शनि की साढ़े साती क्या है? | Shani Ki Shadhe Shati Kya Hai

शनि की साढ़े साती क्या है?

ज्योतिष में साढ़े साती का क्या महत्व है, यहां पढ़ें।


शनि की साढ़े साती क्या है ? (What is Shani Sade Sati)

सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि देव को कर्मों का फल देने वाला देवता भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह को नवग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह बताया गया है। शनि को 12 राशियों में घूमने में करीब 30 वर्ष का वक्त लगता है। इसलिए यह हर राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। तीन भावों में होने के कारण कुछ साढ़े सात साल का अंतराल होता है। इस कारण शनि के इस विशेष गोचर को शनि की साढ़े साती कहा जाता है।

शनि की साढ़े साती के लक्षण (Symptoms of Shani Sade Sati )

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति को जीवन में एक बार शनि की साढ़े साती का जरूर सामना करना पड़ता है। किसी राशि पर साढ़ेसाती तीन चरणों से होकर गुजरती है। जिसमें पहला, दूसरा और तीसरा चरण होता है। साढ़ेसाती के पहले चरण को शुरुआती साढ़ेसाती कहा जाता है। दूसरे चरण की साढ़ेसाती को चरम काल वाली साढ़ेसाती कहते हैं और तीसरे चरण की साढ़ेसाती को उतरती हुई साढ़ेसाती कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती का हर एक चरण ढाई साल का होता है। इस तरह से साढ़ेसाती के खत्म होने पर पूरे साढ़े सात साल का समय लगता है।

शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण

साढ़ेसाती के पहले चरण को सबसे ज्यादा कष्टकारी कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति के जन्म राशि से पहले वाली राशि में शनिदेव प्रवेश करते हैं तो इसे साढ़ेसाती का पहला चरण कहा जाता है।

शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण

साढ़ेसाती का दूसरा चरण पहले चरण के अपेक्षा कम कष्टकारी होता है। जब किसी व्यक्ति की राशि में शनिदेव प्रवेश करते हैं तो इसे साढ़ेसाती का दूसरा चरण कहा जाता है।

शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण

शनिदेव जब किसी व्यक्ति की जन्म राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे साढ़ेसाती का आखिरी चरण कहा जाता है।

शनि की साढ़े साती से क्या प्रभाव पड़ते है ? (What is the effect of Shani Sade Sati)

शनि की साढ़ेसाती से लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है। शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। इसलिए इनका प्रभाव जिन-जिन राशि वालों के ऊपर होता है उसका असर लंबे समय तक रहता है। अगर यह शुभ परिणाम दे तो करियर में सफलता मिलती है। व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है। साथ ही व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग भी बन जाते हैं। अगर साढ़ेसाती अशुभ परिणाम दे तो रोजगार के रास्ते बंद हो जाते हैं। स्वास्थ्य की जटील समस्याएं हो जाती हैं। कभी-कभी दुर्घटनाओं और अपयश का भी सामना करना पड़ता है। साढ़ेसाती सबसे ज्यादा मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालती है।

शनि की साढ़े साती लगने पर क्या उपाय करें

  • शनि की साढ़े साती के बुरे प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन किसी गरीब ब्राह्मण या जरुरतमंद को तिल और सबूत दाल का दान करना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए रोज सुबह और सायं शनि मंत्र " ऊं शं शनैश्चराय नम: " का जाप करना चाहिए।
  • जिस व्यक्ति के कुंडली में शनि की साढ़े साती चल रही हो उसे शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्ति को भोजन में सरसों का तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती के बुरे प्रभाव से बचने के लिए अपने व्यवहार और आचरण को अच्छा रखना चाहिए। किसी के लिए भी मन में गलत भावना नहीं लानी चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए जातक को एक लोहे का छल्ला बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए।
  • जब साढ़ेसाती का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाए तो शनिवार को शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शनि देव को तिल का तेल, गुड, काला कपड़ा अर्पित करना चाहिए।
  • नियमित रूप से शिव जी की आराधना करने से भी शनि दशा से राहत मिलती है। इसके साथ ही पीपल के पेड़ में अर्घ देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

शनि की साढ़े साती लगने पर क्या न करें What not to do when Shani Sade Sati occurs)

  • शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार और मंगलवार के दिन काले कपड़े और चमड़े के समान को नहीं खरीदना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी स्त्री का अपमान नहीं करना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती के दौरान जातक को किसी से भी वाद-विवाद या लड़ाई झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को कानूनी झमेलों में नहीं फंसना चाहिए।
  • शनि की साढ़े साती के दौरान रात के समय अकेले यात्रा करने से भी बचना चाहिए।
  • साढ़े साती की दशा होने के दौरान व्यक्ति को वाहन संभाल कर चलाना चाहिए।

शनि की साढ़े साती अच्छी है या बुरी (Is Shani Sade Sati good or bad?)

शनि की ढईया और साढ़े साती को प्रायः अशुभ एवं हानिकारक ही माना जाता है। हालांकि विद्वान ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार शनि सभी व्यक्ति के लिए कष्टकारी नहीं होते हैं। शनि की दशा में बहुत से लोगों को अपेक्षा से बढ़कर लाभ, सम्मान व वैभव की प्राप्ति होती है। हालांकि कुछ लोगों को शनि की दशा में काफी परेशानी एवं कष्ट का सामना करना होता है। इस प्रकार शनि केवल कष्ट ही नहीं देते बल्कि शुभ और लाभ भी प्रदान करते हैं। जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का आंकलन करने के साथ ही शनि की स्थिति का आंकलन भी आवश्यक होता है। अगर लग्न, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर अथवा कुम्भ है तो शनि हानि नहीं पहुंचाते हैं, उनसे लाभ व सहयोग मिलता है शनि यदि लग्न कुंडली व चन्द्र कुण्डली दोनों में शुभ कारक है तो किसी भी तरह शनि कष्टकारी नहीं होता है। कुंडली में स्थिति यदि इसके विपरीत है तो साढ़े साती के समय काफी समस्या और एक के बाद एक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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