ऋषि पंचमी 2024 (Rishi Panchami 2024)
ऋषि पञ्चमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सप्तऋषियों की पूजा के लिए मनाया जाता है। हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सप्त ऋषियों का आशीर्वाद मिलता है और स्त्रियों के रजस्वला होने के दौरान अनजाने में हुई भूल के कारण उससे लगने वाले पापों व दोषों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही यह पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए शुभ होता है।
ऋषि पंचमी कब है- (Rishi Panchami 2024 Date and Time)
- ऋषि पंचमी 08 सितंबर, रविवार को मनाई जाएगी।
- ऋषि पंचमी की पूजा का मुहूर्त 10:40 AM से 01:10 PM तक रहेगा।
- इसकी अवधि 02 घंटे 30 मिनट तक रहेगी।
- पंचमी तिथि 07 सितंबर, शनिवार को 05:37 PM पर आरंभ होगी।
- पंचमी तिथि का समापन 08 सितंबर, रविवार को 07:58 PM पर होगा।
ऋषि पंचमी क्यों मनाते हैं?
सप्तऋषि ज्ञान के प्रतीक हैं। इनकी पूजा करने से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। ऋषि पंचमी का व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। इस दिन महिलाएं समाज सेवा के कार्य भी करती हैं।
ऋषि पंचमी का महत्व (Importance of Rishi Panchami)
ऋषि पंचमी की कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। यह कथा हमें सप्तऋषियों के जीवन और उनके योगदान के बारे में बताती है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमें हमारे ऋषियों और मुनियों के प्रति सम्मान दिखाने का अवसर देता है। ऋषि पंचमी के दिन महिलाएं एक साथ आती हैं और धार्मिक अनुष्ठान करती हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
ऋषि पंचमी कैसे मनाई जाती है?
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सात्विक भोजन करती हैं। सप्तऋषियों की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं समाज सेवा के कार्य भी करती हैं।
ऋषि पंचमी के शुभ मुहूर्त- (Rishi Panchami 2024 Shubh Muhurat)
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:09 AM से 04:55 AM तक रहेगा।
- प्रातः सन्ध्या 04:32 AM से 05:41 AM तक रहेगी।
- अभिजित मुहूर्त 11:30AM से 12:20PM तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त 02:00 PM से 02:50 PM तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त 06:09 PM से 06:32 PM तक रहेगा।
- सायाह्न सन्ध्या 06:09 PM से 07:19 PM तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त (08 सितंबर) 11:32 PM से 12:19 AM (09 सितंबर) तक रहेगा।
ऋषि पंचमी के दिन के विशेष योग
- रवि योग 08 सितंबर 03:31 PM से 09 सितंबर 05:42 AM तक रहेगा।
ऋषि पंचमी की पूजा विधि (Rishi Panchami Puja Vidhi)
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इस पूजा को करने का तरीका काफ़ी ख़ास होता है। इसमें सप्त ऋषियों के साथ, अरुंधति माता की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं, कि कैसे की जाएगी सप्त ऋषियों और माता की पूजा। सबसे पहले इस पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली समस्त पूजन सामग्री को पूजा करने से पहले ही एकत्रित कर लें।
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रोली, मौली, अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती, दीप, धूप, कलश, नारियल, समा के चावल, सोलह सृगार का समान, दूध, आसन, भगवान गणेश और माता गौरी की मूर्ति, मिष्ठान, कुमकुम, चंदन, पुष्प एवं पुष्पमाला, जल से भरा लोटा, केला, सेब, पूजा की सुपारी, सूखे मेवे जैसे की काजू आदि।
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ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाली महिलाएं, प्रात:काल स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर घर में चौकोर आसन के ऊपर पीले रंग का कपड़ा बिछा ले, फिर उसमें समा के चावल से आठ पुंज बनाए। विधि के अनुसार, सात पुंज ऋषियों के लिए और एक माता के लिए होगा।
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इसके पश्चात, पूजा के लिए उपयोग में आने वाली सुपारी का इस्तेमाल कर के उपर्युक्त सप्त ऋषियों की स्थापना करें। आप चाहें, तो भगवान गणेश और माता गौरी के लिये भी पुंज बनाकर साथ में पूजा की जा सकती है। इसके साथ ही, आप एक कलश की स्थापना भी करें, जो पूजा में उपयोग होगा।
