसमें हम माँ दुर्गा से प्रार्थना करते हैं की वो हमारे सभी अंगों की चारों दिशाओं से रक्षा करें।

दुर्गा कवच एक तरह आध्यात्मिक कवच है जो मनुष्य को मानसिक और शारीरिक रूप से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। दुर्गा कवच के बाद आता है अर्गला स्तोत्र, जिसमें सभी ऋषि-मुनियों ने माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए एक प्रकार की स्तुति की है जिससे वो महिषासुर का वध करें। दुर्गा सप्तशती शुरू होने से ठीक पहले आता है कीलक पाठ जिसमें भगवान शिव की स्तुति की गयी है। कहते हैं शिव और शक्ति एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसलिए माँ दुर्गा को पूर्ण रूप से प्रसन्न करने और उनसे मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की भी स्तुति की जाती है। मान्यता है कि यह पवित्र अनुष्ठान अगर शक्तिपीठ में की जाए तो अत्यंत प्रभावशाली होगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कालीघाट शक्तिपीठ में देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। खास बात तो यह है कि ये पूजा मंगलवार के दिन की जा रही है, हिंदू धर्म में हर दिन के लिए किसी एक देवी या देवता को कारक देव माना जाता है। मंगलवार के कारक देव तो हनुमान जी माने जाते हैं लेकिन इस दिन देवी दुर्गा की पूजा का भी विशेष विधान है। ऐसे में श्री मंदिर द्वारा इस विशेष स्थान पर मंगलवार को होने वाली भव्य अनुष्ठान में भाग लें और देवी मां का भी आशीष पाएं।

पूजा लाभ

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दुर्घटनाओं से सुरक्षा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा में दुर्घटनाओं सहित नकारात्मक शक्तियों को रोकने या नियंत्रित करने की शक्ति है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ, नव चंडी यज्ञ और कुमारी पूजन करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह अपने भक्तों को दुर्घटनाओं और अन्य खतरों से सुरक्षा का आशीर्वाद देती हैं।
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रोगों से रक्षा
मां दुर्गा अपने भक्तों को सभी प्रकार की समस्याओं से रक्षा करती हैं। माना जाता है कि मंगलवार को उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उनकी सुरक्षात्मक ऊर्जाओं का उपयोग करने, बीमारियों सहित विभिन्न खतरों से सुरक्षा का आशीष प्राप्त होता है। माना जाता है कि मंगलवार के दिन शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में देवी दुर्गा की कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ, नव चंडी यज्ञ और कुमारी पूजन करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।
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खतरों से सुरक्षा
माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी शक्ति, करुणा और बुराई पर जीत के लिए की जाती है। उन्हें 'महिषासुरमर्दिनी' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध किया था। वह अपने सभी भक्तों को जीवन के खतरों से बचाती है और उन्हें बाधाओं से मुक्त होने की शक्ति प्रदान करती है। मंगलवार के दिन शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में कवच अर्गला कीलक स्तोत्र पाठ, नव चंडी यज्ञ और कुमारी पूजन करने से भक्तों को बाधाओं और जीवन के खतरों से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा प्रक्रिया

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पूजा का चयन करें:

नीचे दिए गए पूजा के विकल्पों में से किसी एक का चुनाव करें।
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गौ सेवा, दीप दान, वस्त्र दान एवं अन्न दान जैसे अन्य सेवाओं के साथ अपने पूजा अनुभव को बेहतर बनाएं।
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पूजा के दिन अपडेट पाएं

हमारे अनुभवी पंडित पूरे विधि विधान से पूजा कराएंगे, पूजा के दिन श्री मंदिर भक्तों की पूजा सामूहिक रूप से की जाएगी। जिसका लाइव अपडेट्स आपके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा।
Number-4

पूजा वीडियो एबं तीर्थ प्रसाद डिलीवरी

3-4 दिनों के अंदर अपने व्हाट्सएप नंबर पर पूजा वीडियो पाएं एवं 8-10 दिनों में तीर्थ प्रसाद प्राप्त करें।

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां इस मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

वर्तमान में मौजूद मंदिर का निर्माण सबॉर्नो रॉय चौधरी परिवार और बाबू कालीप्रसाद दत्तो के संरक्षण में किया गया था, जिसका निर्माण सन् 1798 में शुरू हुआ और 1809 में पूर्ण हुआ। कालीघाट मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह मंदिर कई सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है, जो यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कालीघाट में देवी काली की पूजा से भक्तों को डर, बुराई, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह मंदिर बंगाल के सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है और यहां के धार्मिक त्योहार, विशेषकर दुर्गा पूजा और काली पूजा, बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

हमारे पिछले पूजा अनुभव के झलक

पूजा समाप्त होने के बाद, आपकी पूजा का पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग, नाम और गोत्र चैंटिंग सहित, साझा किया जाएगा।
महाशिवरात्रि 4 प्रहर अभिषेक
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दिव्य महाकाली मध्यरात्रि तांत्रोक्त यज्ञ
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कैसा रहा श्री मंदिर पूजा सेवा का अनुभव?

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