कामिका एकादशी व्रत
क्या आप जानते है कि कामिका एकादशी क्या है ? अगर नहीं तो आज हम जानेंगे कि कामिका एकादशी क्या है ? और उससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं और कामिका एकादशी व्रत का विधि विधान से पालन करते हैं। मान्यता है कामिका एकादशी के दिन आस्था भाव से श्री हरि की उपासना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चलिए जानते हैं कामिका एकादशी कब है?
कामिका एकादशी 13 जुलाई, गुरुवार को मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि 12 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर प्रारंभ होगी।
एकादशी तिथि 13 जुलाई को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
कामिका एकादशी का पारण समय 14 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 59 मिनट तक रहेगा
चलिए अब जानते हैं कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त-
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 03 बजकर 53 मिनट से प्रातः 04 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 13 मिनट से सुबह 05 बजकर 16 मिनट तक होगा।
अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 50 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
अमृत काल शाम 06 बजकर 21 मिनट से 08 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
चलिए अब जानते हैं कामिका एकादशी की विशेषता
कामिका एकादशी का व्रत के प्रभाव से जातक के सभी दुख दूर होते हैं, और पाप नष्ट होते हैं।
इस दिन तीर्थस्थलों में स्नान करके दान पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है।
मान्यता है कि जो जातक कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है।
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, और जीवन में सुख सौभाग्य आता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से यज्ञ करने के समान पुण्य फल मिलता है।
तो भक्तों यह थी कामिका एकादशी व्रत के बारे में विशेष जानकारी और आइए आगे जानते है कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि।
कामिका एकादशी व्रत की पूजा विधि
कामिका एकादशी पर ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि विधान से विष्णु जी की पूजा प्रारंभ करें।
भगवान को फल-फूल, तिल, दूध, और पंचामृत अर्पित करें, और पूरे दिन निर्जल रहकर हरिनाम का जप करें, और भजन-कीर्तन करें।
इस बात का विशेष ध्यान रहे कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि बिना तुलसी दल के की गई पूजा भगवान स्वीकार नहीं करते हैं।
इस दिन किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं, और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
कामिका एकादशी पर जातक विष्णु सहस्त्रनाम का जप करें, और व्रत कथा सुनें।
तो भक्तों, ये थी कामिका एकादशी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपको इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे। लेकिन क्या आप जानते है कि कामिका एकादशी व्रत की कथा क्या है? अगर नहीं तो आइए आगे जानते है, कामिका एकादशी व्रत की कथा के बारे में। अगले लेख में पढ़ें कामिका एकादशी व्रत कथा और अक्षय पुण्य के भागी बनें।