image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

गोपाल चालीसा

बाल गोपाल की भक्ति में डूबकर करें श्रद्धा से गोपाल चालीसा का पाठ। इसके नियमित जप से जीवन में आता है सच्चा प्रेम, मानसिक शांति और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद।

गोपाल चालीसा के बारे में

गोपाल चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की स्तुति है, जिसे भक्ति और श्रद्धा से पढ़ने पर मन को शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि बाल गोपाल की कृपा से जीवन की परेशानियाँ धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। इस लेख में आपको चालीसा का पाठ, इसका महत्व, पाठ विधि और इससे मिलने वाले फायदों की जानकारी मिलेगी।

गोपाल चालीसा क्या है?

हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम और करुणा का प्रतीक माना जाता है। उनके बालरूप ‘ लड्डू गोपाल’ की विशेष महिमा है। भक्त उन्हें अपने कुटुंब के सदस्य की तरह घर लाते हैं, और छोटे बालक की तरह उनका विशेष ध्यान रखते हैं।

‘गोपाल चालीसा’ में भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। इसमें दोहा, चौपाइयाँ व छंद शामिल हैं, जिनमें गोपाल के जन्म से लेकर उनकी बाल लीलाओं, गौचारण, गोपियों संग उनके प्रेम, माखन चोरी, कालिया नाग दमन और उनके दिव्य स्वरूप का बखान किया गया है। भगवान लड्डू गोपाल को आनंदकंद, प्रेममूर्ति और भक्तवत्सल माना गया है। इस चालीसा में उनके इन्हीं मधुर गुणों और बाल लीलाओं की सुंदर झलक मिलती है, जो हर भक्त के हृदय को आनंदित कर देती है।

गोपाल चालीसा का पाठ क्यों करें?

भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की आराधना सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों को हरने वाली मानी गई है। इसलिए श्री कृष्ण को समर्पित ‘गोपाल चालीसा’ का पाठ भक्तों के मन में प्रेम व सुख-शांति का भाव उत्पन्न करता है। पौराणिक मान्यता है कि लड्डू गोपाल की उपासना करने से मनुष्य को सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

जिन परिवारों में गोपाल चालीसा का पाठ नियमित रूप से किया जाता है, वहाँ कलह, अशांति और दरिद्रता नहीं कभी नहीं रहती। गोपाल चालीसा उन भक्तों के लिए विशेष फलदाई माना गया है, जो जीवन में प्रेम, सौहार्द और सुख-शांति की इच्छा रखते हैं।

