करवा चौथ विशेष

करवा चौथ विशेष

पढ़ें करवा चौथ से जुड़ी की संपूर्ण जानकारी


अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए किसी मांगलिक पर्व से कम नहीं होता है, वे किसी बड़े उत्सव की तरह अपने व्रत को अत्यंत उत्साह एवं आस्था के साथ संपन्न करती हैं।करवाचौथ पर्व की सबसे बड़ी खूबसूरती है, उसमें निहित लाखों महिलाओं की आस्था। यह अपने आप में अद्भुत है कि इस दिन महिलाएं पूरी आस्था के साथ अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं। आज इतने बड़े पैमाने पर इसे मनाया जाता है और इसका बहुत अधिक महत्व होता है। आइए इस लेख में जानें साल 2023 में करवाचौथ का व्रत कब मनाया जाएगा, इससे जुड़ी कथा, पूजा विधि और साथ ही इससे जुड़ी कुछ और भी महत्वपूर्ण जानकारियां।

2023 में करवा चौथ कब है?

भारत की महिलाओं के लिए साल में आने वाले अनेकों त्यौहार एक तरफ और करवा चौथ का व्रत एक तरफ़। साथ ही श्रृंगार, प्रेम, समर्पण और अपने प्रियतम की लंबी उम्र के लिए किया गया त्याग, हमारे भीतर इस दिन के उल्लास को और अधिक बढ़ा देते हैं। आइए जानते हैं साल 2023 में कर्वाचोथ कब रखा जाएगा साथ ही जानेंगे पूजा का शुभ मुहूर्त और चाद्रोदय का समय।

2023 में करवा चौथ बुधवार 1 नवम्बर को मनाया जाएगा करवा चौथ पूजा मुहूर्त - शाम 05:17 से शाम 06:34 तक अवधि - 01 घण्टा 17 मिनट करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06:05 से रात 08:00 तक अवधि - 13 घण्टे 55 मिनट करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय - रात 08:00 बजे चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 31 अक्टूबर 2023 को रात 09:30 बजे से चतुर्थी तिथि समाप्त - 01 नवम्बर 2023 को रात 09:19 बजे तक

करवा चौथ की संपूर्ण पूजा विधि

संकल्प सर्वप्रथम करवाचौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं और स्नान करें। स्नान ने बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें, और पूजाघर की सफाई करके यहां घी का दीपक जलाएं। अब हाथ जोड़कर करवा माता, भगवान शिव-पार्वती और गणेश जी को नमन करके व्रत का संकल्प लें।

सरगी अगर आपके घर में सरगी खाने की परंपरा है तो सूर्योदय से पहले अपने ससुराल पक्ष की तरफ से दी गई सरगी का सेवन करें और जल ग्रहण करें। ध्यान रहें कि सरगी हमेशा सूर्योदय से पूर्व ही ग्रहण की जाती है। दिन के समय आप सम्पूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित कर लें। ताकि शाम के समय शुभ मुहूर्त में बिना किसी विघ्न के पूजा की जा सकें। संध्या समय में पूजा से पहले स्वच्छ होकर संपूर्ण श्रृंगार धारण करें। करवा चौथ के व्रत पर सुहाग की हर निशानी को पहनें। अब संध्या समय में शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।

चौकी स्थापना

  • सबसे पहले पूजास्थल को साफ करें और चौकी लगाने वाले स्थान को हल्दी से लीप लें, या फिर रोली और हल्दी से स्वस्तिक बनाएं। उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में चौकी की स्थापना करें।
  • इस चौकी के सामने आसन ग्रहण करें। अब चौकी पर गंगाजल छिड़क कर इसपर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर करवा माता का कैलेंडर रखें।
  • वैसे तो करवा चौथ की संपूर्ण सामग्री के साथ करवा माता का कैलेंडर भी होता है। लेकिन यदि आपको वह न मिले तो आप चावल के आटे को घोलकर उसमें लाल सिंदूर मिलाएं। और इस घोल से चौकी वाली दीवार पर करवा माता, भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और भगवान कार्तिकेय के चित्र बना बनाकर इनकी पूजा करें।

करवा स्थापना
चौकी पर दाईं ओर अक्षतदल बनाएं और इस पर एक मिट्टी का करवा (टोटी वाला कलश) स्थापित करें। करवा को हल्दी-कुमकुम लगाएं। इसके मुख पर मौली बांधे। इस करवा को अपनी क्षमतानुसार अन्न, शक्कर, या सूखे मेवे से भरें। साथ में एक सिक्का भी रखें और इसका मुख दीये से ढंक दें।

