उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर
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उत्तराखंड के 11 प्रसिद्ध मंदिर

उत्तराखंड के सबसे सुंदर और ऐतिहासिक मंदिर! कौन से हैं ये 11 प्रसिद्ध मंदिर और क्यों हैं ये खास? जानने के लिए आगे पढ़ें!

उत्तराखंड के मंदिरों के बारे में

उत्तराखंड के मंदिरों में शक्ति पीठ, सिद्ध पीठ और ज्योतिर्लिंगों की पूजा की जाती है, जो आत्मिक शांति और सकारात्मकता का अहसास कराते हैं। यहां आने से न केवल धार्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन को एक नई दिशा मिलती है। अगर आप इन पवित्र स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ें और जानें इन मंदिरों के बारे में विस्तार से!

उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर

“देवभूमि” के नाम से मशहूर उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित एक सुंदर राज्य है। यहां की सुरम्य पहाड़ियाँ, हरियाली, और पवित्र नदियाँ इसे धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक प्रमुख स्थल बनाती हैं। उत्तराखंड को भगवान की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनमें हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। उत्तराखंड के मंदिर न सिर्फ भव्य और ऐतिहासिक हैं, बल्कि ये अपनी धार्मिक महत्वता और शांति के लिए भी प्रसिद्ध हैं। चार धाम यात्रा, पंच केदार, और अन्य पवित्र स्थलों के माध्यम से लोग भगवान के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। राज्य की हर घाटी और पहाड़ी में एक अलग ही दिव्य ऊर्जा का अहसास होता है जो श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति प्रदान करता है।

उत्तराखंड के 11 प्रसिद्ध मंदिर: जानें इतिहास एवं विशेषताएं

1. गंगोत्री मंदिर

गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है और इसे देवी गंगा को समर्पित किया गया है। यह मंदिर 3100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, और यहाँ की शांति और ठंडक वातावरण को मंत्रमुग्ध कर देती है। गंगोत्री में गंगा नदी का स्रोत गौमुख ग्लेशियर से है, जहां से गंगा नदी की शुरुआत होती है। यह मंदिर नेपाली सेनापति अमर सिंह थापा द्वारा 18वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था, और बाद में जयपुर के महाराजा द्वारा इसे पुनर्निर्मित किया गया। गंगोत्री मंदिर के अंदर देवी गंगा की मूर्ति के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी रखी गई हैं, और यहां की वास्तुकला शुद्ध और सरल है। गंगोत्री मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता बहुत अधिक है, और यहां के दर्शन के बाद भक्त अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र मानते हैं।

2. यमुनोत्री मंदिर

यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है और यह मंदिर यमुनोत्री के पवित्र स्थल पर स्थित है। यह मंदिर समुद्रतल से 3291 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और यहां यमुनोत्री नदी का उद्गम स्थल है। यमुनोत्री में देवी यमुना की काले संगमरमर से बनी मूर्ति स्थापित की गई है, जो भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है। यमुनोत्री मंदिर का निर्माण राजा नरेश सुदर्शन शाह ने 1839 में करवाया था, और बाद में भूकंप के कारण मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था। यमुनोत्री मंदिर के दर्शन करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।

3. केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह गढ़वाल हिमालय के 3580 मीटर ऊंचे स्थान पर स्थित है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक है, और इसे पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था। केदारनाथ मंदिर के भीतर शिवलिंग की पूजा की जाती है, जो एक शंक्वाकार चट्टान के रूप में है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने किया था। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है, और इस यात्रा के दौरान वे प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का आनंद लेते हैं।

4. माँ काली का मंदिर (जागेश्वर)

जागेश्वर, उत्तराखंड में स्थित माँ काली का मंदिर एक प्रमुख सिद्धपीठ है, जो देवी काली के भयानक रूप को समर्पित है। यह मंदिर एक शांत और सुरम्य स्थल पर स्थित है, जहां भक्त अपनी आस्था और भक्ति से देवी काली की पूजा करते हैं। मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है, जब यहाँ दूर-दूर से भक्त आते हैं। इस समय मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि लाखों श्रद्धालु देवी काली के दर्शन करने और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करने के लिए यहाँ इकट्ठा होते हैं। इस दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और हवन होते हैं, जो भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव होते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य भी आकर्षक है। यहाँ की पवित्रता और आस्था लोगों को आत्मिक शांति की ओर प्रेरित करती है। जागेश्वर के माँ काली के इस मंदिर में दर्शन करने से मन, शरीर और आत्मा को सुकून मिलता है।

5. नैना देवी मंदिर (नैनीताल)

