गुरु मतसेन्द्रनाथ जी द्वारा स्थापित मंदिर
.गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत
गोरखनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में स्थित है। जिसकी स्थापना पूज्य गुरु मतसेन्द्रनाथ जी ने की थी। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, गोरखपुर कौशल साम्राज्य का एक हिस्सा था, जो सोलह महाजनपदों में से एक था। मंदिर का मैदान गोरखपुर के मध्य में 52 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
मंदिर का इतिहास
गोरखनाथ जी ने नेपाल और भारत की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ देवीपाटन में तपस्या की थी। उसी स्थान पर पाटेश्वरी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। गोरखनाथ का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर भारत के गोरखपुर में है। जिसे यवनों और मुगलों द्वारा कई बार नष्ट किया गया लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया। इसकी मरम्मत 9वीं सदी में की गई थी लेकिन 13वीं सदी में आक्रमणकारियों ने इसे फिर से ध्वस्त कर दिया। बाद में इस मंदिर की पुनः स्थापना कर इसकी सुरक्षा के लिए साधुओं की एक सैन्य शक्ति का गठन किया गया। इस मंदिर की उपपीठ बांग्लादेश और नेपाल में भी स्थित है। योगी आदित्यनाथ संपूर्ण भारत के नाथ संप्रदाय के संतों के प्रमुख मठाधीश हैं। आदित्यनाथ के पीछे इतना बड़ा जनसमर्थन अकल्पनीय है। गोरखनाथ का यह मंदिर सभी दसनामी और नाथ संप्रदाय के लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है।
मंदिर का महत्व
गोरखनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश व भारत के साथ नेपाल में भी बहुत प्रसिद्ध है। गुरु गोरखनाथ से जुड़ी किंवदंती में एक चमत्कार यह है कि जो भी भक्त गोरखनाथ चालीसा का 12 बार पाठ करता है उसे ब्रह्म प्रकाश या चमत्कारी ज्योति का आशीर्वाद मिलता है। मंदिर में गोरखनाथजी द्वारा जलाया गया अखंड प्रकाश त्रेता युग से कई तूफानों के बावजूद भी अखंड रूप से जल रहा है। यह लौ आध्यात्मिक ज्ञान, अखंडता और एकता का प्रतीक है।
मंदिर की वास्तुकला
गोरखनाथ मंदिर की निर्माण शैली के बारे में बात करें तो मंदिर के अंदर गोरखनाथ जी की संगमरमर की मूर्ति बनी हुई है, जो कि 5.5 फीट ऊंची है। मूर्ति का निर्माण शालिग्राम शिलाएं से किया गया है। जिसकी स्थापना माननीय गुरु मत्स्येंद्रनाथ जी ने की थी।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
03:00 AM - 10:00 PMसुबह की आरती का समय
03:00 AM - 04:00 AMदोपहर भोग आरती का समय
11:00 AM - 11:30 AMसायंकाल आरती का समय
06:00 PM - 07:00 PMमंदिर का प्रसाद
गोरखनाथ मंदिर में बाबा गोरखनाथ जी को खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है क्योंकि ये इन्हें बेहद ही प्रिय है। इसके अलावा यहां पर उन्हें सूखे मेवे और नारियल का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है