कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

6 सितम्बर, 2023, इस पूजा से होता है सभी परेशानियों का अंत


एक सुखद जीवन के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हमारे जीवन से नकारात्मकता और बुरी शक्तियां दूर रहें। भगवान के प्रति हमारी आस्था और भक्ति हमारे जीवन में एक कवच की भांति कार्य करती है और सभी नकारात्मक शक्तियों से हमारी रक्षा करती है। आज हम एक ऐसे ही व्रत के बारे में बात करेंगे जो विशेष रूप से हर प्रकार की नकारात्मकता, दु:खों और संकटों से मुक्ति प्रदान करता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कालाष्टमी व्रत की। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि सितम्बर महीने में कालाष्टमी का व्रत कब आता है और इस व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त क्या है? तो आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत के बारे में विस्तृत जानकारी।

मासिक कालाष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 6 सितम्बर 2023 को सायंकाल 3:38 बजे होगी और अष्टमी तिथि का समापन 7 सितम्बर 2023 को सायंकाल 4:14 बजे होगा।

मासिक कालाष्टमी व्रत का महत्व

मासिक कालाष्टमी व्रत को भैरवाष्टमी नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में काल भैरव को भगवान शिव का गण और माता पार्वती का अनुचर माना गया है। इस दिन पूजन करने और व्रत रखने वाले जातकों पर तंत्र-मंत्र का असर भी नहीं होता। काल भैरव की पूजा-अर्चना से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इस दिन सच्चे मन से पूजा पाठ करने से रोगों से भी छुटकारा मिलता है और परिवार के लोग भी स्वस्थ जीवन जीते हैं।

यह तो थी मासिक कालाष्टमी व्रत की महत्वता से जुड़ी जानकारी। आइए अब कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि के बारे में जानते हैं, जिसे करने से आपके जीवन से दुख, कष्ट, संकट जैसी समस्त विपदाएं दूर हो जाती हैं।

कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि

इस दिन उपासक प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करें और भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उनकी मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

पूजा के समय भगवान काल भैरव का स्मरण करते हुए, श्री कालभैरवाष्टकम् का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है, इससे भगवान की कृपा आप पर बनी रहती है।

इसके बाद भगवान को धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों का तेल अर्पित करें। बता दें काल भैरव को हलवा, मीठी पूरी और जलेबी का भोग अत्यंत प्रिय है, कहा जाता है कि इनका भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस दिन इन चीजों का ही भोग लगाएं। इसके बाद अंत में श्रद्धा पूर्वक भगवान की आरती करें।

ध्यान रखें इस दिन काल भैरव भगवान के साथ-साथ भगवान शिव की भी विधि-विधान से पूजा अर्चना करें। अब पूरे दिन व्रत करें और रात को पुनः पूजन करें।

तो ये थी कालाष्टमी से जुड़ी पूजा विधि की संपूर्ण जानकारी। इस प्रकार भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस आशा के साथ कि आपको इस पूजा का शुभ फल मिले।

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