जानें कोकिला व्रत का महत्व और तिथि

जानें कोकिला व्रत का महत्व और तिथि

मिलेगा मन चाहा व्रत का आशीष


कोकिला व्रत 2024 (Kokila Vrat 2024)



हिंदू पचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखा जाता है। यह व्रत कुंवारी कन्याओं और विवाहित स्त्रियों दोनों के लिए विशेष फलदाई होता है। कोकिला व्रत का संबंध इस मान्यता से है कि सती जी ने भगवान शिव को पाने के लिए वर्षों तक कोयल रूप में तपस्या की थी। वैसे तो गुरु पूर्णिमा और कोकिला व्रत एक ही दिन होता है, लेकिन कभी-कभी चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर कोकिला व्रत, गुरु पूर्णिमा से एक दिन पहले भी पड़ सकता है।

भगवान शिव को समर्पित यह पवित्र दिन जो भी जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से करता है उस पर भगवान अपनी असीम कृपा बरसाते हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि इस व्रत को कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं और विवाहित महिलाएं अपने पति की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। जिन लोगों की शादी में देरी हो रही है उन्हें भी यह व्रत करना चाहिए और जो व्यक्ति महाकाल की कृपा पाना चाहते हैं उनके लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। तो आइए अब जानते हैं कि यह व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन क्या शुभ योग नबं रहा है।

कोकिला व्रत का शुभ मुहूर्त (Kokila Vrat 2024: Date and Time)


साल 2024 में कोकिला व्रत शनिवार 20 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 20 जुलाई 2024 को शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगा वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 21 जुलाई 2024 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा।

कोकिला व्रत पर बन रहा ये विशेष योग (Auspicious Yoga On Kokila Vrat )


पंचांग के अनुसार आपको बता दें कि इस दिन रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। रवि योग 20 जुलाई को सुबह 05 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 21 जुलाई को देर रात 01 बजकर 49 मिनट पर होगा।

कोकिला व्रत का महत्व (Importance Of Kokila Vrat )


कोकिला व्रत करने से जहां विवाहित जोड़े का दांपत्‍य जीवन सुखमय होता है, वहीं यदि ये व्रत कुंवारी कन्‍याएं रखती हैं, तो उन्‍हें शिव जी के समान सुयोग्‍य वर मिलता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी सती ने भी इसी व्रत के प्रभाव से भोलेनाथ को पाया था। कुछ मान्यताएं ये भी कहती हैं कि ये व्रत करने से रूप व सुंदरता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कोकिला व्रत पर कोयल का चित्र या मूर्ति स्वरुप को किसी ब्राह्मण को भेंट करने का भी विधान है। कोकिला व्रत रखने वाले भक्त एक बार ही भोजन करें, भूमि पर सोएं, ब्रम्हचर्य का पालन करें और दूसरों की बुराई करने से बचें। इस व्रत के दौरान गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में किया गया स्नान बहुत पुण्य देने वाला माना जाता है।


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