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श्रावण अमावस्या 2025

श्रावण अमावस्या 2025: पितरों को समर्पित पुण्यदायी तिथि, जानें पूजा विधि, व्रत महत्व और शुभ कार्यों का समय।

श्रावण अमावस्या के बारे में

श्रावण अमावस्या हिंदू पंचांग के श्रावण माह की अमावस्या तिथि को कहा जाता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, दान और व्रत किया जाता है। श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर शिवजी की पूजा करते हैं और विशेष रूप से रुद्राभिषेक करते हैं। यह अमावस्या नई शुरुआत, आध्यात्मिक उन्नति और पितृ कृपा प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।

2025 में कब है श्रावण अमावस्या?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहते हैं। ये तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। धार्मिक दृष्टि से श्रावण मास की अमावस्या विशेष फल देने वाली मानी जाती है। श्रावण अमावस्या पितृ पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना एवं उनके नाम तर्पण करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं इस साल श्रावण अमावस्या कब है, इसका क्या महत्व है और इस दिन करने वाले दान का क्या महत्व है...

श्रावण अमावस्या शुभ मुहूर्त व तिथि

  • हरियाली अमावस्या 24 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।
  • अमावस्या तिथि 24 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को मध्यरात्रि 02 बजकर 28 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • अमावस्या तिथि का समापन24 जुलाई 2025, शुक्रवार की रात 12 बजकर 40 मिनट पर होगा।

चलिए अब जानते हैं श्रावण अमावस्या के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

03:57 ए एम से 04:39 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:18 ए एम से 05:21 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:37 ए एम से 12:31 पी एम

विजय मुहूर्त

02:19 पी एम से 03:13 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:48 पी एम से 07:09 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:48 पी एम से 07:51 पी एम

अमृत काल

02:26 पी एम से 03:58 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 25

श्रावण अमावस्या के विशेष योग

गुरु पुष्य योग

04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25

सर्वार्थ सिद्धि योग

पूरे दिन

अमृत सिद्धि योग

04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25

क्या है श्रावण अमावस्या?

श्रावण मास की अमावस्या तिथि को श्रावण अमावस्या कहा जाता है। यह दिन चंद्र मास के अनुसार उस समय आता है जब चंद्रमा बिल्कुल नहीं दिखाई देता। यह तिथि पितरों की शांति, जल तर्पण, स्नान–दान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष मानी जाती है।

क्यों मनाई जाती है श्रावण अमावस्या?

श्रावण अमावस्या को मनाने का उद्देश्य पितरों की आत्मा की शांति, ऋणमुक्ति, एवं शुभता को आमंत्रित करना होता है। यह दिन दान, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से उत्तम माना गया है। साथ ही, यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और स्वयं की आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर भी होता है।

श्रावण अमावस्या पर किसकी पूजा करें?

इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव, पितृदेव, तुलसी माता, पीपल वृक्ष और नदी देवी की पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर हनुमान जी व काली माता की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

श्रावण अमावस्या पूजा की पूजन सामग्री

  • अक्षत (चावल)
  • रोली व कुमकुम
  • गंगाजल या शुद्ध जल
  • दीपक व धूपबत्ती
  • तुलसी पत्र, बेलपत्र
  • काले तिल
  • पितरों के लिए जलपात्र
  • वस्त्र, फल, मिष्ठान
  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)

श्रावण अमावस्या की पूजाविधि

आज हम आपके समक्ष जिस अमावस्या की पूजा विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं, उस दिन पौधों की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए भी महत्वपूर्ण है, इसलिए इस पूजा विधि को ध्यानपूर्वक देखें।