  • गौरी गणेश स्थापना
  • प्रथम पूज्य गणेश जी और गौरी की स्थापना के लिए, चौकी पर पान के दो पत्ते रखेंगे। इनपर आसन के रूप में अक्षत के कुछ दाने डालेंगे और अब इन पर दो सुपारियों को गणेशजी और गौरी माता के रूप में विराजित करेंगे।
  • अब दोनों देवों पर जल का छिड़केंगे। यह स्नान का रूपक है।
  • अब हम गणेश-गौरी जी को रोली, हल्दी और अक्षत अर्पित करेंगे। इसके बाद जनेऊ या मौली के रूप में गौरी-गणेशजी को वस्त्र अर्पित करें।

पूजा प्रारंभ

  • अब जल पात्र से तीन बार आचमन विधि करें, और चौथी बार बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर हाथ साफ करें। इसके बाद स्वस्तिवाचन मन्त्र का उच्चारण करें।
  • चौकी पर दीप प्रज्वलित करें, धुप-अगरबत्ती लगाएं। इसके बाद पुष्प और माला अदि चढ़ाएं।
  • अब ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 11 बार जप करके प्रथम पूज्य भगवान गणेश और कुलदेवी को नमस्कार करें।
  • चौकी पर करवा माता के दाएं तरफ चावल से अष्टदल कमल बनाएं और इस पर कलश की स्थापना करें।
  • मिट्टी या तांबे के कलश में शुद्ध जल भरें, इसमें गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाएं और कलश के उभार पर हल्दी-कुमकुम लगाकर इसके मुख पर लाल कलावा बांधे।
  • अब दो लौंग, दो सुपारी, एक हल्दी की गांठ, अक्षत, दो इलायची और एक सिक्के को सीधे हाथ में लेकर कलश में डालें।
  • यदि इनमें से कुछ सामग्री आपको नहीं मिल पाई हो, तो आप शुद्ध जल में सिर्फ सिक्का और चावल डालकर भी कलश स्थापित कर सकते हैं।
  • इसके बाद अष्टदल रूपी आम के पत्तों को हल्दी-कुमकुम लगाकर इस कलश के मुख पर रखें।
  • अब नारियल पर लाल चुनरी या लाल वस्त्र को कलावा की मदद से लपेट लें, और इसे कलश पर रखें।
  • इसके बाद नारियल पर हल्दी-कुमकुम और अक्षत अर्पण करें।
  • माता करवा, भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पंचोपचार क्रिया (हल्दी-कुमकुम-अक्षत-पुष्प-भोग) द्वारा पूजा करें।
  • घर में बने पकवान, मिष्ठान्न भोग रूप में चढ़ाएं।
  • माता करवा को करवा चौथ की पुड़िया में आई सभी सामग्री अर्पित करें।
  • अब करवा चौथ व्रत कथा की पुस्तक को नमन करें। दाएं हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर व्रत कथा पढ़ें। यह व्रत कथा श्रीमंदिर पर भी उपलब्ध है। आप व्रत कथा का श्रवण श्रीमंदिर के माध्यम से भी कर सकते हैं।
  • अब माता करवा, माता गौरी और भगवान गणेश की आरती करें।
  • सभी देवों को नमन करके अपने पति और संतान की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना करें।
  • अंत में भगवान जी से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिएक्षमायाचना करें।

चंद्र पूजा

  • चंद्र पूजा के लिए पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, जल कलश, दीपक छलनी आदि रखें।
  • अब किसी ऊँचे स्थान से चन्द्रदर्शन करें। चंद्र को हल्दी-कुमकुम-अक्षत-पुष्प अर्पित करें।
  • इसके बाद चंद्र को अर्घ्य दें। अब एक केले के पत्ते पर भोग-मिष्ठान्न रखकर इसे चंद्रदेव को अर्पण करें।
  • अब अपने पति को तिलक करें और उनकी आरती उतारें। अब छलनी से पहले चाँद को देखें और फिर अपने पति को देखें।
  • इसके बाद चंद्र को नमस्कार करें और उनसे अपने परिवार और जीवनसाथी के लिए मंगल कामना करें।
  • अब अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके अपना निर्जला व्रत पूर्ण करें।

विसर्जन

  • पूजा में रखा गया करवा और श्रृंगार की सामग्री सुहागन को दान करें।
  • इस तरह आपकी करवा चौथ की पूजा विधि संपन्न होगी। इस विधि से की गई पूजा से माँ करवा आपको सौभाग्य का आशीर्वाद देंगी और आपका परिवार हमेशा सुखी- सम्पन्न बना रहेगा।

