गणपति स्थापना की संपूर्ण विधि

गणपति स्थापना की संपूर्ण विधि

19 सितम्बर, 2023 जानें घर में कैसे करें बप्पा को स्थापित


घर में करें गणेश जी की स्थापना

अगर आप भी इस गणेशोत्सव, भगवान गणेश के रूप में अपने घर में खुशियों को लाने की तैयारियां कर रहे हैं तो यह लेख पूरा अवश्य पढ़ें। भगवान गणेश जी को घर कैसे लाएं और उन्हें किस प्रकार विराजमान करें, इससे संबंधित पूरी जानकारी हम आपके लिए लेकर आए हैं। तो चलिए भगवान गणेश जी को स्थापित करने का शुभ कार्य आरंभ करते हैं- आइए सबसे पहले जानते हैं इस साल गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है।

गणेश स्थापना 2023 का शुभ मुहूर्त

गणेश स्थापना 2023 का शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से है और समापन 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर है।

गणेश स्थापना विधि

सबसे पहले गणपत्ति बप्पा के मुख को ढककर उनकी प्रतिमा को घर ले आएं और उसके बाद उन्हें स्थापित करने की विधि आरंभ करें।

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान गणेश की प्रतिमा पूर्व या उत्तर दिशा में ही स्थापित करें, दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं।

घर में जहां उनकी प्रतिमा को स्थापित करना हैं उस स्थान को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें।

भगवान गणेश जी की प्रतिमा को जिस स्थान पर स्थापित किया जाना है, वहां पर रंगोली ज़रूर बनाएं और अक्षत रखें। इस रंगोली के ऊपर चौकी को स्थापित करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर आप गणपति जी की प्रतिमा स्थापित कर दें।

अब चौकी पर कलश की स्थापना की जाएगी। इसके लिए आप एक मुट्ठी अक्षत चौकी पर रखें और अष्टदल बनाएं। इसके ऊपर आप कलश रखें और कलश में जल, गंगाजल, हल्दी की गांठ, सुपारी और सिक्का डाल दें। कलश के मुख पर मौली बांध दें और स्वास्तिक बनाएं। कलश स्थापना में आम के पत्ते काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, इसलिए आप कलश पर आम के पत्ते रख दें। इसके ऊपर नारियल रख दें और उसपर भी मौली बांध दें।

इसके पश्चात् भक्तों को भगवान गणेश जी का आवाहन करना है, चलिए इसकी विधि को भी विस्तार से जान लेते हैं। सबसे पहले हाथ में जल लें और आचमन करें, ऐसा तीन बार करने के बाद हाथ धो लें। इस दौरान ॐ गण गणपतये नमः मंत्र का उच्चारण ज़रूर करें।

आचमन के बाद, घी का अखंड दीपक जलाएं। किसी भी पूजा में संकल्प का विशेष महत्व होता है तो उसके लिए, हाथ में अक्षत और फूल लेकर संकल्प लें कि आप मन, वचन और कर्म से भगवान जी की पूजा करेंगे।

पूजा विधि को आगे बढ़ाते हुए भगवान गणेश का ध्यान करें और इस मंत्र का जाप करें।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

इसी के साथ भगवान गणेश जी का आवाहन हो चुका है और इसके बाद भगवान जी के मुख से चुनरी को हटाया जा सकता है। भगवान जी को स्थापित करने के पश्चात् उन्हें पुष्प या आम के पत्ते से जल एवं पंचामृत अर्पित करें। गणपति जी की पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व है, इसलिए उनकी प्रतिमा पर दूर्वा से शुद्ध जल छिड़कें। स्नान के बाद, आप भगवान का तिलक करें और उनके मस्तक पर अक्षत लगाएं। अब भगवान जी को जनैयू, लाल वस्त्र, फूलों की माला, दूर्वा, इत्र आदि अर्पित करें।

भगवान गणेश जी की पूजा में उनकी प्रिय चीज़ों का भोग लगाया जाता है , इसलिए आप उनकी प्रसाद की थाली में पंच मेवा, मौसमी फल, केले, मोदक जैसी चीज़ों को ज़रूर शामिल करें। अपनी श्रद्धानुसार दक्षिणा भी चढ़ाएं और पूरे भक्तिभाव से बप्पा जी की आरती उतारें।

अंत में भगवान जी से अपनी गलतियों की क्षमा ज़रूर मांग लें और आप उन्हें जितने भी दिन के लिए स्थापित कर रहे हैं, उतने दिन सच्चे मन से भगवान जी की पूजा-अर्चना करें।

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