मिथुन संक्रान्ति का महत्व और शुभ मुहूर्त

मिथुन संक्रान्ति का महत्व और शुभ मुहूर्त

संक्रांति पर अवश्य करें ये कार्य


मिथुन संक्रांति 2024 (Mithun Sankranti 2024)


हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को समर्पित कई पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें हर महीने में आने वाली संक्रांति भी शामिल हैं। सूर्य हर मास एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होते हैं। इस प्रकार सूर्य की राशि के परिवर्तन तिथि को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं, इस प्रकार मिथुन संक्रांति भी इन्हीं में से एक है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इस प्रकार सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करने को मिथुन संक्रांति कहते हैं। इस दिन जहां सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से अनेकों फल प्राप्त होते हैं, वहीं कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें मिथुन संक्रांति में करना वर्जित माना जाता है।

मिथुन संक्रांति 2024 तिथि (Mithun Sankranti 2024 Date)


आपको बता दें कि वर्ष 2024 में मिथुन संक्रांति 15 जून को होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार मिथुन संक्रान्ति के पुण्य काल की अवधि 06 घण्टे 59 मिनट की होगी। यह पुण्य काल 15 जून सुबह दोपहर 05 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट रहेगा। वहीं मिथुन संक्रान्ति पर महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 43 मिनट तक है। जिसकी अवधि 02 घण्टे 20 मिनट रहेगी।

मिथुन संक्रांति का महत्व (Importance Of Mithun Sankranti)


सनातन धर्म में हर्षोलास को संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा से जुड़े उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं। इस खास दिन से कई धार्मिक ग्रंथ भी जुड़े हुए हैं। मिथुन संक्रांति के दिन महिलाएं सिलबट्टा की पूजा करती हैं। मिथुन संक्रांति भारत के कई राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है और इसे मुख्य रूप से महिलाओं का त्योहार माना जाता है।

महिलाओं को प्रकृति से मातृत्व सुख प्राप्त करने के लिए मासिक धर्म का वरदान मिला है। मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार, जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती माता को शुरुआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था और इसे धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं। चौथे दिन सिलबट्टे को भूदेवी का प्रतीक मानकर, स्नान कराया जाता और इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अतिरिक्त इस दिन सूर्यदेव की पूजा भी पूरे विधि-विधान से की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्यदेव के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में संपन्नता, समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

मिथुन संक्रांति पर क्या करें (What To Do On Mithuna Sankranti)


  • मिथुन संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।

  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।

  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।

  • मिथुन संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।

  • इस दिन मूंग दाल जैसी हरी वस्तुओं का दान देना चाहिए। इसके साथ ही आप कपड़े भी दान में दे सकते हैं।


मिथुन संक्रांति पर क्या न करें (What Not To Do On Mithuna Sankranti)


  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर मिथुन संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।

  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।

  • मिथुन संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।

  • इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाले जल को ज़मीन पर न पड़ने दें, उसे किसी तांबे के बर्तन में एकत्रित कर लें और बाद में किसी पौधे में डाल दें।

  • इस दिन चावल नहीं खाने चाहिए। व्रत रखने वाले लोगों को पूरा दिन नमक नहीं खाना चाहिए।


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