आदि अमावसाई 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष तिथि, जानें पूजा विधि, तर्पण और धार्मिक लाभ।
आदि अमावसाई दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में आषाढ़ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पूर्वजों के लिए तर्पण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं।
आदि अमावसाई, दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिन है। यह तिथि तमिल पंचांग के अनुसार "आषाढ़" महीने की अमावस्या को आती है। इस दिन का विशेष महत्व पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने, तर्पण करने और पितृ शांति के लिए होता है। यह दिन पितरों को समर्पित माना जाता है और कई घरों में पारंपरिक विधियों से विशेष पूजा की जाती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:57 ए एम से 04:39 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:18 ए एम से 05:21 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:37 ए एम से 12:31 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:19 पी एम से 03:13 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:48 पी एम से 07:09 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:48 पी एम से 07:51 पी एम तक |
अमृत काल | 02:26 पी एम से 03:58 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:26 ए एम, जुलाई 25 तक |
गुरु पुष्य योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
अमृत सिद्धि योग | 04:43 पी एम से 05:22 ए एम, जुलाई 25 तक |
"आदि अमावसाई" (या "आदि अमावस्या") दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को पड़ता है और विशेष रूप से पूर्वजों की शांति और पितृ तर्पण के लिए समर्पित होता है।
"आदि" तमिल पंचांग के अनुसार वर्ष का चौथा महीना होता है, और "अमावसाई" का अर्थ है अमावस्या। इस दिन को पितरों के लिए पुण्य कार्य करने का श्रेष्ठ समय माना जाता है।
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए:
पुण्य प्राप्ति के लिए:
कुल परंपरा का सम्मान:
पितृ दोष से मुक्ति
परिवार में शांति और समृद्धि
कुल और वंश की उन्नति
अदृश्य कष्टों से मुक्ति
मोक्ष की प्राप्ति
पवित्र नदी में स्नान करें
पितृ तर्पण करें
काले तिल का दीपक जलाएं
गरीबों को भोजन कराएं
24 जुलाई 2025 को मनाई जाने वाली आदि अमावसाई न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत फलदायी तिथि है। यह दिन हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया तर्पण संपूर्ण कुल को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
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