बगलामुखी जयन्ती की सम्पूर्ण जानकारी

बगलामुखी जयन्ती की सम्पूर्ण जानकारी

इस व्रत से होता है शत्रुओं का नाश


बगलामुखी जयंती 2024 (Baglamukhi Jayanti 2024 Dates)

10 महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या को माँ बगलामुखी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि यदि संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियां भी एकत्र हो जाएं, तो भी वो मां बगलामुखी को पराजित नहीं कर सकती हैं। इन्हीं तेजस्विनी देवी को समर्पित पर्व है बगलामुखी जयंती।

बगलामुखी जयंती प्रति वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है। साल 2024 में बगलामुखी जयंती 2024 बुधवार, 15 मई 2024 को मनाई जाएगी। बगलामुखी जयंती को देवी बंगलामुख के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है और उन्हें माँ पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है।र

बगलामुखी जयंती का महत्व (Importance Of Baglamukhi Jayanti)

ऐसी मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी। कहते हैं कि यदि पवित्र आस्था व सही विधि-विधान से बगलामुखी की उपासना की जाए, तो भक्तों के शत्रुओं का नाश हो जाता है, वाद विवाद में विजय मिलती है, साथ ही जीवन की अनेक समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता बगलामुखी को पीला रंग अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए उन्हें पीतांबरी भी कहा जाता है।

बगलामुखी जयंती के दिन होने वाले अनुष्ठान (Rituals Of Baglamukhi Jayanti)

बगलामुखी जयंती के दिन जातक माता के निमित्त व्रत रखते हैं, एवं विधि पूर्वक उनकी पूजा करते हैं। ये पर्व देश के कुछ हिस्सों में बहुत ही श्रद्धापूर्वक व धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर कई स्थानों पर तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, साथ ही इस दिन भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन होता है। इसके अलावा रात्रि में भक्त जागरण कर बगलामुखी माता का सुमिरन करते हैं।

बगलामुखी जयंती पूजन विधि (Baglamukhi Jayanti Puja Vidhi)

  • बगलामुखी जयंती पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले रंग के वस्त्र धारण करें एवं पूजा प्रारंभ करें।
  • ध्यान रहे कि मां बगलामुखी की पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यंत आवशयक होता है।
  • पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
  • अब एक लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी की तस्वीर स्थापित करें।
  • इसके पश्चात् आचमन कर अपने हाथों को शुद्ध करें।
  • पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन व दीप प्रज्जवलन करने के पश्चात् अपने हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल व दक्षिणा लेकर माता की उपासना का संकल्प करें।
  • इस दिन जितना संभव हो, उतना ही पूजा में पीले रंग की वस्तुएं सम्मिलित करें, जैसे मां के लिए पीले रंग का आसन रखें, उन्हें पीला वस्त्र, पीले रंग का फूल, फल आदि अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् मां बगलामुखी के मंत्रों का जाप करें।
  • पूजन संपन्न होने के पश्चात् आप यथासंभव दान पुण्य अवश्य करें।

यदि आप बगलामुखी जयंती पर व्रत रख रहे हैं, तो रात्रि के समय फलाहारी भोजन कर सकते हैं। दूसरे दिन स्नान करके पुनः माता की पूजा करें उसके पश्चात् ही भोजन करें।

बगलामुखी जयंती से जुड़ी कथा (Baglamukhi Jayanti Katha)

देवी बगलामुखी के अवतार को लेकर पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, सतयुग में एक बार महाविनाशकारी ब्रह्मांडीय तूफान आया, जिसके कारण संपूर्ण विश्व में हाहाकार मच गया। तीनों लोक संकट में पड़ गए, और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट करता जा रहा था।

जब इस विनाशकारी तूफान से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझा, तो भगवान विष्णु ने शंकर जी का स्मरण किया। तब शंकर जी प्रकट हुए, और बोले कि देवी शक्ति के अतिरिक्त कोई अन्य इस आपदा को नहीं रोक सकता। अतः आप उनकी शरण में जाएंl भगवान शिव के कहने पर विष्णु जी ने हरिद्रा सरोवर के निकट जाकर कठोर तप किया। देवी शक्ति भगवान विष्णु की साधना से प्रसन्न हुई, और बगलामुखी के रूप में अवतरित हुईं। तब जाकर सृष्टि का विनाश रूक सका।

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