मेष संक्रांति 2024 (Mesh Sankranti 2024)
हिन्दू कैलेंडर की पहली संक्रांति मेष संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य अपनी उत्तरायण यात्रा पूरी करके मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस संक्रांति पर पूरी सृष्टि में ऊर्जा के स्रोत माने जाने वाले भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन पूजा के बाद दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इस प्रकार सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने को मेष संक्रांति कहते हैं।
इस संक्रांति से मलमास या खरमास का भी समापन भी होता है, इसलिए इस दिन जहां सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से अनेकों फल प्राप्त होते हैं, वहीं कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें मेष संक्रांति में करना वर्जित माना जाता है। आइए इस लेख में जानतें हैं 2024 में मेष संक्रांति कब है और साथ ही जानेंगे इस संक्रांति से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।
मेष संक्रांति का शुभ मुहूर्त (Mesh Sankranti 2024 Shubh Muhurat)
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मेष संक्रांति हिन्दू वर्ष की पहली संक्रांति होती है। पूरे वर्ष में 12 मास की तरह ही 12 संक्रांति होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर अर्थात प्रवेश की तिथि को संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
इस माह 13 अप्रैल 2024, शनिवार को सूर्य मीन राशि से निकल कर मेष राशि में गोचर करेंगे। आइये जानते हैं मेष संक्रांति के शुभ मुहूर्त:
मेष संक्रान्ति पर पुण्य काल मुहूर्त मुहूर्त 13 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 59 मिनट से शाम 06 बजकर 20 मिनट है। जिसकी अवधि 06 घण्टे 21 मिनट रहेगी। वहीं मेष संक्रान्ति पर महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 13 मिनट से शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 02 घण्टे 07 मिनट रहेगी। मेष संक्रान्ति का क्षण 13 अप्रैल रात 09 बजकर 15 मिनट है।
मेष संक्रांति पर ऐसे करें सूर्यदेव की पूजा (Surya Puja In Mesh Sankranti)
- इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं, और पास के किसी जलाशय या नदी में स्नान करें।
- अगर ऐसा संभव न हों तो आप घर पर ही पानी में ही लाल चन्दन, गुलाब की पंखुड़ी और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- स्नान करते समय मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें, स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
- यदि आप इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो सूर्यदेव को नमन करके व्रत का संकल्प लें, और तांबे के कलश में जल, लाल चन्दन और लाल फूल मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
- इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके, यहां नियमित रूप से की जाने वाली पूजा करें और सभी देवों को रोली, हल्दी, कुमकुम, धूप-दीप, पुष्प, अक्षत, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
- अब सर्वदेवों को नमन करके अपने घर परिवार के लिए सुख- समृद्धि और शांति की कामना करें।
- इस दिन आप उत्तम फल के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी की भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
- इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी ब्राम्हण एवं निर्धन जनों को अन्न (धान और गेहूं) और वस्त्र आदि का दान करके अपने व्रत को पूर्ण करें।
मेष संक्रांति के दिन क्या करें (Things To Do In Mesh Sankranti)
- मेष संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
- यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
- स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।
- सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
- मेष संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।
मेष संक्रांति पर क्या न करें? (Things Not To Do In Mesh Sankranti)
- वैसे तो मेष संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। फिर भी शुभ-अशुभ मुहूर्त और पंचांग देखे बिना किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत न करें।
- हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर मेष संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
- इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
- मेष संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।