हयग्रीव जयन्ती 2024: पूजा विधि, मुहूर्त व मंत्र

हयग्रीव जयन्ती 2024: पूजा विधि, मुहूर्त व मंत्र

इस शुभ मुहूर्त में करें पूजन, भगवान विष्णु का मिलेगा आशीर्वाद


हयग्रीव जयंती 2024 (Hayagriva Jayanti 2024)



भगवान विष्णु के प्रमुख 24 अवतारों में से 'हयग्रीव' भी एक अवतार हैं। हयग्रीव जयंती हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को, यानि रक्षा बंधन के दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने 'हयग्रीव अवतार' लिया था। हयग्रीव का अर्थ है घोड़े का सिर और मनुष्य का शरीर। यह अवतार भगवान विष्णु ने वेदों को बचाने के लिए लिया था, जब उन्हें राक्षसों ने चुरा लिया था।

हयग्रीव जयंती कब है (Hayagriva Jayanti 2024 Date and Time)


  • हयग्रीव जयंती 19 अगस्त 2024, सोमवार को श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाएगी।
  • पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 04 मिनट से आरंभ होगी।
  • पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी।
  • हयग्रीव जयंती का पूजा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 54 मिनट से शाम 06 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
  • इसकी अवधि 02 घंटे 35 मिनट रहेगी।

हयग्रीव जयंती का महत्व (Importance of Hayagriva Jayanti 2024)


हयग्रीव जयंती ज्ञान और विद्या का प्रतीक है। यह हमें ज्ञान प्राप्त करने और उसे फैलाने के लिए प्रेरित करती है। यह जयंती असुरों पर विजय का प्रतीक है। यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। यह वेदों के महत्व को दर्शाती है। वेद हमारे धर्म और संस्कृति की आधारशिला हैं। हयग्रीव को बुद्धि का देवता भी माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है। हयग्रीव पूजा से स्मरण शक्ति बढ़ती है और हम चीजों को आसानी से याद कर पाते हैं। यह जयंती विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए प्रेरित करती है और उन्हें अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करती है।

हयग्रीव जयंती का शुभ मुहूर्त (Hayagriva Jayanti 2024 Shubh Muhurat)


  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 05 मिनट से प्रातः 04 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 27 मिनट से सुबह 05 बजकर 33 मिनट तक होगा।
  • इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 29 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन अमृत काल रात में 08 बजकर 24 मिनट से 09 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन निशिता मुहूर्त रात को 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट (20 अगस्त) तक रहेगा।

विशेष योग

  • इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन रवि योग प्रातः 05 बजकर 33 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

हयग्रीव जयंती पूजा विधि (Hayagriva Jayanti 2024 Puja Vidhi)


  • हयग्रीव जयंती के दिन प्रातःकाल उठकर, स्नान तथा नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
  • इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • अब पूजा स्थल पर पूर्व दिशा व उत्तर दिशा की ओर मुख कर के आसन ग्रहण करें।
  • सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा को गंगाजल से साफ करके उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
  • अब गणपति जी को गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत आदि चढ़ाएं।
  • इसके बाद अब भगवान श्री हयग्रीव जी का पूजन करें।
  • इसके लिए सबसे पहले हयग्रीव जी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
  • भगवान श्री हयग्रीव की प्रतिमा पर पुष्प माला पहनाएं और ॐ नमो भगवते आत्मविशोधनाय नमः॥ ॥ॐ वागीश्वर्यै विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्॥ मंत्र का उच्चारण करते हुए, उनका तिलक करें।
  • इसके बाद, आप उन्हें धूप, दीप, अक्षत, मौसमी फल, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • इस दिन विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • अंत में भगवान का ध्यान करते हुए प्रभु की आरती उतारें और किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
  • पूजा संपूर्ण होने के बाद प्रसाद अवश्य वितरित करें।

हयग्रीव अवतार की कथा (Hayagriva Avatar Katha)


कथा के अनुसार, एक बार दो राक्षसों ने वेदों को चुराकर समुद्र में फेंक दिया था। वेदों के बिना ज्ञान का नाश हो गया था। देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार धारण किया और समुद्र में जाकर वेदों को पुनः प्राप्त किया। इस प्रकार उन्होंने ज्ञान को बचाया और राक्षसों का वध किया।

इन बातों का रखें ध्यान


  • पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  • भगवान हयग्रीव से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • पूजा के बाद ब्राह्मण को दान दें।
  • इस दिन विद्यार्थियों को विशेष रूप से भगवान हयग्रीव की पूजा करनी चाहिए।


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