फुलेरा दूज 2024 (Phulera Dooj 2024)
फुलेरा दूज का महत्व (Importance of Phulera Dooj)
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज के नाम से जाना जाता है। फाल्गुन मास में आने वाला यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। इस बार फूलेरा दूज का पर्व 4 मार्च 2022 को मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज होली के त्यौहार से जुड़ा एक अनुष्ठान रुपी पर्व है, इस दिन से ही लोग होली के रंगों की शुरुआत कर देते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने होली पर्व का शुभारंभ किया था। फुलेरा दूज के दिन श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ फूलों की होली खेली थी, तब से आज तक ब्रज में फुलेरा दूज के दिन राधा-कृष्ण संग उनके भक्त फूलों की होली खेलते हैं।
मथुरा और वृंदावन में फुलेरा दूज के दिन मंदिरों में भव्य आयोजन होता है और राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को फूलों से सजाया जाता है और उनसे परिवार में खुशहाली बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। मांगलिक कार्यों के लिए ये दिन अत्यंत ही शुभ माना गया है। फुलेरा दूज का दिन विवाह करने के लिए शुभ माना गया है।
इस दिन राधा-कृष्ण की उपासना व्यक्ति के जीवन को सुंदर और प्रेमपूर्ण बनाती है। इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योंकि फाल्गुन महीने में कई तरह के सुंदर और रंगबिरंगे फूलों का आगमन होता है और इन्हीं फूलों से राधे-कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है।
फुलेरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। साथ ही यह दिन कृष्ण से प्रेम जताने का दिन है। इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं, उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैं।
फुलेरा दूज कैसे मनाया जाता है? (How is Phulera Dooj celebrated?)
आज भी देहात क्षेत्र और गांवों में फुलेरा दूज के दिन से सांय के समय घरों में रंगोली सजाई जाती है। इसे घर में होली रखना कहा जाता है। दूज के दिन किसान घरों के बच्चे अपने खेतों में उगी सरसों, मटर, चना और फुलवारियों के फूल तोड़कर लाते हैं। इन फूलों को भी घर में बनाई गई होली यानी रंगोली पर सजाया जाता है। यह आयोजन उत्तर भारत के कई राज्यों के कई इलाकों में फुलेरा दूज से होली के ठीक एक दिन पहले तक लगातार होता रहता है। होली वाले दिन रंगोली बनाए जाने वाले स्थान पर ही गोबर से बनाई गई छोटी-छोटी सूखी गोबरीलों से होली तैयार की जाती है। होली के दिन हर घर में यह छोटी होली जलाई जाती है। इस होली को जलाने के लिए गांव की प्रमुख होली से आग लाई जाती है।
फुलेरा दूज कब है? (Phulera Dooj 2024 Date)
इस साल 2024 में फुलेरा दूज मंगलवार 12 मार्च 12 को मनाई जाएगी। फाल्गुन मास की शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ 11 मार्च को रात 10 बजकर 44 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 07 बजकर 13 मिनट।
फुलेरा दूज क्यों मनाई जाती है? (Why is Phulera Dooj Celebrated?)
मान्यता है कि फुलेरा दूज का दिन किसी भी प्रकार के हानिकारक उरजाओं और दोषों से प्रभावित नहीं होता और इस प्रकार इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन में साक्षात श्रीकृष्ण का अंश होता है। इसका अर्थ है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए यह दिन अत्यधिक पवित्र है। शुभ मुहूर्त पर विचार करने या विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। उत्तर भारत के राज्यों में, ज्यादातर शादी समारोह फुलेरा दूज की पूर्व संध्या पर होते हैं। इसे सर्दी के मौसम के बाद विवाह का अंतिम अबूझ मुहूर्त व शुभ दिन मानते हैं। इस दिन शादियों की धूम रहती है। मान्यता है कि इस दिन विवाह करने से दंपति को भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जिन लोगों के जीवन में प्रेम का अभाव है, या वैवाहिक जीवन में परेशानियां हैं, उन्हें इस दिन राधा और कृष्ण का पूजन अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि इससे राधा कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी समस्याएं दूर होती हैं। लोग आमतौर पर इस दिन को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे समृद्ध पाते हैं।
फुलेरा दूज के दिन घरों में और मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। पूजा के समय भगवान कृष्ण को होली पर खेला जाने वाला गुलाल अर्पित किया जाता है। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है। कई जगह इस दिन फूलों की रंगोली भी बनायी जाती है। इस पर्व की खास रौनक ब्रजभूमि और मथुरा के मंदिरों में देखने को मिलती है। सारे धाम को फूलों से सजाया जाता है। लोग एक दूसरे के साथ फूलों से ही होली खेलते हैं। इस दिन से होली तक यह धूमधाम लगातार जारी रहती है। इस दिन मंदिरों में श्री कृष्ण का कीर्तन भी किया जाता है।
फुलेरा दूज पर क्या करें? (Things To Do In Phulera Dooj)
इस पवित्र दिन पर राधा रानी को श्रृंगार की वस्तुएं जरूर अर्पित करें और उनमें से श्रृंगार की कोई एक वस्तु अपने पास संभाल कर रख लें। मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द विवाह हो जाता है।
गुलरियों बनाने का भी है रिवाज:
होलिका दहन में गोबर से बने उपलों को जलाने की परंपरा है। गाय के गोबर के छोटे-छोटे उपले बनाकर एक माला तैयार कर ली जाती है। फिर इस माला को होलिका दहन वाले दिन अग्नि में डाल देते हैं। इसे ही गुलरियां कहते हैं। जिनको बनाने का काम फुलेरा दूज से शुरू हो जाता है।
फुलेरा दूज की पूजा विधि (Phulera Dooj Puja Vidhi)
- शाम को स्नान करके पूरा श्रृंगार करें।
- राधा-कृष्ण को सुगन्धित फूलों से सजाएं।
- राधा-कृष्ण को सुगंध और अबीर-गुलाल भी अर्पित कर सकते हैं।
- रंगीन कपड़े का एक छोटा टुकड़ा भगवान कृष्ण की मूर्ति की कमर पर लगाया जाता है, जिसका प्रतीक है कि वह होली खेलने के लिए तैयार हैं।
- 'शयन भोग' की रस्म पूरी करने के बाद, रंगीन कपड़े को हटा दिया जाता है।
- प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें।
- इसके बाद 'मधुराष्टक' या 'राधा कृपा कटाक्ष' का पाठ करें।
- अगर पाठ करना कठिन हो तो केवल 'राधेकृष्ण' का जाप कर सकते हैं। श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें और प्रसाद ग्रहण करें।
फुलेरा दूज में रखें ये सावधानियां
- शाम का समय ही पूजन के लिए सबसे उत्तम है।
- रंगीन और साफ कपड़े पहनकर आनंद से पूजा करें।
- अगर प्रेम के लिए पूजा करनी है तो गुलाबी कपड़े पहनें।
- अगर वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करनी है तो पीले कपड़े पहनें।
- पूजा के बाद सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।