श्री कृष्ण कौन हैं ?
भगवान श्री कृष्ण का नाम सुनते ही हमारे मन में आनंद और प्रेम की भावना जाग उठती है। वे सृष्टि के पालन करता विष्णु जी के 8वें अवतार माने गए हैं, जिन्होंने अपने जीवन में दिव्यता और प्रेम की मिसाल प्रस्तुत की। श्री कृष्ण क जन्म द्वापर युग में हुआ था। उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर को श्री कृष्ण की जन्मभूमि बताया जाता है।
श्री कृष्ण को कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। "सोलह कला संपूर्ण" और "पूर्ण पुरुषोत्तम" दो शब्द उनका वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। वह एक आदर्श साथी, एक प्रसिद्ध गुरु और एक संचारक हैं। श्री कृष्ण ने महाभारत काल में अपने दिव्य लीलाओं और उपदेशों के माध्यम से मानवता को मार्गदर्शन दिया। द्वापर युग में श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन का सारथि बन कर गीता का उपदेश दिया था। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है।
कृष्ण मंत्र के महत्व
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करने से जीवन के कष्टों को दूर कर प्रभु श्री कृष्ण की कृपा पा सकते हैं। इस मंत्र का जाप करने से आपका मन पूरी तरह से शांत हो सकता है और आप प्रेम और भक्ति की भावना से भर जाएंगे। वहीं, इस मंत्र का 108 बार जाप करने से घर की सुख समृद्धि भी बनी रहती है। कृष्ण मंत्र भगवान कृष्ण के आदिशक्ति को आपके जीवन में बुलाने का एक शक्तिशाली तरीका है। यह मंत्र आपके मानसिक और आत्मिक विकास में मदद करता है और भगवान के प्रति आपके प्रेम को बढ़ावा देता है।
श्री कृष्ण के प्रसिद्ध 10 मंत्र और उनके अर्थ | Krishna Mantra
- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्। अर्थ- भगवान कृष्ण उपासकों के मन को ध्यानावस्था में लगातार नियंत्रित कर रहे हैं। श्रीकृष्ण की असीमता अथाह है। न तो देवता और न ही शैतान, इसकी व्याख्या कर सकते हैं। मैं ऐसे भव्य देवत्व को प्रणाम करता हूं। 'भगवान, कृपया मेरा नमन स्वीकार करें।
2- हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे || अर्थ- श्री हरि विष्णु के अवतार श्री कृष्ण और भगवान श्री राम को मेरा प्रणाम।
3 ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः अर्थ- हे श्री कृष्ण आप मुझे अपने अपने संरक्षण में ले लें और अपने श्री चरणों में जगह दें। मैं आपको अपना सर्वस्व समर्पण करता हूं।
4 ॐ राधे कृष्णाय नमः अर्थ – हे राधे कृष्ण जी मेरा मेरे नमस्कार स्वीकारो।
5 ॐ नमः शिवाय वासुदेवाय
अर्थ - मैं भगवान वासुदेव मैं आपको को नमन करता हूं।
6 ॐ गोविंदाय नमः
अर्थ - हे वसुदेव पुत्र श्री गोविंद जी आपका स्मरण मात्र से सभी प्रकार के कलह और क्लेश का नाश होता है। आप मेरा साक्षात नमस्कार स्वीकार करें।
7 ऊँ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।। अर्थ - श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि परमात्मा, गोविंदा को नमस्कार, हम अपने सभी दुखों के विनाश के लिए आपको बार-बार नमस्कार करते हैं।
8 ओम क्लीम कृष्णाय नमः अर्थ - श्री कृष्ण मेरा प्रणाम स्वीकार करें और जीवन की बाधाओं से मुझे मुक्ति प्राप्त कराएं। ॐ कृष्ण वासुदेवाय नमः
9 ॐ कृष्णाय नमः | अर्थ- हे श्री कृष्ण, मेरा नमन स्वीकार करो।
10- ऊं गोवल्लभाय स्वाहा
श्री कृष्ण के मंत्र जाप के लाभ
मानसिक शांति श्रीकृष्ण मंत्र का जाप आपके मन को शांति और सुख में लेता है। यह तनाव और चिंता को कम करता है और मानसिक स्थिति में सुधार करता है।
आध्यात्मिक उन्नति श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करने से आपके आध्यात्मिक जीवन में वृद्धि होती है। आप भगवान के साथ अधिक जुडते हैं और उनके नीरुपम गुणों का अध्ययन करते हैं।
प्रेम और भक्ति श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करने से आपकी प्रेम और भक्ति भगवान के प्रति बढ़ती है। यह आपके जीवन में अधिक प्रेम और सहानुभूति का स्रोत बनाता है।
कृष्ण मंत्र का जाप कैसे करें
· कृष्ण मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। · इसके बाद चौकी पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने कुश के आसान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। · इसके बाद जल, दही,घी से कृष्ण जी को स्नान कराएं। · फिर धूप-दीप जलाकर श्री कृष्ण जी का ध्यान लगाएं। · इसके बाद श्री कृष्ण वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें। · फिर श्री कृष्ण जी को फल, माखन और पंजीरी का भोग लगाएं। · अब कृष्ण मंत्रों का जाप शुरू करें। तुलसी की माला श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करना सबसे अच्छा माना जाता है। · माला को अपनी तीन उंगली पर घुमाएं, जहां अंगूठा, आपकी अनामिका, कनिष्ठा और मध्यमा उंगली से जुड़ती है। अपनी तर्जनी उंगली को भी हल्का सा मोड़ें।
मंत्र के जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखें
· अपने मन और शरीर को शुद्ध रखें और स्नान करने के बाद ही मंत्र का जाप करें। · प्रतिदिन एक समय पर या गुरु के मार्गदर्शन के हिसाब से मंत्र का नियमित और ध्यानपूर्वक जाप करें। · मंत्र के जाप के दौरान ध्यान दें कि मंत्रों का उच्चारण सही और शुद्ध करें। · मंत्र का जाप करते समय किसी के प्रति कटु भाव न लाएं। · मंत्र का जाप करते समय तामसिक भोजन न ग्रहण करें।