करवा चौथ पर क्या खरीदे

  • करवा चौथ व्रत के विशेष दिन पर महिलाओं को सुहाग की 7 निशानियां जरूर खरीदनी चाहिए, ताकि उनका और उनके पति का सात जन्मों तक साथ बना रहे।
  • जैसे विवाह के वक़्त लिए गए 7 फेरों से 7 जन्मों का एक गठबंधन बनता है, वैसे ही ये 7 चीजें किसी भी सुहागन स्त्री के श्रृंगार को सम्पूर्ण बनाती हैं, और अपने सुहाग अर्थात पति से उनके प्रेम और विवाह के अटूट रिश्ते को दर्शाती है। ये चीजें हैं कुछ इस प्रकार हैं-
  • **चूड़ी - ** चूड़ी सुहाग की मुख्य निशानी मानी जाती है। भारत में सुहािगन महिलाएँ कई रंगों में कई तरह की चूड़ियां पहनती हैं, जैसे कि कांच की चूड़ी, सीपियों से बनी चूड़ी, लाख की चूड़ी और हाथीदांत से बनी चूड़ी। आप अपनी परंपरा के अनुसार लाल या हरे रंग की चूड़ी अवश्य खरीदकर पहनें।
  • बिछिया - चांदी की बिछिया सौभाग्य के लिए बहुत महत्वूर्ण होती है। पैर की उंगलियों में पहना जाने वाला यह छोटा सा आभूषण, करवा चौथ के दिन अवश्य खरीदें।
  • सिंदूर - मांग में भरा जाने वाला एक चुटकी सिंदूर अनमोल होता है। करवा चौथ के दिन किसी मंदिर के प्रांगण से इसे खरीदें और अपनी मांग में भरकर, सुहाग की लम्बी उम्र की कामना करें।
  • मेहंदी या आलता - करवा चौथ पर हथेलियों पर मेहंदी और पैरों में आलता या महावर लगाने का रिवाज है। यदि आप किसी कारणवश करवा चौथ के पहले यह नहीं लगा पाई हों, तो करवा चौथ के दिन इसे विशेष रूप से खरीद कर अपने पैरों और हथेलियों पर लगाएं।
  • लाल रंग के वस्त्र - माँ पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी और उन्हें लाल रंग बहुत प्रिय है। सुर्ख लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसलिए माता की पूजा में लाल रंग की चुनरी का बहुत महत्व होता है। आप भी इस दिन लाल रंग के वस्त्र अवश्य खरीदें।
  • आभूषण - करवा चौथ के दिन गहनों के बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है। इसीलिए इस दिन कोई गहना अवश्य खरीदें। मंगलसूत्र, पायल, नथ, अंगूठी ये कुछ ऐसे आभूषण है, जो करवा चौथ के दिन आपके सौंदर्य में चार चाँद लगाएंगे।
  • गजरा - करवा चौथ के दिन गजरा खरीदकर अपने बालों में जरूर लगाएं। इस गजरे की खुशबू से आपका दाम्पत्य जीवन भी महक उठेगा, साथ ही आपके और आपके पति के बीच प्रेम अधिक गहरा होगा।

यह सभी कुछ ऐसी चीजे हैं, जो आपको करवा माता से सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिलाएंगी।

करवा चौथ व्रत उत्सव क्यों मनाया जाता है

करवाचौथ पर्व की सबसे बड़ी खूबसूरती है, उसमें निहित लाखों महिलाओं की आस्था। यह अपने आप में अद्भुत है कि इस दिन महिलाएं पूरी आस्था के साथ अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं। आज इतने बड़े पैमाने पर इसे मनाया जाता है और इसके महत्व को समझा जाता है, लेकिन इसी बीच सबके मन में एक बेहद ज़रूरी सवाल उठता है कि आखिरकार इस पर्व को मनाने की परंपरा का आरंभ किस प्रकार हुआ?

इस सवाल के उत्तर में हमने कई पौराणिक कथाओं के पन्ने पलटे और कुछ कथाओं का संग्रह किया, आज हम उन्हीं कथाओं को अपने दर्शकों के लिए लेकर आए हैं। तो चलिए उन्हें विस्तार से जानते हैं-

किस प्रकार हुई करवाचौथ की शुरूआत, इसे जानने के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें -

एक पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों और देवताओं के बीच भयंकर युद्ध चल रहा था। इस युद्ध में हालात ऐसे बन गए कि देवता असुरों के सामने कमज़ोर पड़ने लगे और हारने की कगार पर पहुंच गए थे। इसके पश्चात् भयभीत देवतागण ब्रह्मा जी की शरण में गए और बोले, “हे ब्रह्म देव, हम किस प्रकार इस युद्ध को जीत सकते हैं, कृपया करके इसका कोई उपाय बताएं। ”ब्रह्म देव बोले कि इस संकट को दूर करने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को व्रत रखना चाहिए और सच्चे मन से अपने-अपने पतियों की विजय की कामना करनी चाहिए। ब्रह्मा जी के इस सुझाव को मानते हुए, देवताओं की पत्नियों ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन व्रत रखा और अपने-अपने पतियों की जीत की कामना की।