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कलश की स्थापना के बाद, सभी पुंजों को जल या दूध से स्नान करवाएं, फिर सप्त ऋषियों एवं गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद माता गौरी और माता अरुंधति को रोली का टीका लगाए। इसके बाद सभी को कलावा, पुष्प, माला और अक्षत चढ़ाने के साथ ही, सभी ऋषियों को जनेऊ पहनाएं।
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आप चाहें, तो श्वेताम्बरी वस्त्र भी अर्पित कर सकते हैं। अब माता गौरी और माता अरुंधति को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। किसी भी पूजा में भोग का विशेष महत्व होता है, इसलिए, भोग के रूप में सूखे मेवे जैसे छुहारा और काजू, साथ ही फल एवं मिष्ठान आदि भी चढ़ाएं।
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अब आप प्रेम और भक्ति समेत, अगरबत्ती, धूप, दीप आदि जलाएं। वहीं पूजन करते हुए, शुद्ध मन और समर्पण भाव से इन मंत्रों का उच्चारण ज़रूर करें:
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः॥
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
अंत में आप सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों की क्षमा मांग लें, इस प्रकार आपकी पूजा विधिपूर्वक संपन्न हो जाएगी।
ऋषि पंचमी उद्यापन विधि (Rishi Panchami Udhyapan Vidhi)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करें और सप्तऋषियों का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
- दीपक जलाकर धूप दें।
- फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
- सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें।
- जल से व्रत का पारण करें।
- सात्विक भोजन करें।
- किसी जरूरतमंद को दान दें।
पूजा सामग्री
- साफ कपड़े
- ताजे फूल
- दीपक
- धूप
- नैवेद्य (फल, मिठाई)
- जल का पात्र
- सप्तऋषियों का चित्र या मूर्ति
ऋषि पंचमी पर क्या न करें
- इस दिन मांसाहार और मदिरा का सेवन वर्जित माना जाता है।
- तम्बाकू का सेवन भी इस दिन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन अशुद्ध या बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- झूठ बोलना या किसी का अपमान करना भी वर्जित है।
- इस दिन क्रोध करना या किसी से झगड़ा करना भी नहीं चाहिए।
- इस दिन मनोरंजन से बचना चाहिए और धार्मिक कार्यों में अधिक समय देना चाहिए।
- किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य करना वर्जित है।
- इस दिन अनावश्यक बातें करना और व्यर्थ का समय बर्बाद करना भी नहीं चाहिए।
ऋषि पंचमी से जुड़े 7 रोचक तथ्य
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पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की पूजा आराधना के साथ-साथ माता अरुंधती की भी उपासना की जाती है।
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अशुद्धियों व दोषों के निवारण के लिए ऋषि पंचमी का व्रत विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि पुरुषों के लिए इस व्रत का पालन करने का विधान नहीं है। लेकिन किसी भी वर्ग या आयु की स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं।
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धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत में अपामार्ग नामक पौधे का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि बिना इसके तने से दातून किए ऋषि पंचमी का व्रत फलित नहीं होता है।
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ऋषि पंचमी पर गंगा नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। यदि इस दिन गंगा स्नान संभव न हो तो नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
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ऋषि पंचमी व्रत धन-समृद्धि की कामना, सुयोग्य वर पाने या मनोकामना पूर्ति के उद्देश्य से नहीं किया जाता है, बल्कि ये व्रत रजोधर्म का पालन करने दौरान हुई किसी भी भूल के दोष निवारण की कामना से किया जाता है।
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ऋषि पंचमी व्रत के बारे में एक और रोचक बात ये है कि अन्य व्रत-त्यौहारों की तरह इस व्रत में किसी देवी-देवता की उपासना नहीं की जाती, बल्कि इस दिन सप्तर्षियों की पूजा करने का विधान है।
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इस दिन उपवास में दही और साठी का चावल खाने का विधान है। ऋषि पंचमी के व्रत में नमक का प्रयोग वर्जित होता है। साथ ही इस व्रत में हल से जोते हुए खेत से उगने वाली वस्तुओं का भी सेवन नहीं किया जाता है।