image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

नरसिंह चालीसा

भगवान नरसिंह की चालीसा का पाठ करने से दूर होते हैं सभी कष्ट! पढ़ें संपूर्ण नरसिंह चालीसा पाठ, अर्थ और इसके चमत्कारी लाभ।

नरसिंह चालीसा के बारे में

नरसिंह चालीसा भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान की स्तुति में रचित एक पवित्र ग्रंथ है। यह चालीसा 40 चौपाइयों में भगवान नरसिंह की महिमा, प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकशिपु के वध का वर्णन करती है।

नरसिंह चालीसा: धर्म की विजय और भक्त की रक्षा का दिव्य स्तोत्र

रचनात्मक परिचय

सनातन धर्म में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों का उल्लेख किया गया है, जिनका उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की पुनर्स्थापना करना है। इनमें से नरसिंह अवतार विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह अन्य सभी अवतारों से भिन्न, आधा मानव और आधा सिंह के रूप में प्रकट हुआ। यह अवतार भगवान विष्णु के न्यायप्रिय और करुणामयी स्वरूप को प्रकट करता है, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी सीमा को पार कर सकते हैं।

नरसिंह चालीसा

मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।

शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।

धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।

तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।

नरसिंह देव में सुमरों तोहि

धन बल विद्या दान दे मोहि।।

जय-जय नरसिंह कृपाला

करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।

विष्णु के अवतार दयाला

महाकाल कालन को काला।।

नाम अनेक तुम्हारो बखानो

अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।

हिरणाकुश नृप अति अभिमानी

तेहि के भार मही अकुलानी।।

हिरणाकुश कयाधू के जाये

नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।

भक्त बना बिष्णु को दासा

पिता कियो मारन परसाया।।

अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा

अग्निदाह कियो प्रचंडा।।

भक्त हेतु तुम लियो अवतारा

दुष्ट-दलन हरण महिभारा।।

तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे

प्रह्लाद के प्राण पियारे।।

प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा

देख दुष्ट-दल भये अचंभा।।

खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा

ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।

तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा

को वरने तुम्हरो विस्तारा।।

रूप चतुर्भुज बदन विशाला

नख जिह्वा है अति विकराला।।

स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी

कानन कुंडल की छवि न्यारी।।

भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा

हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।

ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे

इंद्र-महेश सदा मन लावे।।

वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे

शेष शारदा पारन पावे।।

जो नर धरो तुम्हरो ध्याना

ताको होय सदा कल्याना।।

त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो

भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।

नित्य जपे जो नाम तिहारा

दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।।

संतानहीन जो जाप कराये

मन इच्छित सो नर सुत पावे।।

बंध्या नारी सुसंतान को पावे

नर दरिद्र धनी होई जावे।।

जो नरसिंह का जाप करावे

ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।

जो कामना करे मन माही

सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।।

जीवन मैं जो कछु संकट होई

निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।

रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई

ताकि काया कंचन होई।।

डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला

ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।

प्रेत-पिशाच सबे भय खाए

यम के दूत निकट नहीं आवे।।

सुमर नाम व्याधि सब भागे

रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।

जाको नजर दोष हो भाई

सो नरसिंह चालीसा गाई।।

हटे नजर होवे कल्याना

बचन सत्य साखी भगवाना।।

जो नर ध्यान तुम्हारो लावे

सो नर मन वांछित फल पावे।।

बनवाए जो मंदिर ज्ञानी

हो जावे वह नर जग मानी।।

नित-प्रति पाठ करे इक बारा

सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।

नरसिंह चालीसा जो जन गावे

दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।

चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे

सो नर जग में सब कुछ पावे।।

यह श्री नरसिंह चालीसा

पढ़े रंक होवे अवनीसा।।

जो ध्यावे सो नर सुख पावे

तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।

'शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी

हरो नाथ सब विपत्ति हमारी'।।

चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।

निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।

नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।

उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।

भगवान नरसिंह की महिमा और उनके उपासना का महत्व

भगवान नरसिंह का स्वरूप

भगवान नरसिंह का स्वरूप अद्भुत और अलौकिक है। वे न पूरी तरह मानव थे, न पूरी तरह पशु, जिससे उन्होंने हिरण्यकशिपु के वरदान को निष्फल कर दिया।

भक्त प्रह्लाद का चरित्र और संदेश

प्रह्लाद केवल एक बालक थे, लेकिन उनकी भक्ति अडिग थी। उन्होंने हमें सिखाया कि जब तक हमारी श्रद्धा और विश्वास अटूट हैं, तब तक भगवान हमारी रक्षा के लिए अवश्य प्रकट होते हैं।

नरसिंह चालीसा का पाठ क्यों करें?

  • यह पाठ भय और संकट से मुक्त करता है।
  • यह साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला स्तोत्र है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखता है।

नरसिंह जयंती और उनकी पूजा विधि

  • नरसिंह जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं।
  • प्रातः स्नान कर भगवान नरसिंह का जल और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है।
  • भगवान को केसर, तुलसी और पीले वस्त्र अर्पित किए जाते हैं।

निष्कर्ष

भगवान नरसिंह का अवतार यह दर्शाता है कि जब भी अधर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंचता है और भक्त संकट में होते हैं, तब ईश्वर स्वयं उनकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। नरसिंह चालीसा का पाठ न केवल भय और संकट से रक्षा करता है, बल्कि यह भक्त को आंतरिक शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

॥ नरसिंह भगवान की जय! ॥

divider
Published by Sri Mandir·March 9, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.