भानु सप्तमी 2024 की संपूर्ण जानकारी
सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। जीव जंतु, वनस्पति, और मनुष्य सभी के लिए सूर्य की किरणें मिलना अति आवश्यक हैं। इसके साथ ही हिंदू धर्म में सूर्य भगवान को ऊर्जा, शक्ति आदि का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित कई ऐसे पर्व हैं, जिस दिन भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा व जप-तप आदि करते हैं। उन्हीं में से एक पावन तिथि है 'भानु सप्तमी'। इस पर्व पर जातक सूर्य भगवान की आराधना कर अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना करते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे:
- कब है भानु सप्तमी
- भानु सप्तमी का महत्व
- भानु सप्तमी के अन्य नाम
- भानु सप्तमी पर ऐसे करें सूर्य पूजन
- भानु सप्तमी पर मिलने वाले लाभ
कब है भानु सप्तमी (Kab Hai Bhanu Saptami)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास में ये विशेष संयोग 22 दिसम्बर, रविवार को बन रहा है, अतः 22 दिसम्बर 2024, रविवार को 'भानु सप्तमी' मनाई जाएगी।
दिसंबर 2024 में कब है भानु सप्तमी? (December 2024 me Kab Hai Bhanu Saptami?)
- भानु सप्तमी 22 दिसम्बर 2024, रविवार (मार्गशीर्ष, कृष्ण सप्तमी) को मनाई जाएगी।
- सप्तमी तिथि 21 दिसम्बर 2024, शनिवार को दिन में 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारम्भ होगी। .- सप्तमी तिथि का समापन 22 दिसम्बर 2024, रविवार को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर होगी।
भानु सप्तमी का महत्व (Bhanu Saptami ka Mahatva)
पुराणों में वर्णन मिलता है कि जब पहली बार सूर्य देव सात घोडे़ के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए और धरती से अंधकार को दूर करने के लिए अपनी किरणें फैलाईं, तो उस दिन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। सूर्यदेव के प्राकट्य के उपलक्ष्य में ही 'भानु सप्तमी' या 'सूर्य सप्तमी' मनाई जाती है। भानु सप्तमी के दिन जातक स्नान के बाद सूर्य देवता को जल चढ़ाने के साथ ही स्थल परिक्रमा करते है। इस दिन उपवास करने का भी विधान है। मान्यता है कि ये व्रत मनुष्य को मोक्ष दिलाने वाला होता है। इस दिन यदि सच्चे मन से सूर्य देव की आराधना की जाए तो समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
भानु सप्तमी के अन्य नाम (Bhanu Saptami ke anya Naam)
भानु सप्तमी को अर्क सप्तमी, अचला सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, सूर्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है।
भानु सप्तमी पर ऐसे करें सूर्य पूजन (Bhanu Saptami par aise karein Surya Pujan)
- भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।
- इसके पश्चात् सूर्य भगवान की पूजा करने या व्रत रखने का संकल्प लें।
- अब पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ मुख कर के बैठ जायें।
- पूजा में सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत्, लाल पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- इसके बाद कपूर या गाय के घी के दीपक से सूर्य भगवान की आरती उतारें।
- इस दिन तांबे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर उसमें लाल चंदन, अक्षत और लाल रंग का फूल डालें।
- अब ‘ॐ सूर्याय नमः’ मन्त्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देने के दौरान सूर्य भगवान से प्रार्थना करें कि वो आप पर और आपके परिवार पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।
- भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करते समय उनके बीज मंत्र ‘ ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ और ‘ ॐ सूर्याय नम:’ का जाप अवश्य करें।
- यदि हो सके तो इस दिन भोजन या फलाहार में नमक का प्रयोग न करें।
भानु सप्तमी पर मिलने वाले लाभ (Bhanu Saptami par Milne wale Labh)
- भानु सप्तमी पर सूर्य भगवान की पूजा करने से रोगी व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और वो दीर्घायु होता है।
- इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से बुद्धि व व्यक्तित्व का विकास होता है, मानसिक शांति मिलती है और स्मरण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
- भानु सप्तमी के दिन प्रयागराज संगम में डुबकी लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है, इससे जातक को मनचाहा फल मिलता है।
- पूजा-पाठ संपन्न करने के बाद भानु सप्तमी पर दान-पुण्य करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
- इस दिन सच्चे मन से सूर्य आराधना करने वाले जातकों के सभी सांसारिक कष्ट दूर होते हैं, और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आशा है कि इस लेख से आपको भानु सप्तमी की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। भानु सप्तमी की कथा व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।