श्री जुगल किशोर मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बचपन और उनकी लीलाओं के लिए जाना जाता है।
.वृंदावन, उत्तरप्रदेश, भारत
भारत के उत्तर प्रदेश का वृंदावन शहर पौराणिक कथाओं में डूबा हुआ है। इसे भगवान श्री कृष्ण के बचपन और उनकी लीलाओं के लिए जाना जाता है। भगवान श्री कृष्णा और राधा जी की लीलाओ का साक्षी श्री धाम वृन्दावन आज भी अपने आप में अनेकों रहस्यों को समाये हुए है। श्री जुगल किशोर मंदिर वृन्दावन में केशी घाट पर स्थित है, जहां भगवान श्री कृष्ण और राधा जी जुगल रूप में विराजमान है। श्री जुगल किशोर मंदिर में शाम के समय दीपक जलाया जाता है, जिससे इस मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है।
मंदिर का इतिहास
श्री जुगल किशोर मंदिर की इतिहास हजारों साल पुराना है। वृन्दावन में सबसे पुराने मंदिरों में से एक श्री जुगल किशोर मंदिर है, इसका निर्माण वर्ष 1627 में किया गया था। इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। श्री जुगल किशोर मंदिर एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है। श्री जुगल किशोर मंदिर गोविन्द देव, मदनमोहन और गोपीनाथ मन्दिर की ही श्रृंखला में चौथा मंदिर है, जो वृन्दावन के निचले सिरे पर प्रसिद्ध केशी घाट के बगल में स्थित है।
मंदिर का महत्व
- यमुना नदी के किनारे श्री कृष्ण ने अश्व दानव केशी का वध किया था, जिस स्थान पर उन्होंने दानव का वध किया उस स्थान पर केशी घाट बना और यहीं श्री जुगल किशोर मंदिर स्थापना हुई। - श्री जुगल किशोर जी मंदिर का मुख्य आकर्षण केशी घाट है, जो वृंदावन में श्रद्धालुओं के लिए पसंदीदा और पवित्र स्नान/स्नान स्थलों में से एक है। - श्री जुगल किशोर मंदिर में शाम के समय केशी घाट पर आए भक्त सैकड़ों की संख्या में दीपक जलातें हैं, जिससे इस घाट और मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है।
मंदिर की वास्तुकला
श्री जुगल किशोर जी मंदिर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित एक सुंदर संरचना है, ये मंदिर इतना ऊंचा है कि इसे यमुना नदी के पार से भी देखा जा सकता है। श्री जुगल किशोर जी मंदिर की वास्तुकला मदन मोहन मंदिर, श्री गोविंद देव मंदिर और श्री मदन मोहन मंदिर से मिलती है। मंदिर के मुख्य द्वार पर गोवर्धन पर्वत उठाए हुए और अपनी प्रिय सखियों से घिरे हुए भगवान श्री कृष्ण की एक सुंदर मूर्ति है। प्रवेश द्वार को पुष्प और पक्षी रूपांकनों से सजाया गया है। मंदिर का शिखर और वास्तुकला सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन हैं। इसका सभा कक्ष अन्य मंदिरों की तुलना में अपेक्षाकृत बड़ा है, जिसका क्षेत्रफल 25 वर्ग फुट है और यह पूर्वी दिशा में स्थित है। उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर छोटे प्रवेश द्वार हैं।
मंदिर का समय
मंदिर खुलने का समय
05:00 AM - 12:00 PMसुबह की आरती और परिक्रमा
05:00 AM - 06:00 AMसुबह दर्शन का समय
08:30 AM - 10:00 AMसुबह भोग का समय
11:30 AM - 11:45 AMशयन आरती का समय
11:45 AM - 12:00 PMशाम को मंदिर खुलने का समय
04:00 PM - 08:30 PMशाम का भोग का समय
05:30 PM - 06:00 PMशाम की परिक्रमा का मसय
07:00 PM - 08:00 PMशयन आरती का समय
08:10 PM - 08:30 PMमंदिर का प्रसाद
श्री जुगल किशोर जी को फूलों के साथ माखन, मिश्री, पेड़ा और बर्फी का भोग लगाया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है