भगवान नरसिंह की चालीसा का पाठ करने से दूर होते हैं सभी कष्ट! पढ़ें संपूर्ण नरसिंह चालीसा पाठ, अर्थ और इसके चमत्कारी लाभ।
नरसिंह चालीसा भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान की स्तुति में रचित एक पवित्र ग्रंथ है। यह चालीसा 40 चौपाइयों में भगवान नरसिंह की महिमा, प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकशिपु के वध का वर्णन करती है।
सनातन धर्म में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों का उल्लेख किया गया है, जिनका उद्देश्य अधर्म का नाश और धर्म की पुनर्स्थापना करना है। इनमें से नरसिंह अवतार विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह अन्य सभी अवतारों से भिन्न, आधा मानव और आधा सिंह के रूप में प्रकट हुआ। यह अवतार भगवान विष्णु के न्यायप्रिय और करुणामयी स्वरूप को प्रकट करता है, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी सीमा को पार कर सकते हैं।
मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।
नरसिंह देव में सुमरों तोहि
धन बल विद्या दान दे मोहि।।
जय-जय नरसिंह कृपाला
करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।
विष्णु के अवतार दयाला
महाकाल कालन को काला।।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो
अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी
तेहि के भार मही अकुलानी।।
हिरणाकुश कयाधू के जाये
नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।
भक्त बना बिष्णु को दासा
पिता कियो मारन परसाया।।
अस्त्र-शस्त्र मारे भुज दण्डा
अग्निदाह कियो प्रचंडा।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा
दुष्ट-दलन हरण महिभारा।।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे
प्रह्लाद के प्राण पियारे।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा
देख दुष्ट-दल भये अचंभा।।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा
ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा
को वरने तुम्हरो विस्तारा।।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला
नख जिह्वा है अति विकराला।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी
कानन कुंडल की छवि न्यारी।।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा
हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे
इंद्र-महेश सदा मन लावे।।
वेद-पुराण तुम्हरो यश गावे
शेष शारदा पारन पावे।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना
ताको होय सदा कल्याना।।
त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो
भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा
दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।।
संतानहीन जो जाप कराये
मन इच्छित सो नर सुत पावे।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे
नर दरिद्र धनी होई जावे।।
जो नरसिंह का जाप करावे
ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।
जो कामना करे मन माही
सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।।
जीवन मैं जो कछु संकट होई
निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई
ताकि काया कंचन होई।।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला
ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।
प्रेत-पिशाच सबे भय खाए
यम के दूत निकट नहीं आवे।।
सुमर नाम व्याधि सब भागे
रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।
जाको नजर दोष हो भाई
सो नरसिंह चालीसा गाई।।
हटे नजर होवे कल्याना
बचन सत्य साखी भगवाना।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे
सो नर मन वांछित फल पावे।।
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी
हो जावे वह नर जग मानी।।
नित-प्रति पाठ करे इक बारा
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे
दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे
सो नर जग में सब कुछ पावे।।
यह श्री नरसिंह चालीसा
पढ़े रंक होवे अवनीसा।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे
तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।
'शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी'।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।
भगवान नरसिंह का स्वरूप अद्भुत और अलौकिक है। वे न पूरी तरह मानव थे, न पूरी तरह पशु, जिससे उन्होंने हिरण्यकशिपु के वरदान को निष्फल कर दिया।
प्रह्लाद केवल एक बालक थे, लेकिन उनकी भक्ति अडिग थी। उन्होंने हमें सिखाया कि जब तक हमारी श्रद्धा और विश्वास अटूट हैं, तब तक भगवान हमारी रक्षा के लिए अवश्य प्रकट होते हैं।
भगवान नरसिंह का अवतार यह दर्शाता है कि जब भी अधर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंचता है और भक्त संकट में होते हैं, तब ईश्वर स्वयं उनकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। नरसिंह चालीसा का पाठ न केवल भय और संकट से रक्षा करता है, बल्कि यह भक्त को आंतरिक शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
॥ नरसिंह भगवान की जय! ॥
Did you like this article?
मथुरा-वृंदावन की होली 2025 में कब है? जानें खास तिथियाँ, लट्ठमार होली, फूलों की होली और ब्रज की अनोखी होली परंपराएँ।
पुष्कर की होली 2025 कब है? रंगों की बौछार, ढोल-नगाड़ों की धुन और गुलाल गोटा की परंपरा—जानें इस भव्य उत्सव की पूरी जानकारी!
अंगारों की होली 2025 कब और क्यों मनाई जाती है? जानें इसकी तारीख, धार्मिक महत्व और जलते अंगारों पर चलने की अनोखी परंपरा।