संस्कृत दिवस 2024 की सम्पूर्ण जानकारी

संस्कृत दिवस 2024 की सम्पूर्ण जानकारी

यहाँ जानिये, कब और क्यों मनाया जाता है संस्कृत दिवस?


कब है संस्कृत दिवस और कैसे मनाया जाता है?



हर वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला ‘संस्कृत दिवस', अपने आप में ही अनूठा है। इस वर्ष यह 19 अगस्त, 2024 को मनाया जाएगा। सौंदर्य, रस और देव भाषा का दर्जा प्राप्त इस भाषा को सम्मान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन समस्त ऋषि-मुनियों को याद किया जाता है। साथ ही, उनका पूजन भी किया जाता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार, संस्कृत देव वाणी की भाषा है और संसार की समस्त भाषाओं की जननी भी। भारत में भी प्राचीन ग्रंथ, वेद, आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी। इस वजह से संस्कृत दिवस, प्राचीन भारतीय भाषा की याद में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इसके पुनरुद्धार और रख रखाव को बढ़ावा देना है। इन्हीं विचारों को बढ़ावा देने के लिए, सालों से भारत के कर्नाटक में एक ऐसा गांव है, जहां हर कोई संस्कृत में बात करता है। यह गांव शिमोगा ज़िले में पड़ता है जिसका नाम कामत्तूर है। इसके अलावा, हमें कुछ और बातें भी जाननी चाहिए, जो कि इस प्रकार हैं -

शुरुआत:

‘संस्कृत दिवस' मनाने की शुरुआत, वर्ष 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से, केन्द्रीय तथा राज्य स्तर से की गई थी। उस वक़्त से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस, श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। कहा जाता है, इसके लिए इस दिन को इसलिए चुना गया था, क्योंकि इसी दिन से प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू हुआ करता था।

उद्देश:

देव भाषा का दर्जा प्राप्त संस्कृत, काफ़ी समय से अपना वजूद खो रही है। भारत में भी अब इसको पढ़ने, लिखने और समझने वालों की संख्या पहले के मुक़ाबले काफ़ी कम है। इस कारणवश, आज के समय में समाज को संस्कृत की महत्ता और आवश्यकता याद दिलाने के लिए, संस्कृत दिवस मनाया जाता है, जिससे हम समय के साथ आगे बढ़ने की चाह में यह न भूल जाएं, कि संस्कृत भी एक भाषा है।

महत्व:

संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि एक ऐसी संस्कृति है, जिसे फिर से एक बार संजोने की आवश्यकता है। यह बहुत ज़रुरी है कि साल में एक दिन हर भारतीय को यह याद दिलाया जाए कि उसके अपने देश की भाषा, इस दौड़-भाग में कहीं पीछे छूटती जा रही है। आज के समय में जहां संस्कृत को लोग इसलिए भी कम आंकते हैं, क्योंकि इसे देश-विदेश में लोगों के बीच अंग्रेज़ी जैसा स्थान प्राप्त नहीं है। इस कारणवश भी यह ज़रूरी है, कि संस्कृत दिवस को महत्व दिया जाए, जिससे इसे इसकी पहचान वापस मिले।

इतिहास:

भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति, करीब 4 हज़ार साल पहले हुई थी और हिंदू धर्मग्रंथों में संस्कृत के मंत्रों का उपयोग, हज़ारों वर्षों से किया जा रहा है। भारत में सर्वप्रथम वेदों की रचना, 1000 से 500 ईसा पूर्व में हुई थी। ज्ञानियों के अनुसार, वैदिक संस्कृति में ऋग्वेद, पुराणों और उपनिषदों का काफ़ी महत्व है।

उत्पत्ति:

यह सबसे पुरानी भारतीय-यूरोपीय भाषाओं में से एक है। बहुत कम लोगों को पता होगा, कि संस्कृत भाषा में करीब 102 अरब, 78 करोड़, 50 लाख शब्दों की विश्व में सबसे बड़ी शब्दावली है।

संस्कृत को प्राचीनतम भाषा की संज्ञा प्राप्त है और यह समस्त पुराणों की भी भाषा है, इस वजह से इसके प्रति लोग श्रद्धा की भावना रखते हैं। ऐसा कहते हैं, कि संस्कृत साहित्य के मुख्य स्रोत ऋषि ही हैं और इसी मूल भाषा से कई अन्य भाषाओं का भी जन्म हुआ है। तथ्य यह भी है कि हर वर्ष रक्षाबंधन के दिन ही संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है। अगर आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी, तो ऐसी ही और भी नई-नई और रोमांचक जानकारियों को जानने के लिए, जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।


श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
srimandir-logo

Sri Mandir has brought religious services to the masses in India by connecting devotees, pundits, and temples. Partnering with over 50 renowned temples, we provide exclusive pujas and offerings services performed by expert pandits and share videos of the completed puja rituals.

Play StoreApp Store

Follow us on

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.