गोपाल चालीसा

॥ दोहा ॥

श्री राधापद कमल रज,

सिर धरि यमुना कूल।

वरणो चालीसा सरस,

सकल सुमंगल मूल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी।

दुष्ट दलन लीला अवतारी॥

जो कोई तुम्हरी लीला गावै।

बिन श्रम सकल पदारथ पावै॥

श्री वसुदेव देवकी माता।

प्रकट भये संग हलधर भ्राता॥

मथुरा सों प्रभु गोकुल आये।

नन्द भवन में बजत बधाये॥

जो विष देन पूतना आई।

सो मुक्ति दै धाम पठाई॥

तृणावर्त राक्षस संहार्यौ।

पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ॥

खेल खेल में माटी खाई।

मुख में सब जग दियो दिखाई॥

गोपिन घर घर माखन खायो।

जसुमति बाल केलि सुख पायो॥

ऊखल सों निज अंग बँधाई।

यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई॥

बका असुर की चोंच विदारी।

विकट अघासुर दियो सँहारी॥

ब्रह्मा बालक वत्स चुराये।

मोहन को मोहन हित आये॥

बाल वत्स सब बने मुरारी।

ब्रह्मा विनय करी तब भारी॥

काली नाग नाथि भगवाना।

दावानल को कीन्हों पाना॥

सखन संग खेलत सुख पायो।

श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो॥

चीर हरन करि सीख सिखाई।

नख पर गिरवर लियो उठाई॥

दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों।

राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों॥

नन्दहिं वरुण लोक सों लाये।

ग्वालन को निज लोक दिखाये॥

शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई।

अति सुख दीन्हों रास रचाई॥

अजगर सों पितु चरण छुड़ायो।

शंखचूड़ को मूड़ गिरायो॥

हने अरिष्टा सुर अरु केशी।

व्योमासुर मार्यो छल वेषी॥

व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये।

मारि कंस यदुवंश बसाये॥

मात पिता की बन्दि छुड़ाई।

सान्दीपनि गृह विद्या पाई॥

पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी।

प्रेम देखि सुधि सकल भुलानी॥

कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी।

हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी॥

भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये।

सुरन जीति सुरतरु महि लाये॥

दन्तवक्र शिशुपाल संहारे।

खग मृग नृग अरु बधिक उधारे॥

दीन सुदामा धनपति कीन्हों।

पारथ रथ सारथि यश लीन्हों॥

गीता ज्ञान सिखावन हारे।

अर्जुन मोह मिटावन हारे॥

केला भक्त बिदुर घर पायो।

युद्ध महाभारत रचवायो॥

द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो।

गर्भ परीक्षित जरत बचायो॥

कच्छ मच्छ वाराह अहीशा।

बावन कल्की बुद्धि मुनीशा॥

ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो।

राम रुप धरि रावण मार्यो॥

जय मधु कैटभ दैत्य हनैया।

अम्बरीय प्रिय चक्र धरैया॥

ब्याध अजामिल दीन्हें तारी।

शबरी अरु गणिका सी नारी॥

गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन।

देहु दरश ध्रुव नयनानन्दन॥

देहु शुद्ध सन्तन कर सङ्गा।

बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रङ्गा॥

देहु दिव्य वृन्दावन बासा।

छूटै मृग तृष्णा जग आशा॥

तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद।

शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद॥

जय जय राधारमण कृपाला।

हरण सकल संकट भ्रम जाला॥

बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी।

जो सुमरैं जगपति गिरधारी॥

जो सत बार पढ़ै चालीसा।

देहि सकल बाँछित फल शीशा॥

॥ छन्द ॥

गोपाल चालीसा पढ़ै नित,

नेम सों चित्त लावई।

सो दिव्य तन धरि अन्त महँ,

गोलोक धाम सिधावई॥

संसार सुख सम्पत्ति सकल,

जो भक्तजन सन महँ चहैं।

'जयरामदेव' सदैव सो,

गुरुदेव दाया सों लहैं॥

॥ दोहा ॥

प्रणत पाल अशरण शरण,

करुणा-सिन्धु ब्रजेश।

चालीसा के संग मोहि,

अपनावहु प्राणेश॥

पाठ की विधि और नियम

यदि आप गोपाल चालीसा का पाठ करना चाहते हैं, तो नीचे बताई गई विधि और नियमों का पालन करें:

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें

  • पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें और वहाँ भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की सुंदर प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें

  • पीले या सफेद आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें

  • दीपक जलाएं, और धूप व पुष्प अर्पित करें

  • अब भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का ध्यान करते हुए, एकाग्र चित्त होकर गोपाल चालीसा का पाठ करें

  • पाठ के बाद भगवान को तुलसीदल और माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें

  • पाठ के अंत में लड्डू गोपाल से अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने का निवेदन करें

अगर आप नियमित रूप से ये पाठ नहीं कर सकते, तो सप्ताह में एक बार गुरुवार के दिन या किसी विशेष अवसर जैसे जन्माष्टमी, एकादशी या पूर्णिमा पर भी गोपाल चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

गोपाल चालीसा के लाभ

गोपाल चालीसा के पाठ से जातक को भगवान श्री कृष्ण की कृपा स्वरूप कई लाभ होते हैं, जैसे:

  • मन शांत और तनावमुक्त होता है।

  • जातक के जीवन में सुख- सौभाग्य व समृद्धि का आगमन होता है।

  • संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

  • पारिवारिक कलह, मानसिक अशांति और रोगों से रक्षा होती है।

  • मन में चल रहे नकारात्मक विचार और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

  • आर्थिक कष्ट और दरिद्रता का निवारण होता है।

  • कठिन परिस्थितियों में भी मनोबल और धैर्य बना रहता है।

  • व्यापार और कार्यक्षेत्र में जातक को सफलता मिलती है।

ये थी गोपाल चालीसा से जुड़ी विशेष जानकारी। यदि आप भगवान श्री कृष्ण के ‘लड्डू गोपाल’ स्वरूप के भक्त हैं, तो श्रद्धापूर्वक श्री गोपाल चालीसा का पाठ करें। श्री मंदिर कामना करता है कि भगवान श्री कृष्ण सदैव आप पर अपनी कृपा बनाए रखें और आपके जीवन के सभी कष्टों और बाधाओं का निवारण करें।

divider
Published by Sri Mandir·September 18, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook