
हनुमान जयंती तमिल 2025: जानें इस दिन की तिथि, पूजा विधि और हनुमान जी से मिलने वाले लाभ! इस पर्व को खास बनाने के सरल उपाय।
तमिल हनुमान जयंती दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख उत्सव है। यह मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान जी की विशेष पूजा, व्रत, अभिषेक और सुंदरकांड पाठ करते हैं। माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की आराधना से साहस, स्वास्थ्य, ऊर्जा और बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
सुनु कपि जियँ मानसि जनि ऊना। तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना॥
भक्ति, शक्ति और दृढ़ता के प्रतीक हनुमान की भगवान राम के प्रति अनन्य भक्ति जगत प्रसिद्ध है। श्री राम चरित मानस के 'किष्किंधा कांड' में वर्णन मिलता है कि जब हनुमान जी का भगवान श्री राम से प्रथम मिलन हुआ, तब वो श्रीराम को पहचान ना सके। जिसके पश्चात उनका मन अत्यंत ग्लानि से भर गया। इस पर रघुनंदन ने कहा- हे कपि! सुनो, मन छोटा न करना। तुम मुझे लक्ष्मण से भी दूने प्रिय हो। दक्षिण भारतीय राज्यों में इन्हीं महावीर हनुमान को समर्पित तमिल हनुमान जयंती मनाई जाती है।
हनुमान जयंती पर्व देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। इसी प्रकार तमिल पंचांग के अनुसार दक्षिण भारतीय राज्यों में हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को तमिल हनुमान जयंती मनाई जाती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:51 ए एम से 05:44 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:18 ए एम से 06:38 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:34 ए एम से 12:16 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:41 पी एम से 02:23 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:09 पी एम से 05:37 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:12 पी एम से 06:33 पी एम |
अमृत काल | 01:03 पी एम से 02:50 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:29 पी एम से 12:22 ए एम, दिसम्बर 20 |
तमिल हनुमान जयंती दक्षिण भारतीय राज्यों - विशेषकर तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश—में मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। इसे भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो अदम्य शक्ति, निष्ठा, भक्ति, त्याग और पराक्रम के प्रतीक माने जाते हैं। तमिल पंचांग के अनुसार यह पर्व वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे ‘हनुमान जन्म दिवस’ और ‘हनुमान दीक्षा समापन दिवस’ भी कहा जाता है।
तमिल हनुमान जयंती मनाने के पीछे अनेक धार्मिक मान्यताएँ हैं -
दक्षिण भारत में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है, और पूरे 41 दिनों तक मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव का समापन वैशाख मास के कृष्ण पक्ष दशमी तिथि को होता है। इसे चैत्र पूर्णिमा से शुरू होने वाले 41 दिवसीय हनुमान दीक्षा के समापन का प्रतीक माना जाता है। उत्सव के 41 दिनों के दौरान हनुमान जी के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है, और पूजा अर्चना की जाती है।
स्नान व शुद्धिकरण
संकल्प
पूजन सामग्री अर्पित करें
पाठ
1. बीज मंत्र
2. शक्ति वर्धक मंत्र
3. संकटमोचन मंत्र
4. कष्ट निवारक मंत्र
5. हनुमान गायत्री
तो भक्तों, ये थी तमिल हनुमान जयंती से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी पूजा व व्रत सफल हो, हनुमान जी आप पर प्रसन्न हों और आजीवन अपनी कृपा बनाएं रखें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियां निरंतर पाते रहने के लिए बने रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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