नैनीताल में स्थित नैना देवी मंदिर, सती के शक्ति रूप को समर्पित है और इसे विशेष रूप से सती के नेत्रों की पूजा के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि इस मंदिर को "नैना देवी" के नाम से पहचाना जाता है। यह पवित्र स्थल नैनी झील के उत्तर किनारे पर स्थित है, जहां से झील और आसपास के पहाड़ों का दृश्य अत्यंत सुंदर और मनमोहक होता है। नैना देवी मंदिर हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और यहां हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान, यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, और यहां की शांतिपूर्ण व पवित्र वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति प्रदान करता है। नैना देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को आकर्षित करता है।

6. मनसा देवी मंदिर (हरिद्वार)

हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव की मानस पुत्री, देवी मनसा को समर्पित है। यह मंदिर हरिद्वार के प्रसिद्ध माया देवी मंदिर के पास स्थित है और यहाँ का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। देवी मनसा का पूजन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए होता है, जो मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस मंदिर में आते हैं। मनसा देवी को अनेक कथाओं में पूजा गया है, और वे शरणागत वत्सलता के प्रतीक मानी जाती हैं। कहा जाता है कि यहां पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं, और व्यक्ति को सुख, समृद्धि एवं शांति मिलती है। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में विशेष रूप से दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए केबल कार सेवा भी उपलब्ध है, जो श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने का आसान और रोमांचक तरीका प्रदान करती है। न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी लोग इस मंदिर में आकर मनसा देवी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहाँ का शांतिपूर्ण वातावरण और देवी के प्रति आस्था लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

7. बद्रीनाथ

बद्रीनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जो चार धाम यात्रा का हिस्सा है। यह शहर समुद्र तल से 3,300 मीटर (10827 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी वास्तुकला पारंपरिक गढ़वाली शैली में है। बद्रीनाथ के आसपास पंच बद्री मंदिरों का समूह है, जिसमें योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्ध बद्री शामिल हैं। बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए भक्त दुनिया भर से आते हैं। यहाँ हर साल कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे केदार-बद्री उत्सव और जन्म अष्टमी।

8. तुंगनाथ

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के चोपता क्षेत्र में स्थित है और यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है, जो समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह पंच केदार का तीसरा मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 3.5 किलोमीटर की आसान ट्रेकिंग की आवश्यकता होती है। यहाँ से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ जैसे त्रिशूल और नंदा देवी का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। सर्दियों में यह क्षेत्र बर्फ से ढका होता है, जिससे ट्रेकिंग में और अधिक चुनौती आती है।

9. रुद्रनाथ

रुद्रनाथ मंदिर, जो पंच केदार का चौथा मंदिर है, गढ़वाल हिमालय में स्थित है और यहाँ तक पहुँचने का ट्रेक अन्य केदार मंदिरों की तुलना में अधिक कठिन है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ से नंदा देवी और त्रिशूल जैसी चोटियाँ दिखाई देती हैं। रुद्रनाथ तक पहुँचने के लिए कई ट्रेकिंग मार्ग हैं, जो घने जंगलों और घास के मैदानों से होते हुए इस पवित्र स्थल तक पहुंचते हैं। रुद्रनाथ मंदिर में होने वाली आरती एक दिव्य अनुभव होती है।

10. कल्पेश्वर

कल्पेश्वर मंदिर, उत्तराखंड में स्थित पंच केदार के अंतिम मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है और यहाँ भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा है, क्योंकि मंदिर तक पहुंचने का रास्ता हरे-भरे मैदानों और घने जंगलों से होकर गुजरता है, जो एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

कल्पेश्वर मंदिर में स्थित कल्पवृक्ष, जिसे इच्छा-पूर्ति करने वाला वृक्ष माना जाता है, श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। माना जाता है कि यहाँ भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इस मंदिर का वातावरण शांति और भक्ति से ओत-प्रोत होता है, जिससे यहाँ आने वाले भक्त आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। कल्पेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

11. मध्यमहेश्वर

मध्यमहेश्वर मंदिर, जो पंच केदार यात्रा का चौथा मंदिर है, समुद्र तल से 3,490 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ शिव की नाभि के रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 20 किलोमीटर लंबा ट्रेक करना पड़ता है। पांडवों द्वारा यहाँ भगवान शिव की पूजा करने की पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। मंदिर के आसपास के दृश्य और पहाड़ी क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाती है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड के मंदिरों की खासियत यह है कि ये न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी भक्तों को एक अलग अनुभव देती है। मंदिरों के आसपास की नदियाँ, पर्वत, और हरियाली वातावरण को और भी दिव्य बनाती हैं। ये मंदिर न केवल भक्तों के लिए आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि इनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है।

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श्री मंदिर द्वारा प्रकाशित·26 मार्च 2025

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