हरियाली तीज 2025: सौभाग्य और सुख-समृद्धि का पर्व, जानें व्रत कथा, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व।
हरियाली तीज एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह मुख्यतः विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना हेतु मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी और मेहंदी लगाकर श्रंगार करती हैं।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरियाली तीज सुहागिनों का महापर्व है। इस दिन विवाहित स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं, और भगवान शिव व माता पार्वती जी की आराधना करके पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से उत्तम पुत्र की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा मान्यता है कि इस दिन जो स्त्रियां श्रद्धा पूर्वक ये उपवास पूर्ण करती हैं, उन्हें धैर्य, सम्मान, प्रेम और शक्ति की प्राप्ति होती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:58 ए एम से 04:40 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:19 ए एम से 05:23 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:38 ए एम से 12:31 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:18 पी एम से 03:12 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:46 पी एम से 07:07 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:46 पी एम से 07:50 पी एम तक |
अमृत काल | 01:56 पी एम से 03:34 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 28 तक |
हरियाली तीज का पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या के फल स्वरूप 108वें जन्म के बाद श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। ऐसी मान्यता है कि तभी भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया।
हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक पावन व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखद दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है, जबकि कुंवारी कन्याएं शिव-पार्वती जैसे श्रेष्ठ जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं।
यह पर्व विशेष रूप से हरियाली, वर्षा और प्रकृति के सौंदर्य का उत्सव भी है। चारों ओर हरियाली छा जाने के कारण इसे "हरियाली तीज" कहा जाता है। झूले, लोकगीत, हरी चूड़ियां, मेहंदी और उत्सव का वातावरण इस पर्व को जीवंत बना देता है।
शिव-पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में
दांपत्य सुख की कामना
प्रकृति और ऋतु परिवर्तन का स्वागत
नारी सौभाग्य और सांस्कृतिक परंपरा का पर्व
आज हम जिस त्यौहार के महत्व पर प्रकाश डालने वाले हैं, वह विवाहित एवं अविवाहित महिलाओं के लिए बेहद ख़ास है। हम बात कर रहे हैं श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरियाली तीज की। ये पर्व आमतौर पर नाग पंचमी त्यौहार के दो दिन पूर्व मनाया जाता है।
आपको बता दें हरियाली तीज का ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। मान्यताओं के अनुसार, यह तिथि उनके पुनर्मिलन का प्रतीक मानी जाती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस पवित्र त्यौहार में हरे रंग का विशेष महत्व है। इस कारण इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं। इसके अलावा महिलाएं सावन के गीत गाती हैं और झूला भी झूलती हैं। हर्षोल्लास के इस त्यौहार पर सुहागिन महिलाओं के मायके से उन्हें श्रृंगार का समान और मिठाइयां भेजी जाती हैं।
इसके अलावा स्त्रियों के लिए इस पर्व का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं और अविवाहित महिलाएं मनोवांछित वर प्राप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करती हैं। कई स्थानों पर इस दिन निर्जला व्रत रखने की भी परंपरा है, यह परंपरा महिलाओं के इस व्रत के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
वहीं इस दिन विवाहित स्त्रियों के ससुराल में उनके मायके की तरफ से कुछ वस्तुएँ उपहार के रूप में भेजी जाती हैं, जिसे ‘सिंधारा’ के नाम से जाता है। सिंधारा में विशेषतः मिठाई, घेवर, मेहँदी, चूड़ियां आदि वस्तुएं भेंट दी जाती है। इस परंपरा के कारण इस तीज को सिंधारा तीज के नाम से भी लोग जानते हैं। इसके अतिरिक्त हरियाली तीज को छोटी व श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष विधान है। यह पर्व माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किए गए कठोर तप का स्मरण कराता है। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से माँ पार्वती की पूजा करते हैं क्योंकि उन्होंने 108 जन्मों तक कठोर साधना कर शिव को प्राप्त किया था।
पूजा करते समय शिव-पार्वती की प्रतिमाएं (या चित्र) लाल वस्त्र पर स्थापित करें, उन्हें जल, दूध, पुष्प, सुगंधित पदार्थ, बेलपत्र, कुमकुम, मेहंदी, चूड़ी, सिंदूर आदि अर्पित करें। माँ पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाना विशेष पुण्यदायी माना गया है।
आज हम जिस व्रत की पूजा विधि के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, उसके बारे में ऐसी मान्यता है कि उस व्रत को करने से आपको मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। हम बात कर रहे हैं हरियाली तीज की पूजा विधि की, तो चलिए इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं।
