श्रावण अमावस्या 2025: पितरों को समर्पित पुण्यदायी तिथि, जानें पूजा विधि, व्रत महत्व और शुभ कार्यों का समय।
श्रावण अमावस्या हिंदू पंचांग के श्रावण माह की अमावस्या तिथि को कहा जाता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, दान और व्रत किया जाता है। श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर शिवजी की पूजा करते हैं और विशेष रूप से रुद्राभिषेक करते हैं। यह अमावस्या नई शुरुआत, आध्यात्मिक उन्नति और पितृ कृपा प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। ये तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। धार्मिक दृष्टि से श्रावण मास की अमावस्या विशेष फल देने वाली मानी जाती है। श्रावण अमावस्या पितृ पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना एवं उनके नाम तर्पण करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं इस साल श्रावण अमावस्या कब है, इसका क्या महत्व है और इस दिन करने वाले दान का क्या महत्व है...
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:57 ए एम से 04:39 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:18 ए एम से 05:21 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:37 ए एम से 12:31 पी एम |
विजय मुहूर्त | 02:19 पी एम से 03:13 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 06:48 पी एम से 07:09 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 06:48 पी एम से 07:51 पी एम |
अमृत काल | 02:26 पी एम से 03:58 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 25 |
गुरु पुष्य योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 |
सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
अमृत सिद्धि योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 |
श्रावण मास की अमावस्या तिथि को श्रावण अमावस्या कहा जाता है। यह दिन चंद्र मास के अनुसार उस समय आता है जब चंद्रमा बिल्कुल नहीं दिखाई देता। यह तिथि पितरों की शांति, जल तर्पण, स्नान–दान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष मानी जाती है।
श्रावण अमावस्या को मनाने का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति, ऋणमुक्ति, एवं शुभता को आमंत्रित करना होता है। यह दिन दान, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से उत्तम माना गया है। साथ ही, यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और स्वयं की आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर भी होता है।
इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव, पितृदेव, तुलसी माता, पीपल वृक्ष और नदी देवी की पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर हनुमान जी व काली माता की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
आज हम आपके समक्ष जिस अमावस्या की पूजा विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं, उस दिन पौधों की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए भी महत्वपूर्ण है, इसलिए इस पूजा विधि को ध्यानपूर्वक देखें।
तो इस प्रकार विधिवत पूजन से आप हरियाली अमावस्या को अधिक लाभकारी बना सकते हैं। इस दिन पूजन के समय व्रत कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है, इसलिए आप श्रीमंदिर ऐप पर इस व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें।
इस दिन किसी निर्धन व्यक्ति को उसकी आवश्यकता की वस्तुएं दान में दें। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा श्रावण अमावस्या पर अन्न का दान करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इस दिन चावल, गेहूं, ज्वार व धान का दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। श्रावण अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर को यथा सामर्थ्य दान दक्षिणा दें। इससे भगवान शिव के साथ-साथ इस दिन ब्राह्मण का भी आशीर्वाद मिलेगा।
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