🙏 यह बुधवार साल 2025 का आखिरी दिन है, इसलिए 18 हजार राहु मूल मंत्र जाप और दशांश हवन से पाएं बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और उन्नति का आशीर्वाद 🙏
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साल का आखिरी दिन राहु शांति विशेष

18,000 राहु मूल मंत्र जाप और दशांश हवन

मानसिक स्पष्टता और बेहतर निर्णय लेने का आशीर्वाद पाएं
temple venue
राहु पैठाणी मंदिर, पौड़ी, उत्तराखंड
pooja date
31 December, Wednesday, पौष शुक्ल द्वादशी
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जब मन शंकाओं से घिर जाता है और सही दिशा चुनना मुश्किल लगने लगता है, तो यह बहुत बेचैन कर देने वाला अनुभव होता है। कई बार पूरी कोशिश करने के बाद भी सफलता दूर लगती है और करियर, स्वास्थ्य या रिश्तों में अचानक रुकावटें आने लगती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ऐसी परेशानियाँ अक्सर राहु ग्रह के प्रबल प्रभाव के कारण मानी जाती हैं।
राहु देव एक शक्तिशाली छाया ग्रह हैं, जो भ्रम, महत्वाकांक्षा और बदलाव से जुड़े होते हैं। जब राहु की स्थिति अनुकूल न हो, तो वह सोच को धुंधला कर देता है, भ्रम पैदा करता है और जीवन में देरी या अस्थिरता ला सकता है। साल के आख़िरी दिन, जब हम बीते समय पर विचार करते हैं और नए साल की तैयारी करते हैं, तब ये प्रभाव और भी गहरे महसूस हो सकते हैं। शांति और स्पष्टता पाने के लिए भक्त राहु देव की कृपा प्राप्त करने हेतु विशेष पूजन और अनुष्ठान करते हैं, ताकि उनके प्रभाव संतुलित हों और नया साल शांत मन के साथ शुरू हो।

🔱 राहु देव की कथा

पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय एक असुर स्वर्भानु देवताओं का रूप धरकर सूर्य देव और चंद्र देव के बीच बैठ गया और अमृत पीने लगा। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में उसे पहचान लिया और अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर अलग कर दिया। लेकिन तब तक अमृत उसके कंठ तक पहुँच चुका था, इसलिए उसका सिर और धड़ दोनों अमर हो गए। सिर राहु कहलाया और धड़ केतु बना। तभी से राहु सूर्य और चंद्र से वैर रखता है और समय-समय पर उन्हें ग्रहण लगाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि राहु का प्रभाव मनुष्य के जीवन में भी स्पष्टता को ढक सकता है।

साल के अंतिम दिन होने वाला यह राहु शांति विशेष अनुष्ठान

इस विशेष पूजा में 18,000 राहु मूल मंत्र जाप और दशांश हवन किया जाता है। इसका उद्देश्य राहु की तीव्र ऊर्जा को शांत करना और कर्मों का संतुलन बनाना है। मंत्र जाप से सकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो राहु के प्रभाव को शांत करती है, जबकि हवन से मन और वातावरण शुद्ध होता है। नए साल में प्रवेश से पहले इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने से भक्त मानसिक स्पष्टता, स्थिर सोच और आंतरिक संतुलन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
यह पूजा भ्रम, उलझन और मानसिक अशांति को दूर करने में सहायक मानी जाती है। इससे जीवन में एकाग्रता, स्थिरता और आत्मविश्वास आता है और व्यक्ति शांत मन व स्पष्ट सोच के साथ नए साल की शुरुआत कर सकता है। श्री मंदिर के मार्गदर्शन में किया गया यह विशेष वर्ष-अंत पूजा अनुष्ठान नए साल की शुरुआत को शांत, केंद्रित और आत्मविश्वास से भरपूर बनाने में दिव्य सहयोग प्रदान करता है।

राहु पैठाणी मंदिर,पौड़ी, उत्तराखंड

राहु पैठाणी मंदिर,पौड़ी, उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित इस राहु मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ राहु की भी पूजा की जाती है। यह देश के उन मंदिरों में से है, जहां राहु की पूजा भगवान श‍िव के साथ होती है। माना जाता है कि राहु और केतु स्वरभानु नामक असुर के शरीर के भाग हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब स्वरभानु ने देवताओं की पंगत में बैठकर छल से अमृत पी लिया तभी भगवान विष्णु को उसके छल का पता चल गया और उन्होनें अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था, जिससे कि वह अमर न हो जाए, लेक‍िन अमृत पीने के कारण स्वरभानु तो अमर हो गया था। स्वरभानु का न‍ि‍चला ह‍िस्‍सा केतु बना तो धड़ से ऊपर स‍िर वाला भाग राहु कहलाया। यही स‍िर वाला हिस्सा सुदर्शन से कटने के बाद पौड़ी में स्‍थ‍ित इसी स्थान पर गिरा जो राहु मंदि‍र के नाम से जाना गया।

मान्यता है कि राहु के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न दोषों को दूर करने के लिए लोग राहु के मंदिर में जाते हैं। वहीं यहां विशेष रूप से कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, और राहु महादशा से राहत पाने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। कई जगहों पर वर्णित है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। लेकिन इस मंदिर को लेकर एक और कथा है जिसमें बताया गया है कि इसका निर्माण पांडवों ने उस समय करवाया जब वो स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे, तब राहु दोष से बचने के लिए पांडवों ने इसी मंदिर में भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।

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