हर वर्ष श्रावण मास के मंगलवार को मां मंगला गौरी का व्रत किया जाता हैं। इस साल श्रावण के साथ साथ अधिक मास होने के कारण भक्तों माता गौरी की उपासना के लिए अधिक दिन मिलेंगे। ये व्रत विवाहित स्त्रियों के साथ कुंवारी कन्याएं भी करती हैं, जिसके प्रभाव से उनका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। लेकिन ऐसी मान्यता है कि किसी भी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उसे शुभ मुहूर्त में करना बहुत जरूरी है। तो आइए जानते है अधिकमास के द्वितीय मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त।
अधिकमास का द्वितीय मंगला गौरी व्रत कब है?
अधिकमास का द्वितीय मंगला गौरी व्रत 25 जुलाई को शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर रखा जायेगा।
सप्तमी तिथि 24 जुलाई, सोमवार को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी।
सप्तमी तिथि 25 जुलाई, मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।
अधिकमास के द्वितीय मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त-
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 03 बजकर 57 मिनट से प्रातः 04 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 18 मिनट से सुबह 05 बजकर 21 मिनट तक होगा।
अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
इस दिन अमृत काल शाम 05 बजकर 09 मिनट से 06 बजकर 53 मिनट तक रहेगा
विशेष योग - इस दिन द्वि पुष्कर योग सुबह 5 बजकर 21 मिनट से दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक रहेगा
तो भक्तों, ये थी अधिकमास के द्वितीय मंगला गौरी व्रत के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। लेकिन क्या आप जानते है मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि, क्योंकि किसी भी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उसको विधि विधान से किया जाना बहुत जरूरी है। आइए जानते है अधिकमास के द्वितीय मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि।
द्वितीय मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
सावन माह में प्रत्येक मंगलवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें और स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
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अब आप स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें और मंदिर को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें। मंदिर की शुद्धि के बाद आप एक आसन पर लाल कपड़ा बिछा लें और कलश को स्थापित करें।
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अब आप उस पर माँ गौरी की प्रतिमा स्थापित करें, इसके बाद आप भगवान जी के समक्ष आटे के दीपक में 16 बत्तियां लगाकर जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
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इस व्रत में 16 वस्तुओं का अत्यधिक महत्व होता है। इस कारण माता को पुष्प मालाएं, लौंग, इलायची, सुपारी, फल, पान, चूड़ियां, मिठाई यह सभी सामग्रियां 16 की संख्या में चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा माँ गौरी को 16 श्रृंगार की वस्तुएं भी चढ़ाई जाती हैं।
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अब मंगला गौरी की व्रत कथा का श्रवण करें। इसके बाद अपने मन में माता पार्वती से उनका आशीष मांगे और श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश और माँ पार्वती की आरती करें।
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फिर आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें। सावन माह में हर मंगलवार को इसी प्रकार पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
तो यह थी गौरी मंगला व्रत की पूजा विधि, इस दिन व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व है, इसलिए श्रीमंदिर ऐप पर इससे संबंधित व्रत कथा को अवश्य सुनें।
तो भक्तों यह थी अधिक मास के द्वितीय मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में संपूर्ण जानकारी। हमें आशा है कि आपको पसंद आया होगा।