लोहड़ी पर्व की संपूर्ण जानकारी

लोहड़ी पर्व की संपूर्ण जानकारी

14 जनवरी, 2024 - यहाँ जानें लोहड़ी के बारे में


लोहड़ी कब मनाया जाता है (When Did Lohri Celebrated)

लोहड़ी का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार तरह-तरह के फसलों से जुड़ा है और साल 2024 में 14 जनवरी को मनाया जाएगा।

लोहड़ी कब है 2024 (When Is Lohri In 2024)

हर साल लोहड़ी का त्यौहार अपने साथ नई उमीदें और उमंग लेकर आता है। नए साल को अपने रंग में रगने वाला है त्यौहार भारत के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। आइए जानते हैं इस साल 2024 में लोहड़ी कब है और इस दिन शुभ मुहूर्त क्या है- लोहड़ी रविवार 14 जनवरी 2024 को लोहड़ी संक्रान्ति का क्षण - सुबह 02 बजकर 54 मिनट से 15 जनवरी मकर संक्रान्ति सोमवार 15 जनवरी 2024 को

लोहड़ी का इतिहास (History Of Lohri)

लोहड़ी भारत के सभी प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल जनवरी महीने में मनाई जाती है। यह त्योहार पौष और माघ के महीने के बीच में होता है। इस ऋतु के दौरान खेतों में गेहूं और सरसों की फलदार फसल नजर आती है और यह खासकर पंजाब के साथ जुड़ा हुआ है।

पंजाब के अलावा यह त्योहार हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, जम्मू आदि राज्यों में भी मनाया जाता है। लोहड़ी एक ऐसा त्योहार है जो नई उत्पत्ति का संकेत देता है और इसे ईरान के देशों में भी मनाया जाता है।

लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है (Why Do We Celebrated Lohri)

लोहड़ी को काफी बड़े पैमाने पर धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह त्योहार इस प्रार्थना के साथ मनाते हैं कि आने वाले साल भी फसल स्वस्थ और भारी मात्रा में पैदा हो। सिर्फ इतना ही नहीं, इस त्योहार पर पंजाब के कुछ क्षेत्रों में तो भगवान शिव की पत्नी देवी सती के देह त्याग को स्मरण कर अनुष्ठान भी रखा जाता है।

लोहड़ी का महत्व (Importance Of Lohri)

लोहड़ी लोगों को आनंदित करने और एक दूसरे से जोड़ने का काम करती है। इसके 10 दिन पहले से ही बच्चे टोलियों में घर-घर घूमते हुए लोगों से लकड़ी, रेवड़ी, तेल, मूंगफली, लावा आदि चीजें मांगते हैं। अब अगर लोहड़ी के समय किसी के घर में नई-नई शादी हुई हो या नए बच्चे का आगमन हुआ हो, तो उस घर में और भी धूमधाम से यह त्योहार मनाया जाता है।

लोहड़ी के लिए चीजें मांगते वक्त बच्चे जोर-जोर से इससे जुड़े लोकगीत गाते हुए घूमते हैं, जिसमें पंजाब के नायक दुल्ला भाटी का जिक्र मिलता है। यह पंजाब के वह नायक थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ खड़े होकर कई सारी बच्चियों को गुलाम बनने से बचाया और उनकी शादी की पूरी जिम्मेदारी भी खुद ली। मगर इसकी असली रौनक शाम के बाद शुरू होती है, जहां पूरा परिवार और रिश्तेदार एक खाली मैदान में बैठकर लकड़िया जलाते हैं फिर उसे घेर कर बैठते हैं। इस आग के चारों ओर लोकगीत गाए जाते हैं और नृत्य किया जाता है। फिर लोग आग के चारों ओर बैठकर रेवड़ी, मिठाईयां, मूंगफली, लावा आदि का प्रसाद की तरह सेवन भी करते हैं।

लोहड़ी का त्यौहार और जुड़ी प्रथाएं (Festival Of Lohri And It’s Ritual)

लोहड़ी से जुड़ी कुछ मान्यताएं भी हैं, जिसका पालन हमेशा से किया जाता है। इसमें विवाहित महिलाओं के मायके से नए कपड़े, फल-मिठाई आदि चीजें भेजे जाने का रिवाज़ है। सिर्फ इतना ही नहीं शाम के वक्त पारंपरिक कपड़े पहने जाते हैं और जब लोहड़ी की आग लगभग खत्म होने की कगार पर होती है, तब उसमें से कुछ कोयले चुनकर अपने घर में ले जाने की प्रथा है। ऐसा माना जाता है, कि इससे धन और सौभाग्य के साथ समृद्धि भी आपके साथ घर आती है।

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