यहां शिवजी ने मांगी थी माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा
.वाराणसी, उत्तरप्रदेश, भारत
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बनारस शहर में स्थित बहुत ही धार्मिक मंदिर है। माता का यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दुरी पर ही स्थित है। माँ अन्नपूर्णा को तीनों लोकों की माता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को इन्होंने ही भोजन कराया था। इसी मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना भी की थी।
मंदिर का इतिहास
बनारस को काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र शहरों में से एक है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 1700 के दशक में पेशवा बाजी राव ने करवाया था। यहाँ पर माँ अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है । माँ अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन के लिए साल में एक बार ही यह मंदिर खुलता है। इसके लिए अन्नकूट महोत्सव पर माता के दर्शन होते है। आपको बता दे कि भक्तों के लिए माँ अन्नपूर्णा की दूसरी प्रतिमा के दर्शन हेतु यह मंदिर प्रतिदिन खुला रहता है।
मंदिर का महत्व
मंदिर से जुडी मान्यता के अनुसार एक कथा प्रचलित है कि एक बार काशी में अकाल पड़ा। जिससे चारों तरह तबाही होने लगी। लोग भूख से मरने लगे। भगवान शिव जी ने इस समस्या के निवारण के लिए ध्यान लगाया तो उन्हें माँ अन्नपूर्णा देवी का ख्याल आया कि वह इस तबाही से काशी को बचा सकती है। इसके लिए भगवान भोलेनाथ खुद ही माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगने गए। तब माता ने प्रसन्न होकर कहा की अब से काशी में कोई भी इंसान भूख से नहीं मरेगा। जो भी प्राणी काशी आएगा माँ की कृपा से वह भूखा नहीं रहेगा। इसके साथ ही माता के खजाना के दर्शन होने से लोगों के सभी कष्ट दूर हो जायेंगे। उसी दिन से अन्नकूट के दिन भक्तों को दर्शन के साथ खजाना भी बांटा जाता है। खजाने के रूप में यहाँ पर सिक्का ,धान का लावा और चावल दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस खजाने को अपनी तिजोरी में रखता है उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
मंदिर की वास्तुकला
माता का यह मंदिर कई साल पुराना है। मंदिर के अंदर माता की स्वर्ण से बनी हुयी मूर्ति है। जिसमे माता कमल पर विराजमान है। पास ही में भगवान भोलेनाथ की चाँदी से बनी प्रतिमा है। शिव जी की थैली में माँ अन्नपूर्णा अन्न दान करती हुयी दिखाई देंगी। माता के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी का स्वर्ण विग्रह बना है और बायीं तरफ माता भूदेवी स्थापित है। यह मूर्तियाँ करीब साढ़े पाँच फीट की है। साथ ही सिहासन का शिखर भी साढ़े पाँच फीट है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
04:00 AM - 11:30 AMसुबह आरती का समय
04:00 AM - 05:00 AMदिन में मंदिर बंद होने का समय
11:30 AM - 07:00 PMश्याम को मंदिर खुलने का समय
07:00 PM - 11:00 PMमंदिर का प्रसाद
माता को चावल, सिक्का और धान का लावा चढ़ाया जाता है। इसके बाद इस प्रसाद को खजाने के रूप में भक्तो को बांटा जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है