जब विजयी होकर देवता वापिस लौटे तो सभी पत्नियों ने आखिरकार व्रत का पारण किया। व्रत के पारण के समय आकाश में चंद्रदेवता इसके साक्षी बने थे, माना जाता है तभी से करवाचौथ व्रत को रखने की परंपरा का शुभारंभ हुआ। करवाचौथ को मनाने की एक अन्य कथा महाभारत काल से भी जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार जब नीलगिरि पर्वत पर पांडव पुत्र तपस्या कर रहे थे, तब कई दिनों तक वापिस न लौटने पर, द्रौपदी उनके प्रति काफी चिंतित हो गईं। तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया, तथा श्रीकृष्ण के दर्शन होने पर द्रौपदी ने उनसे पांडवों के कष्टों के निवारण का उपाय पूछा।

तब श्रीकृष्ण बोले, हे द्रौपदी, “मैं तुम्हारी चिंता का कारण समझता हूँ। तुम्हारी समस्या को दूर करने के लिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ। कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी आने वाली है, उस दिन तुम सच्चे मन से करवाचौथ का व्रत रखना, इससे तुम्हारी सारी चिंता दूर हो जाएगी। श्रीकृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए द्रौपदी ने पूरे विधि-विधान से इस व्रत को किया, तब उन्हें अपने पतियों के दर्शन हुए और इस प्रकार उसकी चिंताएं दूर हो गईं।

अगर हम शास्त्रों में वर्णित कथाओं को देखें तो हम पाएंगे कि किस प्रकार पार्वती जी ने घोर तप करके भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया। साथ ही किस प्रकार अपने ढृढ़ संकल्प और निष्ठा से सावित्री यमराज जी से भी अपने पति के प्राण वापिस ले आईं। यह कथाएं दर्शाती हैं कि एक स्त्री के तप, निष्ठा और समर्पण में कितनी शक्ति होती है। अगर वह मन में कुछ ठान लें तो उसे पूरा ज़रूर करती हैं, करवाचौथ भी स्त्रियों के तप और सच्ची निष्ठा का प्रतीक है, और महिलाएं पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करती हैं, जिससे उनका सुहाग सुरक्षित रहे।

तो इस प्रकार करवाचौथ को मनाने की परंपरा शुरू हुई, ऐसी ही रोचक कथाओं को जानने के लिए आप जुड़े रहें श्रीमंदिर से।

करवा चौथ 2023 मेहँदी के डिज़ाइन

करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करने का और मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। इसके बिना महिलाओं की पूजा अधूरी होती है। आज हम इस खास त्यौहार पर आपके हाथों पर मेहंदी की रंगत को बढ़ाने के लिए 5 आसान डिजाइन लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप आसानी से घर पर ही मेहंदी लगा सकते हैं।

1.बेल वाली डिजाइन की मेहंदी- नीचे प्रस्तुत मेहंदी की डिजाइन को देखकर आप आसानी से हाथ में एक तरफ थोड़ी भरी हुई और हाथ के पीछे सिंपल सी बेल वाली डिजाइन लगा सकते हैं। 2. मंडला वाली मेहंदी- आजकल मंडला वाली मेहंदी की डिजाइन काफी ट्रेंड में हैं। यह काफी सिंपल होती है, लेकिन हाथों पर बेहद खूबसूरत लगती है। 3. हाथों पर भरी हुई मेहंदी- हाथों पर भरी हुई मेहंदी की रंगत काफी खिलकर आती है। अगर आपको घनी और भरी हुई मेहंदी पसंद है तो यह डिजाइन आपको काफी पसंद आएगा। 4.अरेबिक मेहंदी - अरेबिक मेहंदी की तो बात ही कुछ और होती है! इस डिजाइन से हाथों की रौनक बढ़ जाती है और ये डिज़ाइन लगाने में भी काफी आसान होती है। 5. आसान डिजाइन की मेहंदी- अगर आप ऐसी डिज़ाइन चाहते हैं, जिसे लगाने में समय भी कम लगे और आसानी भी हो तो आप नीचे दी गई डिजाइन के हिसाब से मेहंदी लगा सकते हैं।

तो इन 5 आसान मेहंदी डिज़ाइन्स से आप करवा चौथ पर अपने हाथों की शोभा को बढ़ा सकते हैं।

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