हरियाली अमावस्या 2025: प्रकृति पूजन और पितरों की शांति के लिए विशेष दिन, जानें पूजा विधि और शुभ समय।
हरियाली अमावस्या सावन मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व प्रकृति और हरियाली के संरक्षण को समर्पित होता है। इस दिन वृक्षारोपण किया जाता है और लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर के इस धार्मिक मंच पर आपका स्वागत है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। ये तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। धार्मिक दृष्टि से श्रावण मास की अमावस्या विशेष फल देने वाली मानी जाती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:57 ए एम से 04:39 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:18 ए एम से 05:21 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:37 ए एम से 12:31 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:19 पी एम से 03:13 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:48 पी एम से 07:09 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:48 पी एम से 07:51 पी एम तक |
अमृत काल | 02:26 पी एम से 03:58 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:26 ए एम, 25 जुलाई तक |
मुहूर्त | समय |
गुरु पुष्य योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
अमृत सिद्धि योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक |
हरियाली अमावस्या के दिन किए गए कुछ कार्य विशेष फलदाई होते हैं।
हरियाली अमावस्या श्रावण मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। यह दिन प्रकृति, वृक्षों, और जीवन ऊर्जा को समर्पित होता है। विशेष रूप से उत्तर भारत में, इस दिन को वृक्षारोपण, पीपल पूजन, तथा पर्यावरण-संरक्षण के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसे श्रावणी अमावस्या या शिव अमावस्या भी कहा जाता है।
हरियाली अमावस्या पर प्रातः जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती की पूजा करें। हरियाली अमावस्या पर पार्वती जी का श्रृंगार करने का भी बहुत महत्व है। इस दिन शिव जी की उपासना करने वाले जातक शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें, और बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल व फल चढ़ाएं। इसके बाद श्रद्धापूर्वक ॐ उमामहेश्वराय नमः का जप करें।
हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करने व पिंडदान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पौधरोपण करने से पितर प्रसन्न होते हैं, और अपने वंशजों को आशीष देते हैं।
आज हम आपके समक्ष जिस अमावस्या की पूजा विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं, उस दिन पौधों की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए भी महत्वपूर्ण है, इसलिए इस पूजा विधि को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करना तथा पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। तो इस प्रकार विधिवत पूजन से आप हरियाली अमावस्या को अधिक लाभकारी बना सकते हैं। इस दिन पूजन के समय व्रत कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है
तो यह थी हरियाली अमावस्या से जुड़ी पूरी जानकारी। इस पवित्र पर्व पर आप भी व्रत अनुष्ठान करें, और अधिक से अधिक धर्म-कर्म करें। भगवान शिव व मां पार्वती आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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