हरियाली तीज के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर हरे रंग के वस्त्र धारण कर लें और 16 श्रृंगार करके तैयार हो जाएं। अगर संभव हो पाए तो आप हरी चूड़ियां पहने और हाथों पर मेहंदी लगा लें। कई स्थानों पर तीज की पूजा प्रदोष काल यानी दिन और रात्रि के मिलन के समय होती है, वहीं कुछ स्थानों पर सुबह के समय इस पूजा को किया जाता है।
पूजा के लिए आप काली बालू या काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बना लें। इसके बाद आप पूजा स्थल पर एक रंगोली बनाएं या हल्दी से उस स्थान को लीप दें। इसके ऊपर आप एक आसन रखें और उसपर लाल कपड़ा बिछा दें। प्रतिमाओं को आप एक नई थाली में केले के पत्ते बिछाएं और उसपर रख दें। अब आप इन प्रतिमाओं को आसन पर स्थापित करें। प्रतिमाओं के साथ आप कलश की भी स्थापना कर सकते हैं।
कलश की स्थापना के बाद आप शिवलिंग को पंचामृत या जल से अभिषेक करें। अब आप भगवान शिव और भगवान गणेश को अष्टगंध का तिलक लगाएं और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। इसके बाद आप सभी प्रतिमाओं को पुष्प माला पहनाएं। इसके पश्चात आप भगवान गणेश को दूर्वा, धूप, दीप, अक्षत, जनेयु, पुष्प, फल, वस्त्र आदि अर्पित करें। अब आप भगवान शिव को दूर्वा, बिल्वपत्र, धतूरा, अक्षत, वस्त्र, जनेयु, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। माता पार्वती को आप पूजा सामग्री के साथ 16 श्रृंगार की वस्तुएं अवश्य अर्पित करें।
इसके अलावा आप भगवान को मेवा, मिठाई, फल, पकवान और खीरे का भोग अवश्य लगाएं। इस दिन हरियाली तीज की व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व है, इसलिए इस कथा का श्रवण जरूर करें। अंत में भगवान की आरती उतारें और भूल चूक के लिए क्षमा याचना करें।
इस दिन रात्रि में भजन कीर्तन करें और अगले दिन नहाने और पूजा करने के बाद ही भगवान को चढ़ाए गए भोग से व्रत का पारण करें। तो यह थी हरियाली तीज की संपूर्ण पूजा विधि।
हरियाली तीज पर किये गए छोटे-से छोटे संकल्प भी बड़ा पुण्य देते हैं। यह दिन आस्था और श्रद्धा से परिपूर्ण होता है। इस दिन:
हरियाली तीज के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि व्रत का पुण्य बना रहे:
हरियाली तीज केवल एक पर्व नहीं, बल्कि नारी शक्ति, भक्ति और सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन व्रत और पूजा करने से अनेक आध्यात्मिक और पारिवारिक लाभ मिलते हैं—
1. वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता: हरियाली तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समझ बढ़ती है। 2. पति की लंबी उम्र की प्राप्ति: विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं ताकि उनके पति दीर्घायु रहें और जीवन में किसी प्रकार का संकट न आए। 3. शिव-पार्वती जैसे उत्तम वर की प्राप्ति: कुंवारी कन्याएं यह व्रत अच्छे, सद्गुणी और जीवनभर साथ निभाने वाले जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखती हैं। 4. सौभाग्य का आशीर्वाद: जो स्त्रियां हरियाली तीज का विधिपूर्वक पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 5. मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि: व्रत रखने से आत्मसंयम बढ़ता है और शिव-पार्वती की उपासना से मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है।
यह दिन पुण्य अर्जन और संकट निवारण के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है। कुछ धार्मिक उपाय इस प्रकार हैं:
1. माता पार्वती को सिंदूर और सुहाग की सामग्री अर्पित करें: यह करने से सौभाग्य बना रहता है और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। 2. शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाएं: इससे जीवन की बाधाएं शांत होती हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। 3. हरी चूड़ियां, मेहंदी और वस्त्र का दान करें: सौभाग्यवती स्त्रियों को यह भेंट देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। 4. तीज माता का व्रत कथा श्रवण करें: व्रत की कथा सुनने और सुनाने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। 5. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें: यह शिव कृपा पाने का सबसे प्रभावी और सरल उपाय है।
1. विवाहित स्त्रियाँ: हरियाली तीज मुख्यतः विवाहित स्त्रियों का पर्व है, जो अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख के लिए यह व्रत करती हैं। 2. कुंवारी कन्याएं: जो कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं, वे भी इस दिन व्रत रख सकती हैं और शिव-पार्वती से श्रेष्ठ विवाह का वरदान मांग सकती हैं। 3. संतान-सुख की इच्छा रखने वाली महिलाएं: मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की कृपा से संतान प्राप्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। 4. परंपरा निभाने वाले परिवारों के सदस्य: जहां हरियाली तीज पारंपरिक रूप से मनाई जाती है, वहां घर के अन्य सदस्य भी पूजा, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक आयोजनों में भाग ले सकते हैं।
हरियाली तीज केवल एक पर्व नहीं, यह स्त्री के प्रेम, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है। इस दिन शिव-पार्वती का पूजन कर हम दांपत्य सुख, सौभाग्य और जीवन में संतुलन की कामना करते हैं। यदि पूजा भावपूर्ण हो तो यह तीज जीवन में स्थायी हरियाली ले आती है। इस पवित्र पर्व पर आप भी व्रत अनुष्ठान करें, और अधिक से अधिक धर्म-कर्म करें। भगवान शिव व मां पार्वती आपकी भक्ति से प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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