  • हरियाली अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कार्यों से निवृत हो जाएं।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विधान है, इसलिए अगर संभव हो पाए तो आप किसी पवित्र नदी में अवश्य स्नान करें।
  • इसके बाद आप सूर्य देव को अर्घ्य दें और सुबह 11 बजे से पहले दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने पितरों के निमित्त तर्पण करें।
  • साथ ही आप “ॐ पितृ देवाय नमः” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • अब आप अपने घर के मंदिर को स्वच्छ करके, वहां दीप प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद आप अपने इष्टदेव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें।
  • इस दिन भगवान शंकर की पूजा का भी विधान है।
  • इसके लिए, आप उनकी प्रतिमा को तिलक लगाकर, उन्हें धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, फल, पंचामृत, समेत अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • इस दिन आप भगवान जी को खीर का भोग लगा सकते हैं।
  • इसके बाद आप हरियाली अमावस्या की व्रत कथा का श्रवण करें।
  • अंत में आप भगवान की श्रद्धापूर्वक आरती उतारें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
  • व्रत रखने वाले भक्त पूजा के पश्चात् फलाहार ग्रहण करें।
  • इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करना तथा पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

तो इस प्रकार विधिवत पूजन से आप हरियाली अमावस्या को अधिक लाभकारी बना सकते हैं। इस दिन पूजन के समय व्रत कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है, इसलिए आप श्रीमंदिर ऐप पर इस व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें।

श्रावण अमावस्या के धार्मिक अनुष्ठान

  • पितृ तर्पण व श्राद्ध
  • शिव पूजन व रुद्राभिषेक
  • पीपल व तुलसी पूजन
  • नदी स्नान
  • दीपदान व ब्राह्मण भोजन
  • गौ दान या अन्न दान

श्रावण अमावस्या पूजा के लाभ क्या हैं?

  • पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
  • जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है
  • संतान पक्ष की बाधाएं दूर होती हैं
  • पापों से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि होती है
  • रोग-शोक, दरिद्रता और मानसिक अशांति का नाश होता है
  • पुण्य की प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है

श्रावण अमावस्या पर क्या करें

  • श्रावण अमावस्या पर विवाहित जोड़े साथ बैठकर शंकर-पार्वती की आस्थापूर्वक पूजा करें। इससे वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहता है।
  • इस दिन घर के ईशानकोण में माता लक्ष्मी के नाम से घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। इससे लक्ष्मी जी आपके घर पर सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखेंगी।
  • श्रावण अमावस्या पर चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं। इससे घर में धन व सुख सौभाग्य आता है।
  • श्रावण अमावस्या के दिन महादेव को सफेद मंदार पुष्प अर्पित करें। ऐसा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
  • पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या पर गाय को खीर व रोटी खिलाएं। इसके अलावा इस दिन पितरों के निमित्त सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें।
  • श्रावण अमावस्या के दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू या तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं।
  • इस अमावस्या पर किसी नदी या तालाब पर जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।

श्रावण अमावस्या पर क्या न करें

  • श्रावण अमावस्या के दिन पेड़ पौधों को नुकसान न पहुंचाएं। इस दिन अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
  • श्रावण अमावस्या के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके किसी कार्य से आपके पितरों को दुःख न पहुंचे।
  • अमावस्या के दिन कुत्ते, गाय, कौआ आदि को भूलकर भी किसी भी प्रकार से हानि नहीं पहुंचाएं, विशेषकर तब, जब वे भोजन कर रहे हों।
  • अमावस्या के दिन अपने घर भिक्षा मांगने आने वालों को खाली हाथ न लौटाएं. उनको अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य दें।
  • इस दिन और हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें या कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे उनके मन को ठेस पहुंचे।

श्रावण अमावस्या पर दान का महत्व

इस दिन किसी निर्धन व्यक्ति को उसकी आवश्यकता की वस्तुएं दान में दें। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा श्रावण अमावस्या पर अन्न का दान करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इस दिन चावल, गेहूं, ज्वार व धान का दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। श्रावण अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर को यथा सामर्थ्य दान दक्षिणा दें। इससे भगवान शिव के साथ-साथ इस दिन ब्राह्मण का भी आशीर्वाद मिलेगा।

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Published by Sri Mandir·July 4, 2025

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