अनन्त चतुर्दशी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व हैं। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन अनन्त चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। इस दिन को सनातन धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यही वह व्रत है, जिसे पांडवों ने भी किया था और महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह व्रत भगवान विष्णु के अनंत रूप को समर्पित है। साथ ही इस तिथि को गणेशोत्सव के समापन के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से आपको भगवान विष्णु से अनंत अशीर्वाद प्राप्त होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2023 में अनन्त चतुर्दशी का व्रत कब है? अनन्त चतुर्दशी व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है? सब जाननें के लिए बने रहे इस लेख में।
अनन्त चतुर्दशी व्रत का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 2023 में अनंत चतुर्दशी का यह पावन पर्व, 28 सितम्बर गुरूवार को मनाया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर, 2023 को रात 10:18 बजे से शुरू होगी और 28 सितंबर को शाम को 06:49 बजे समाप्त होगी। इसके अलावा, वहीं बात करें अनंत चतुर्दशी की पूजा के शुभ मुहूर्त की तो, सुबह 06:12 बजे से शुरू होगा और शाम 06:49 बजे समाप्त होगा। जिसकी अवधि 12 घंटे 37 मिनट की होगी।
तो दोस्तों यह थीं अनन्त चतुर्दशी व्रत के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी। आइए अब जानते है इस व्रत का महत्व क्या है?
अनन्त चतुर्दशी व्रत का महत्व
इस व्रत के महत्व का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब पांडवों ने चौपड़ के खेल में जब अपना सर्वस्व खो दिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें विधिपूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के निर्देश दिए थे। श्री हरि विष्णु के सहस्त्रनामों में से एक नाम अनंत भी है। इसलिए अनंत चतुर्दशी के नाम से जानी जाने वाली यह तिथि, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का अद्भुत अवसर मानी जाती है। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से एक ओर जहाँ आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है, वहीं दूसरी ओर इस व्रत के प्रभाव से आप दीर्घाऊ भी बनते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।
आइए अब जानते हैं आप किस तरह अनन्त चतुर्दशी के दिन विधि विधान से पूजा कर भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि
चलिए सबसे पहले इस पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के बारे में जान लेते हैं- **पूजा सामग्री- ** चौकी या पाट, गंगाजल, लाल या पीला साफ वस्त्र, भगवान अनंत की ऐसी मूर्ति या तस्वीर, जिसमें उनका आसन शेषनाग भी उनके साथ मौजूद हो, पूजा की थाली, केले,आम के पत्ते, फूल, घी का दीपक, धूपबत्ती, एक कटोरी में कच्चा दूध, अनंत सूत्र बांधने के लिए धागा, प्रसाद में रखने के लिए पंजीरी, फल, शहद, घी और दूध व दही को मिलाकर बनाया गया पंचामृत आदि।
इस सामग्री को एकत्रित करने के बाद आप पूजा की तैयारियां शुरू करें,
**पूजा विधि- ** सबसे पहले इस दिन आप प्रातः काल उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, इसके बाद श्रीहरि का ध्यान करें और मन ही मन व्रत का संकल्प लें। इस संकल्प के बाद घर और पूजास्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
पूजा की तैयारियां करने के बाद, शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें और इस पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके पश्चात् केले, आम के पत्तों और फूलों से एक छोटे से मंडप का निर्माण करके इसमें भगवान अनंत की ऐसी प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। अब कच्चे सूत या लाल डोरे को एक कटोरी में कच्चे दूध में भिगोकर पूजा के दौरान भगवान के सामने रखें और भगवान को कुमकुम-हल्दी का तिलक लगाकर अक्षत भी चढ़ाएं। पुष्प, धूप-दीप आदि भगवान को अर्पित करें।
हल्दी या कुमकुम के रंग रंगकर अनंत सूत्र में 14 गांठे लगाएं। हर गांठ के साथ भगवान अनंत का स्मरण करें और “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करें।
प्रसाद के रूप में पंजीरी, केले, पंचामृत या किसी फल को भगवान अनंत को अर्पण करें। प्रसाद अर्पण करते समय "नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।" इस मंत्र के साथ भगवान को नमस्कार करें।
अब अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का वाचन करें। आप श्रीमंदिर के माध्यम से यह कथा सुनकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। कथा पूर्ण करने के बाद भगवान जगदीश की आरती से पूजा का समापन करें। प्रसाद सबमें वितरित करें और फिर स्वयं ग्रहण करें। इस दिन किसी से अपशब्द न कहें और मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। पूजा में समर्पित सामग्री को अगले दिन दान करें या विसर्जित करें।
तो इस प्रकार आप अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान अनंत की पूजा कर सकते हैं, और उनका आशीष प्राप्त कर सकते हैं।