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दर्श अमावस्या 2025

इस विशेष दिन के महत्व और अनुष्ठानों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

दर्श अमावस्या के बारे में

हिंदू धर्म के अनुसार, दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ चंद्रमा की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, इस पावन तिथि पर पितरों की पूजा, तर्पण, स्नान एवं दान करना विशेष फलदायी माना गया है। पूर्वजों के निमित्त अनुष्ठान करने की परंपरा के कारण इस दिन को 'श्राद्ध अमावस्या' भी कहा जाता है।

दर्श अमावस्या 2025 कब है?

  • दर्श अमावस्या : 27 अप्रैल 2025, रविवार (वैशाख, कृष्ण अमावस्या) को मनाई जायेगी।
  • अमावस्या तिथि 27 अप्रैल 2025, रविवार को प्रातः 04 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • अमावस्या तिथि का समापन 28 अप्रैल 2025, सोमवार को मध्यरात्रि 01 बजे तक होगा।

दर्श अमावस्या का शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त  03:57 ए एम से 04:41 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:19 ए एम से 05:25 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:30 ए एम से 12:22 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:06 पी एम से 02:58 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:25 पी एम से 06:47 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:26 पी एम से 07:32 पी एम तक
अमृत काल 06:20 पी एम से 07:44 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:33 पी एम से 12:17 ए एम, 28 अप्रैल तक

दर्श अमावस्या का महत्व

  • मान्यताओं के अनुसार, जो लोग दर्श अमावस्या के दिन व्रत उपासना करते हैं, उन पर भगवान शिव और चंद्र देवता की विशेष कृपा होती है। चंद्र देव लोगों को शीतलता और शांति प्रदान करते हैं।
  • शास्त्रों में कहा गया है कि, इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए इस दिन पूर्वजों के लिए प्रार्थना करने का विधान है।
  • यह तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है।
  • जो लोग करियर, आर्थिक स्थिति या पारिवारिक कलह से परेशान हैं, दर्श अमावस्या पर यदि वे पूजा पाठ करें तो उनके सभी दुखों का निवारण होता है।

दर्श अमावस्या क्यों मनाई जाती है?

  • दर्श अमावस्या की तिथि पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। यह अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने और भगवान शिव व चंद्रदेव का आशीर्वाद पाने के लिए मनाई जाती है।

दर्श अमावस्या की पूजा कैसे करें? जानिए पूजन विधि

  • दर्श अमावस्या के दिन वैसे तो ब्रह्म मुहूर्त में ही किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है, लेकिन अगर आपके लिए यह संभव न हो पाए तो आप घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारियां शुरू कर दें। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, चंद्रमा और तुलसी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है।
  • सबसे पहले अपने पूजा स्थल की सफाई करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें। फिर मंदिर में दीपक जलाकर पूजा विधि प्रारंभ करें।
  • अब भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें। इसके साथ ही चंद्रदेव का भी आह्वान करें।
  • इसके बाद आप शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा, अक्षत, चंदन,रोली, तुलसी दल, बेलपत्र और पंचामृत चढ़ाएं।
  • इसके बाद आप माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • अब भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष धूप जलाने के बाद ‘ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें’।
  • इसके बाद चंद्रमा की भी स्तुति करें।
  • फिर दर्श अमावस्या की व्रत कथा सुनें और शिव चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में भगवान से मंगल कामना करते हुए उनकी आरती उतारें।
  • अब आप तुलसी माता की पूजा-अर्चना करें, फिर तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।
  • तुलसी माता के समक्ष दीप- धूप जलाएं और उनकी आराधना करें।इसके बाद उपासक फलाहार ग्रहण करें और पूरे दिन व्रत का पालन करें।
  • अगले दिन भगवान की पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।

दर्श अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?

  • दर्श अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • पितरों के निमित्त तर्पण करें।
  • सात्विक भोजन करें
  • सबका सम्मान करें।
  • दान-पुण्य करे।

दर्श अमावस्या के धार्मिक उपाय

  • इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन जरूरतमंद और गरीब लोगों को दान-दक्षिणा देना फलदायी माना जाता है।
  • दर्श अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन करवाने का भी खास महत्व है।
  • इस दिन मीठे में खीर का दान करना भी शुभ माना जाता है।
  • इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए घर में 16 दीपक जलाने की भी परंपरा है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ आपके घर आते हैं, इसलिए उनके लिए घर में रोशनी की जाती है, साथ ही उनके लिए उचित स्थान पर मिष्ठान और पूड़ी रखी जाती है, ताकि वे भूखे वापस न जाए।
  • इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
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श्री मंदिर द्वारा प्रकाशित·2 अप्रैल 2025

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